आज के इस कार्यक्रम में रोहतास बिहार के मनोज कुमार गुप्ता,विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह और उत्तर प्रदेश के मुहम्मद गुफरानके पत्र शामिल हैं।
रोहतास बिहार के मनोज कुमार गुप्ता का सवाल है चीन का राष्ट्रीय खेल कौन सा है?
चीन में टेबिल-टेनिस सब से लोकप्रिय है।सो वह चीन का राष्ट्रीय खेल कहा जा सकता है। सन् 1959 की 5 अप्रैल को जर्मनी के डोडमुंज नगर में 25वीं विश्व टेबिल-टेनिस चैंपियनशिप में चीनी खिलाड़ी रूंग क्वो-थ्वान पुरूष सिंगल्स के खिताब पर कब्जा करने में सफल रहे।यह खेलों के इतिहास में चीन का प्रथम स्वर्ण-पदक था।खबर पाते ही देश में भी खुशी की लहर दौड गईं और टेबिल-टेनिस खेलने में लोगों का उत्साह भी बहुत बढ गया।तब से हर कहीं लोगों को टेबिल-टेनिस खेलते देखा जा सकता था।तब से ले कर अब करीब 50 साल बीत चुके हैं।आज चीन में टेबिल-टेनिस के अलावा अनेक खेलों का बड़ा विकास हुआ है और अभी भी हो रहा है।लेकिन अब लोगों की रूचि व कोशिश और उत्साह केवल टेबिल-टेनिस पर केंद्रित नहीं रह गया है।
मनोज कुमार गुप्ता यह भी जानना चाहते हैं कि चीन में कितनी जातियां हैं?
चीन एक एकीकृत बहुलजाति वाला देश है,जिस में 56 जातियां हैं।हान जाति उन में सब से बड़ी है यानि कि उस की आबादी देश की कुल जनसंख्या का 91.6 प्रतिशत भाग बनती है।आम तौर पर चीन में अन्य 55 जातियों को अल्पसंख्यक जातियां कहकर पुकारा जाता है।वे हैं च्वांग,मनचू,म्याओ,वेवूर,ली,थूच्या,मंगोल,तिब्बती,पूई,तुंग,याओ,कोरियाई,पाई,हानी,
ली-चू,कज्ज़ाक,ताई,श-चू,लीसु,आईलाओ,लाकू,तुंगश्यांग,वा-चू,श्वे-चू,नाशी,माओनान,ताजक,शिपो,मूलाओ,कल्कज़,ताहार औऱ चिनपो,साला,पुलांग,माओनान,ताजिक,भूमी,आछांग,
नू-चू.अवनख,चिंग-चू,चीनो,तआंग,उज़बेक,रूसी,यूकू,पाओआन,मनबा,अलुनछुन,तुलुंग,तातार,हज्ह,काओशान और ल्वोपा।
विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह ने `तंग श्याओ-पिन के सिद्धांत `की जानकारी देने का अनुरोध किया हैं।
तंग श्याओ-पिन का सिद्धांत चीनी विशेषता वाले समाजवाद के बारे में श्री तंग श्याओ-पिन द्वारा प्रस्तुत सिंद्धांतों का संक्षिप्त संबोधन है।
श्री तन श्याओ-फपिन का जन्म सन् 1904 में हुआ था और निधन सन् 1997 में।वह चीन लोक गणराज्य की दूसरी पीढ़ी के नेतृत्वकारी समूह के एक प्रमुख नेता थे,जिन्हें चीनी सुधार व खुलेपन-कार्य के महान डिजाइनर कहकर पुकारा जाता है।
चीन में समाजवादी निर्माण के नए दौर में श्री तंग श्याओ-पिन ने अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों और वैश्विक परिदृश्यों का अच्छी तरह अध्ययन करने के बाद देश की वास्तविक स्थिति से मेल खाने वाली राष्ट्रीय विकास की नई राह खोजी और इस राह पर चलते हुए देश को सुधार व खुलेपन तथा आधुनिकीकरण-कार्य में भारी उपलब्धियां हासिल हुईं हैं।इस ऐतिहासिक दौर में जो सिद्धांत लागू किए गए,वे चीन के समाजवादी आधुनिकीकरण को जीत की ओर ले जा सकने वाले सिद्धांतों के रूप में साबित हुए हैं।चीनी विशेषता वाले इन समाजवादी सिद्धांतों को तंग श्याओ-पिन के सिद्धांत कहा जाता है।
तंग श्याओ-पिन के सिद्धांत विचारों की मुक्ति और तथ्यों के आधार पर सही खोज करने के वैचारिक रास्ते पर कायम रहने वाले सिद्धांत हैं।इस सिद्धांत में प्रस्तुत नए विचारों ने मार्क्सवाद,लेनिनवाद और माओ त्से-तुंग विचारधारा को समृद्ध बनाया है।इसलिए वह आधुनिक दौर में चीन का मार्क्सवाद या मार्क्सवाद का चीन में नया विकास माना गया है।
तंग श्याओ-पिन का सिद्धांत चीनी जनता द्वारा व्यवहार में प्राप्त अनुभवों और उस की सामूहिक बुद्धि का सुफल है तथा चीनी विशेषता वाले समाजाद के निर्माण के दौरान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का कार्य-निर्देशक भी है।
उत्तर-प्रदेश के मुहम्मद गुफरान का सवाल है चीन में कितने स्टेडियम हैं ?और यहां पर कितनी बार ऑलंपियाड और एशियाड का आयोजन हुआ है?
चीन में स्टेडियमों की संख्या सैंकड़ों में है।सिर्फ पेइचिंग में बड़े पैमाने वाले स्टेडियमों की तादाद बीसेक है।क्वांगतु,च्यांगसू और ल्याओनिंग आदि प्रांत खेलकूद की दृष्टि से चीन में अग्रणी हैं और वहां स्टेडियमों की सख्या पेइचिंग से कहीं अधिक है।
चीन में अब तक ऑलम्पियाड का कभी आयोजन नहीं हुआ है,पर अगले वर्ष यानि वर्ष 2008 में 29वें ऑलम्पियाड का आयोजन पेइचिंग में होगा।
वर्ष 1990 में 11वां एशियाड पेइचिंग में आयोजित हुआ था।उस में मशहूर भारतीय खिलाड़िन `उड़नपरी` ऊषा ने 200 मीटर दौड की स्पर्द्धा में कांस्य पदक जीता था।
ध्यान रहे कि सन् 2010 में 16वें एशियाड का दक्षिणी चीन के क्वांगचो शहर में आयोजन किया जाएगा। इस के लिए तैयारी-कार्य शुरू हो गया है।
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