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(GMT+08:00) 2007-11-06 20:36:38    
हवा में हूयां पेड़----सुश्री योंछीनजाबू की कहानी

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अनेक पेइचिंग वासियों को अभी भी वर्ष 2002 के वसंत में आए बड़े रेतीले तूफान की याद है। मीडिया के अनुसार, वह तूफान वर्ष 2002 की 14 मार्च को अलाशैन में पैदा हुआ था। 15 मार्च के तीसरे पहर, तूफान पेइचिंग पहुंचा और 49 घंटों तक चला। 30 मार्च को तूफान फिर एक बार पेइचिंग आया और 51 घंटों तक चला । उस तूफान ने पेइचिंग के ऊपर लगभग तीस हजार टन रेत डाली , यानी हर एक पेइचिंग वासी के लिए दो किलोग्राम रेत।

रेतीला तूफान उस वर्ष का सब से चर्चित शब्द बन गया। भीतरी मंगोलिया के पश्चिमी भाग का रेतीला क्षेत्र तुरंत ही लोगों की चर्चा का विषय बन गया। पहले लोगों के लिए अनजान रहे भीतरी मंगोलिया के एक-एक स्थल से लोग परिचित होने लगे। भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित अलाशैन इन में से एक है।

उसी वर्ष चीनी केंद्रीय टी वी स्टेशन ने अलाशैन के अजिना प्रिफेक्चर की कम्युनिस्ट पार्टी मैम्बर सुश्री योंछीनजाबू की कहानी से बनायी गयी हवा में हूयां पेड़ नामक एक टी वी प्रोग्राम का प्रसारण किया। इस प्रोग्राम में प्रमुख पात्र सुश्री योंछीनजाबू ने रेतीले तूफान का निपटारा करने के लिए रोज काम करने से पहले, अपने चार वर्षीय बेटे को पेड़ के पास बांध कर, और बहुत दूर से पानी लाकर पेड़ लगाने का काम किया। लेकिन, गर्मियों के दिनों में उगने वाले छोटे पेड़ तो जल्दी ही तूफान में गुम हो गए। सुश्री योंछीनजाबू रेत पर लेट कर रोयी। लेकिन, कछ समय के बाद, उसने फिर एक बार खड़े होकर फिर एक बार पेड़ लगाने शुरु किए। इस कहानी ने दर्शकों के मनों पर गहरी छाप छोड़ी है।

वास्तव में सुश्री योंछीनजाबू भीतरी मंगोलिया में अनेक ऐसे लोगों में से एक हैं, जो रेतीले तूफान का निपटारा करते हैं , पेड़ उगाते हैं और अपनी जन्मभूमि का संरक्षण करते हैं। भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हमारे संवाददाताओं ने सुश्री योंछीनजाबू के साथ विशेष साक्षात्कार किया।

हमारी गाड़ी अजिना प्रिफेक्चर से रवाना होकर टेढे-मेढ़े रेतीले रास्ते पर चल रही थी। आधे घंटे के बाद हम ने देखा कि सामने अनेक हूयां पेड़ खड़े हैं। हमारे ड्राइवर ने बताया कि ये हैं 20 वर्षों से पहले सुश्री योंछीनजाबू द्वारा उगाये गये हूयां पेड़ । यदि अपनी आंखों से नहीं देखते, तो हम विश्वास नहीं कर सकते थे कि यह सच है।

सुश्री योंछीनजाबू का घर इस हूयां पेड़ों के बीच में है। ऊंचे-ऊंचे हूयां पेड़ हल्की-हल्की हवा में हिल रहे हैं।सुश्री योंछीनजाबू ने हमें 20 वर्षों से पहले रेतीले तूफान का निपटारा करने की कहानी सुनायी।वर्ष 1987 के मार्च में मैं अपनी नौकरी छोड़ कर अपने पति के साथ इस गांव में आयी। उस वक्त चरवाहा क्षेत्र के सभी घास मैदानों के हर एक परिवार को बांटा गया था। चरवाहा बिंबा के घास मैदान पर जहरीली घास उगने की वजह से अनेक वर्षों के लिए इस का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। धीरे-धीरे यहां एक रेतीला क्षेत्र बन गया।मैंने देखा कि यह क्षेत्र अजिना नदी के आसपास स्थित है और पानी का अभाव नहीं है। इसलिए, मैंने इस क्षेत्र को किराये पर ले लिया।

उस समय सुश्री योंछीनजाबू के घर में केवल 270 भेड़ें थीं। वे बहुत कठिनता से जीवन बिता रही थीं। उन के अनुसार,प्राकृतिक पर्यावरण के निरंतर बिगड़ने और जीवन के कठिन होने से मुझे लगा कि मैं मौसम पर निर्भर नहीं कर सकती हूं। मुझे घास मैदान का निर्माण करना है। इसलिए मैंने अपने सभी पैसे लगाकर 600 मीटर लम्बे बांध का निर्माण किया और 16 शाखा नहरें खोदीं, जिस से नदी का पानी घास मैदान में जगह-जगह तक पहुंच सके। मैंने जहरीली घास की सफाई करके श्रेष्ठ घास उगायी। इस के अलावा, मैंने नदियों के पास 700 से ज्यादा पेड़ उगाये।

अपनी मेहनत व साहस से सुश्री योंछीनजाबू ने रेतीली क्षेत्र को हरे मैदान में बदल दिया। पिछले 20 वर्षों से अधिक समय में सुश्री योंछीनजाबू ने एक लाख से ज्यादा पेड़ उगाये हैं और भीतरी मंगोलिया यहां तक चीन के मशहूर रेतीले क्षेत्र का निपटारा करने वाली महिला बन गयी हैं। सुश्री योंछीनजाबू ने क्रमशः वर्ष 1997 और 2002 में चरवाहों के प्रतिनिधि की हैसियत से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 15वीं और 16वीं चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा में भाग लिया।

जब संवाददाता ने पूछा कि उन के लिए जीवन में सब से अविस्मरणीय बात क्या है, तो उन्होंने कहा,मैं कभी नहीं भूल सकती काली नदी का पानी जब जूयेनहाई में बहा। वह दिन है वर्ष 2002 के 17 जुलाई का। चूंकि इस से पहले जूयेनहाई पूरे दस वर्षों तक सूखा था। उसी दिन स्थानीय लोग बहुत खुश थे, वे बार-बार सरकार का आभार प्रकट कर रहे थे।

सुश्री योंछीनजाबू ने कहा कि काली नदी अजिना की जनता के पेय जल और पारिस्थितिकी की बहाली की एक मात्र स्रोत है। वर्ष 2000 में चीनी राज्य परिषद ने काली नदी को बांटने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। वर्ष 2002 की 17 जुलाई को काली नदी ने प्रथम बार पूर्वी जूयेनहाई में प्रवेश किया।अजिना में हमारे संवाददाताओं ने स्थानीय वन ब्यूरो के प्रधान थेन जी कांग से साक्षात्कार किया। उन्होंने कहा,

अजिना हरियाली क्षेत्र थंगली, उलेनबुहो, बादेनजिलिन रेतीली और मंगोलिया का जुंगबी रेत को हमारे देश में रोकने का प्रमुख क्षेत्र है। यदि ये रेतीली क्षेत्र जुड़ते हैं, तो प्रत्यक्ष रुप से हमारे देश के ह पेई प्रांत, नींग श्या पठार यहां तक सारे उत्तर पश्चिमी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए धमकी होंगे।इसलिए, अजिना हरियाली क्षेत्र का संरक्षण का अत्यन्त महत्वपूर्ण रणनीतिक अर्थ है। इसलिए, अजिना क्षेत्र की जनता पेड़ों को अपने जीवन की तरह समझती है और इस हरे क्षेत्र के संरक्षण के लिए अपना कठिन प्रयास करती है। वहां सुश्री योंछीनजाबू की ही तरह अनेक मॉडल उभरे हैं।

आज सुश्री योंछीनजाबू ने दूध से अनेक खाने की चीज़ें बनायी हैं। उन के घर में एक वर्ष की आमदनी 3 लाख से ज्यादा चीनी य्वान तक पहुंची है। इतना ही नहीं, सुश्री योंछीनजाबू अपनी खेती में 1300 से ज्यादा भेड़ों का पालन भी करती हैं।

सुश्री योंछीनजाबू धनी होने के बाद अपने गांव के लोगों को नहीं भूलती हैं। उन्होंने अपनी गांव की वृद्ध देनबा के लिए एक 40 वर्गमीटर से ज्यादा बड़े मकान का निर्माण किया है। पूरे आठ वर्ष, वे बेटी की तरह वृद्ध देनबा की देख-भाल करती रही हैं।

साक्षात्कार में सुश्री योंछीनजाबू ने हमारे संवाददाताओं को रेत में पेड़ उगाने का अनुभव भी बताया। उन के अनुसार,

पेड़ उगाते समय ध्यान दीजिए कि पशु पेड़ को नहीं खाएं। कुछ पेड़ों में वर्ष में एक ही बार पानी डालने की जरुरत है।लेकिन, कुछ पेड़ों को भारी पानी की जरुरत है।

प्रिय श्रोताओं, अब अजिना में हम ने देखा कि हरियाली क्षेत्र दिन ब दिन बढ़ रही है। यह सब सुश्री योंछीनजाबू जैसे अनेक स्थानीय लोगों की मेहनत का नतीजा है। वे लोग रेतीली क्षेत्र में हूयां पेड़ की ही तरह हैं।