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(GMT+08:00) 2007-11-08 16:00:04    
हो लान पर्वत की तलहटी में खड़ा क्वांगचुंग मठ का दौरा

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चीन का भ्रमण कार्यक्रम पसंद करने वाले सभी दोस्तों को हमारा प्यार भरा नमस्कार ।

प्रिय दोस्तो , आज के इस कार्यक्रम में हम आप को भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के दौरे पर ले चलते हैं । पर इस दौरे में हम आप के साथ भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के प्रसिद्ध नीला आसमान और विशाल सुनहरा रेगिस्तान दिखाने के बजाए हरे-भरे छायादार देवदारों के बीच खड़े तिब्बती बौद्ध धार्मिक मंदिर यानी पुराने ऐतिहासिक क्वांग चुंग मठ देखने जा रहे हैं ।

क्वांगचुंग मठ हो लान पर्वत के पश्चिमी भाग में अवस्थित है । क्योंकि वह दक्षिण अलाशानचो जिले में खड़ा हुआ है , इसलिये स्थानीय लोग उसे दक्षिण मठ भी कहते हैं । हरित पर्वतों से घिरा हुआ यह मठ एकदम शांत वातावरण में नजर आता है , मठ में कदम रखते ही पर्यटक ताजी ठंडी हवा महसूस कर सकते हैं । मठ के दक्षिण भाग में एक निर्मल सरिता कल-कल करते हुए बहती नजर आती है ।

लामा ऊलीची को इस क्वांगचुंग मठ में रहते हुए तीस साल हो गये हैं । वे यहां के हरेक पेड़ , घास-फूस व स्थल से बेहद परिचित हैं । उन्हों ने हमारे संवाददाता से कहा कि क्वांगचुंग मठ का निर्माण सन 1758 में हुआ था। क्योंकि वह पर्वत के सहारे निर्मित हुआ है , इसलिये इस मठ की दोनों ओर सीधी खड़ी चट्टानों पर जीती जागती रंगीन मूर्तियां चित्रित हुई हैं और ये सजीव मूर्तियां भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में सब से बड़ा मूर्ति समूह माना जाता है । और कमाल की बात यह है कि इस मठ को घेरने वाले पर्वतों की आठ चोटियां क्वान इन अवलोकितेश्वर का कमलासन मालूम पड़ती हैं और यह क्वांगचुंग मठ ठीक इसी कमलासन के बीचोंबीच खड़ा हुआ है ।

लामा उलीची ने इस मठ का परिचय देते हुए कहा कि पूरे मठ में छोटे व बडे सूत्र भवन , मैत्रेय भवन , औषधी भवन समेत कुल 20 से अधिक भवन हैं। इस के अतिरिक्त बड़े भवन में बुद्ध शाक्यमुनि और लामा बौद्ध धर्म के पीला संप्रदाय के संस्थापक चुंगकपा और उन के शिष्यों की मूर्तियां रखी हुई हैं ।

संयोग की बात है कि जिस दिन हमारे संवाददाता ने इस क्वांगचुंग मठ में प्रवेश किया , उस दिन चीनी पंचांग के अनुसार पूर्णिमा थी , वहां पर आयोजित प्रार्थना सभा में बहुत से लामा सूत्र पढ़ रहे थे । हमारा संवाददाता लामा उलीची के साथ सूत्र भवन में प्रविष्ट हुआ ।

सूत्र भवन में प्रवेश कर लामा उलीची तुरंत ही लामाओं के बीच बैठकर सूत्र सुनाने लगे । जब हमारे संवाददाता ने चारों तरफ नजर दौड़ायी , तो देखा कि बूढे लामा हों या जवान , सभी निष्ठा व लग्न से सूत्र सुन रहे हैं ।

अलाशान क्षेत्र के स्थानीय लोग क्वांगचुंग मठ को एक तीर्थ स्थल मानते हैं , क्योंकि इस मठ में छठी पीढ़ी के दलाई लामा छांगइंगचाजो के पार्थिक शरीर को रखने वाला स्तूप सुरक्षित है , इसलिये यह क्वांगचुंग मठ भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के धार्मिक जगत में विशेष स्थान रखता है । क्वांगचुंग मठ के उप संचालक श्री सुइलाटू ने परिचय देते हुए कहा कि हमारा यह दक्षिण मठ पश्चिम भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश , यहां तक कि समूचे भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में बहुत नामी है । क्योंकि उस का तिब्बती धार्मिक नेता छठी पीढ़ी वाले दलाई लामा छांगइंगकाजो से गहरा रिश्ता है ।

छठी पीढ़ी वाले दलाई लामा छांगइंगकाजो का जन्म 1683 में हुआ था । कहा जाता है कि वे तिब्बत और भारत के बहुत से धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद सन 1716 में अलाशान क्षेत्र के एक चरवाहा परिवार में आ पहुंचे , साथ ही उन्हों ने इसी परिवार के बेटे को अपना प्रथम शिष्य बनाकर बौद्ध सूत्र की दीक्षा दी । अतः अनेक साल बीतने के बाद दलाई लामा छांगइंगकाजो का निर्वाण इसी अलाशान क्षेत्र में हुआ । उन के इस शिष्य ने अपने गुरू छांगइंगकाजो की स्मृति में विशेष तौर पर उन के पार्थिव शरीर को एक स्तूप में रखकर दर्शन के लिये क्वांगचुंग मठ में लगाया । क्वांगचुंग मठ के उप संचालक सुइराटु के अनुसार छांगयांगकाजो के सूत्र-ग्रंथ, फायर और दूसरे पात्र समेत कुछ मूल्यवान ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेष आज भी इसी मठ में अच्छी तरह सुरक्षित हैं ।