विटामिन और लोह यानि लोह तत्व का अभाव विश्वव्यापी सार्वजनिक सवाल बन रहा है । विकसित देशों में कुपौषण को बहुत पहले ही दूर कर लिया गया है , पर विकासमान देशों में बहुत से लोग विटामिन और लोह तत्व के अभाव से ग्रस्त हैं । चीन दुनिया में सब से बड़ा विकासमान देश है , चीनी लोगों को भी विटामिन, लोह तथा आयोडीन तत्व के अभाव का मुकाबला करना पड़ रहा है ।
नागरिकों को स्वस्थ बनाने के लिए चीन के सार्वजनिक चिकित्सा विभाग ने वर्ष 2003 से कुछ क्षेत्रों में लोह तत्व युक्त सोयासॉस का प्रसार करने का प्रयास किया है । सोयासॉस चीनी लोगों के खाने में अनिवार्य है , चीनी लोग न सिर्फ फ्राइड नूडल खाते समय , सब्ज़ी आदि बनाते समय भी सोयासॉस का प्रयोग करते हैं । इधर के वर्षों में इस कार्य में उल्लेखनीय प्रगति हो चुकी है , और लोगों की स्थिति लोह तत्व युक्त सोयासॉस खाकर बहुत सुधरी है ।
लोह तत्व मानव के शरीर में अनिवार्य तत्व है । लोह अभाव से रक्तक्षीणता रोग का जन्म होता है और रोगियों में कमजोरी, रोग-प्रतिरक्षण क्षमता की कमी आदि की स्थिति पैदा हो जाती है । महिलाओं और बच्चों में इस रोग का खतरा अधिक है ।
चीनी रोग रोकथाम व नियंत्रण केंद्र में कार्यरत सुश्री चेन छुन मिंग ने कहा , रक्तक्षीणता रोग से खासकर महिलाओं और बच्चों के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर कुप्रभाव पड़ता है । और उन्हें अगर ऐसा रोग हुआ , तब इस का प्रभाव जिन्दगी भर रहेगा । रक्तक्षीणता रोगियों को लोह तत्व देने के बावजूद शतप्रतिशत बहाली नहीं भी संपन्न हो सकती है । गर्भवती महिलाओं को रक्तक्षीणता रोग होने का खतरा भी अधिक होता है ।
आंकड़े बताते हैं कि चीन में लगभग बीस करोड़ लोग लोह तत्व के अभाव से ग्रस्त हैं , यह एक बहुत गंभीर स्वास्थ्य सवाल भी बना हुआ है । एक अनुसंधान के अनुसार चीनी लोगों में रक्तक्षीणता रोग होने का कारण खाद्य पदार्थों में अधिक वनस्पति का होना है । क्योंकि चीनी लोग दूध और मांस कम, पर चावल, आटा मेदा और सब्ज़ियां आदि अधिक खाते हैं । पर किसी जाति की खान-पान की आदत को बदलना कोई आसान काम नहीं है , पर उन के खाद्य पदार्थों में लोह तत्व की मिलावट करने से सवाल का हल किया जा सकता है ।
पश्चिमी देशों में आटे-मेदे में लोह तत्व की मिलावट की जाती है , इस तरह लोगों के भोजन में लोह तत्व की आपूर्ति हो जाती है । चीनियों के भोजन में सोयासॉस बहुत लोकप्रिय है , ऐसे आदमी जो सोयासॉस नहीं खाते , बहुत कम हैं । इस तरह वर्ष 2003 से चीनी स्वास्थ्य विभाग ने पेइचिंग , क्वेइचो और क्वांगतुंग समेत सात प्रांतों व केंद्र शासित शहरों में लोह तत्व की मिलावट वाली सोयासॉस का प्रसार शुरू किया ।
स्वास्थ्य विभागों की पुष्टि प्राप्त कर चीन के बीस कारोबारों ने लोह तत्व युक्त सोयासॉस का उत्पादन शुरू किया । बाजारों में ऐसी सोयासॉस बहुत दिखाई पड़ती है । स्वास्थ्य विभागों ने समाचार-पत्रों, टीवी व रेडियो तथा इंटरनेट जैसे माध्यमों से रक्तक्षीणता रोग के प्रति सजगता पैदा करने का निरंतर प्रयास किया है ।
लोह तत्व युक्त सोयासॉस के प्रसार से आम लोगों में क्या इस का स्वागत हुआ है , और क्या इसे खाकर लोगों को और स्वस्थ बनाया जा सकता है ? इस सवाल के प्रति चीनी रोग प्रतिरोध व नियंत्रण केंद्र के प्रोफेसर चेन च्वन शी ने कहा , हम ने जैविक निरीक्षण के जरिये इस का पता लगाया है कि लोह तत्व युक्त सोयासॉस खाने से लोगों में रक्तक्षीणता रोग पैदा होने की स्थिति कम होने लगी है । हमारा यह लक्ष्य भी निर्धारित है कि कई वर्षों के प्रयास से चीनी लोगों में रक्तक्षीणता रोगियों की संख्या में 30 प्रतिशत की कमी की जाएगी । और वर्ष 2008 तक देश में 36 करोड़ चीनी लोगों में ऐसी सोयासॉस का प्रसार किया जाएगा। इसतरह देश में रक्तक्षीणता रोग पैदा होने की स्थिति बहुत हल्की बन जाएगी।
प्रयोगात्मक कोशिश के बाद लोह तत्व युक्त सोयासॉस लाभदायक साबित हुई है । चीन के स्वास्थ्य विभागों ने लोगों में यह कोशिश जारी करने का फैसला कर लिया । प्रोफेसर चेन ने कहा , हमारी भावी योजना है कि आगामी कई वर्षों में शानतुंग , चच्यांग और स्छ्वान आदि क्षेत्रों में लोह तत्व युक्त सोयासॉस का जोरदार प्रसार किया जाएगा , ताकि अधिकाधिक लोग ऐसी सोयासॉस खाकर रक्तक्षीणता रोग से दूर रह सकें ।
चीन ने रक्तक्षीणता रोग के मुकाबले में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी जोर दिया है । कुछ समय पूर्व चीन ने विश्व पौषण सुधार संघ के साथ भी सहयोग का मेंमोरेंडम संपन्न किया है। संघ चीन की लोहा मिरावट वाली सोयासॉस योजना के समर्थन में भी पूंजी और तकनीकी सहायता प्रदान करेगा ।
इस संघ के कार्यकारी अध्यक्ष श्री आमोरिनगन ने कहा , हमारा विचार है कि चीन में लोह तत्व युक्त सोयासॉस का प्रसार करने का भारी महत्व है । अभी इसे विश्व पौषण सुधार संघ के लोह तत्व युक्त सोयासॉस योजना में भी शामिल कराया गया है । चीन की योजना पर विश्व का ध्यान आया है , आशा है कि चीन में प्राप्त अनुभवों का दूसरे देशों में भी प्रसार किया जाएगा।
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