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(GMT+08:00) 2007-11-01 09:56:45    
चीन की 2007 वर्ष के आर्थिक बढ़ोत्तरी दर 8 प्रतिशत करना चाहता है

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चीन की 2007 वर्ष के आर्थिक योजनानुसार चीन अपनी आर्थिक बढ़ोत्तरी दर को 10.7 प्रतिशत से 8 प्रतिशत करना चाहता है। इस बात को प्रधानमंत्रि वन चियापाओ ने अपने सरकारी कार्य रिपोर्ट में रखा। प्रधानमंत्रि ने कहा की चीन को एक सुदृढ़ एवं तेज गति के आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा की हमें न सिर्फ आर्थिक प्रगति पर ध्यान देना चाहिए बल्कि प्रगति के गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए।

चीन की कंस्युमर प्राईस इंडेक्स ( CPI), जो अंतर्राष्ट्रीय स्थर पर मुद्रास्फीति को मापने का इंडेक्स माना जाता है, में सन् 2005 के मुकाबले पिछले वर्ष 1.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जो 0.3 प्रतिशत पिछले वर्ष के मुकाबले कम हैं।

पिछले वर्ष चीन में 11.84 मिलियन नये रोजगार, शहरों और गांवों में उपलब्ध कराये गये, जो पिछले 15 वर्षों में एक रिकार्ड माना जा रहा है। ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय सरकार ने खेती, ग्रामीण विकास और किसानों के हालात में सुधार लाने के लिए पिछले वर्ष की गयी खर्च में, सन् 2005 के मुकाबले, 14 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, जो अंकों के आधार पर 42.2 बिलियन युआन( 5.3 बिलियन युआन माना जा रहा है। इसके अलावा खेती और खेती पर आधारित पदार्थों पर से कर का बोझ पूरे तरीके से हटा दिया गया है। किसानों को और ग्रामीण क्षेत्रों में वास करने वालों के ऊपर से कर का बोझ 2600 वर्षों के बाद आखिरकार हटा दिया गया।

पिछले वर्ष सन् 2006 में शहरीवासियों में खर्च करने वाली आय में पर केपिटा के आधार पर 11,759 युआन हो गयी है,और ग्रामीणवासियों के पर केपिटा नेट आय 3,587 युआन बतायी गयी है, जो सन् 2005 के तुलना में 10.4 प्रतिशत और 7.4 प्रतिशत ज्यादा है।

इस वर्ष के योजनानुसार चीनी सरकार शहरों में बेरोजगारी दर को 4.6 प्रतिशत से नीचे लाने के हेतु कई नये कदम उठाने वाली हैं। लेकिन उपलब्धियों के अलावा कुछ ऐसे विषय भी हैं जो चिंता का विषय बने हुए हैं। चिंता के दो मुख्य कारण हैं ऊर्जा और पर्यावरण। ऊर्जा के इस्तेमाल में कटौती लाने के लक्ष्य चीन ने रखा था वो लक्ष्य हासिल करने में असफल रहा है। पर्यावरण के लक्ष्यों को भी हासिल करने में भी सफलता हाथ नहीं लगी है। इसके अलावा अमीरों और गरीबों के आय में अंतर, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंध समस्याएँ चिंता का विषय है।

ये बढ़ोत्तरी सन् 2005 के तुलना में 0.3 प्रति शत ज्यादा है। चीन ने हाल ही में वर्ष 2005 में उसके जी डी पी में हुई वृद्धि को 10.4 प्रति शत बताया जो प्रारम्भिक आंकनों के अनुसार 9.9 प्रतिशत थी।

चीन की जी डी पी में वृद्धि, एन बी एस के कमिशिनर शिए फुचान के अनुसार, सन् 2006 में पहले के तीन माह से लेकर आखिरी के तीन माह तक क्रमश: 10.4, 11.5, 10.6 और 10.4 प्रतिशत थी।

चीनी सरकार के द्वारा रचनात्मक कदम लिये जाने के वजह से चीन की अर्थ व्यवस्था में ओवरहिटिंग की समस्या उत्पन्न नहीं हुई।

चीन की प्रारम्भिक, द्वितियक, और तीसरे क्रम के क्षेत्रों का योगदान क्रमश: 2.47 ट्रिलियन, 10.2004 ट्रिलियन और 8.27 ट्रिलियन युआन था। जैसे की आंकनों से साफ जाहिर है,चीनी अर्थ-व्यवस्था की द्वितियक क्षेत्र में,शिए फुचान ने जानकारी दी, सर्वाधिक वृद्धि यानि 12.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। चीन की सी पी आई में 1.5 प्रतिशत कि बढ़ोत्तरी हुई। चीन में घरों की दरों में मध्य से बड़े शहरों में सन् 2006 में सन् 2005 के मुकाबले 5.5 प्रतिशत कि वृद्धि हुई और इस बढ़ोत्तरी के दर में 2.1 प्रतिशत कि गिरावट आयी है।

सम्पत्ति विकास में पूंजि निवेश 1.938 ट्रिलियन युआन तक आ पहुँची, जो 21.8 प्रतिशत कि वृद्धि है, या 0.9 प्रतिशत पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक है। चीनी ग्रामों में और शहरों में उपभोक्ताओं की पर केपिटा खर्च करने वाली आय में रिकार्ड वृद्धि हुई हैं।

चीन के शहरों में वास करने वाले लोगों में, पर केपिटा, उपयोग के लिए उपलब्ध आय में सन् 2005 के मुकाबले 12.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह ग्रामवासियों में पर केपिटा, उपयोग के लिए उपलब्ध आय में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

शहरों में सूचिबद्ध रोजगारी दर 2006 के अंत में 4.1 प्रतिशत थी। चीन की आर्थिक विकास पिछले कुछ वर्षों से सराहनीय रही है। इस विकास से कई लोगों को फायदा पहुँचा है लेकिन अभी भी कई ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां अभी भी लोग गरीबी में जिंदगी बसर कर रहे हैं और उस समय का इंतजार कर रहे हैं जब आर्थिक विकास के फायदे उन तक पहुँचे। चीन की आर्थिक विकास का श्रेय स्वर्गिय नेता तंग षियाओफिंग, वर्तमान राष्ट्रपति हु चिनथाओ और प्रधान मंत्री वन चियापाओ को जाता है जिनके नेतृत्व से चीन की आर्थिक विकास दिन पर दिन और तेज होती जा रही है। इसका श्रेय उन सभी देशों को भी जाता है जो चीन की आर्थिक विकास में अपना योगदान दी हैं।