तो मित्रो , भितरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के अल्शान पर्वत पर्यटन क्षेत्र में गर्म चश्मा देखने के बाद अब हम आप को अल्शान के ज्वालामुखी के खण्डहर देखने ले चलते हैं । अल्शान का हालाहा ज्वालामुखी समूह मंगोलिया गणराज्य के हारचिंगर ज्वालामुखी समूह से जुड़ा हुआ है और वह चीन के प्रसिद्ध ज्वालामुखी समूहों में से एक है । थ्येनछी झील अल्शान की अनगिनत ज्वालामुखी झीलों में से एक है। वह समुद्र सतह से एक हजार तीन सौ मीटर से अधिक ऊंची चोटी पर अवस्थित है । झील का हल्के नीले रंग का पानी एकदम स्वच्छ नजर आता है।ठंडी हवा के कोमल झौंकों से पर्यटकों को बड़ा मजा आता है । दक्षिण चीन के क्वांगतुंग प्रांत से आये पर्यटक ल्यू हाओ भी इस अनौखे दृश्य से प्रभावित हो गये हैं ।
उन का कहना है कि यह कमाल की बात है। मानो यहां मानव जाति का कोई नामोनिशान कभी भी नजर नहीं आता है । कहा जाता है कि हर सुबह अलशान शहर के बहुत से वासी पानी भरने और हाथ मुंह धोने के लिये प्रसिद्ध पाच मील चश्मे जाते हैं । इस चश्मे का पानी प्रत्यक्ष रूप से पिया जाता है । इस चश्मे का पानी साल भर में तीन से पांच सेल्सिलस डिग्री तक बरकरार रहा है और वह हृदय रोग , उच्च रक्तचाप और मैदा रोग जैसे रोगों के उपचार में काफी असरदार साबित हुआ है । छीछीक नामक महिला मंगोल जाति की है , वह विशेष तौर पर इस प्रदेश के शिलिनकोर जिले से अलशान विश्रामगृह आयी है । उसे ने हमारे संवाददाता से कहा कि मैं हर सुबह जल्दी उठकर यहां आ कर चश्मे का पानी पीती हूं और नहाती हूं । चश्मे का पानी मेदे के लिये फायदेमंद है । पहले मेरा मेदा ठीक नहीं था , ठंडी चीज खायी नहीं जा सकती थी , अब ठीक हो गया है । पहले मेरे पैर में दर्द था , अब मूल रूप से भी चंगा हो गया है ।
गाइड सुश्री छन हुंग य्वान ने इस झील का परिचय देते हुए कहा कि यह ज्वालामुखी मुंह झील माल झील भी कहलाती है , झील के चारों तरफ ज्वालामुखी मुंह की दीवारें कई मीटर से दसियों मीटर ऊंची हैं । सुश्री छन हुंग य्वान ने हमें बताया कि यह थ्येन छी झील इसीलिये अल्शान क्षेत्र में विख्यात है कि इस झील के कई रहस्य आज तक भी बने हुए हैं ।
उन का कहना है कि सब से पहले इस झील की गहराई मापी नहीं जा सकती है । 2004 में कुछ विशेषज्ञों ने कोशिश की पर वे इस की गहराई मापने में विफल रहे। दूसरे, इस झील के पानी का स्रोत अपरिवर्तनीय है , झील का पानी आने और बाहर निकलने का कोई मुंह नहीं है । तीसरा रहस्य यह है कि इस झील में एक भी मछली नहीं है , यदि जानबूझकर मछली झील में डाली जाए , तो वह जिंदा नहीं रह सकती । विमान से देखें , तो यह झील एक सफायर की तरह पर्वतों के बीच जड़ी हुई जान पड़ती है , और बहुत सुंदर लगती है।
ज्वालामुखी के खण्डहर देखने के बाद कार्स्ट फीचर्स देखना भी जरूरी है । शह थांग पत्थर जंगल अल्शान की थ्येन छी झील से दूर नहीं है और वह बहुत पहले ज्वालामुखी के फूटने से निकले मागमा से बना हुआ है । फिर हजारों सालों की हवाओं व वर्षा के थपेड़ों और सरिताओं के बहाव से वर्तमान शह थांग पत्थर जंगल का यह अनौखा प्राकृतिक भू दृश्य देखने को मिलता है कि कुछ पत्थर आकाश से बात करते हुए लम्बी तलवार की मानिंद तने खड़े हैं , कुछ भीषण लड़ाई लड़ रहे बहादुर यौद्धा जान पड़ते हैं और अन्य कुछ पागलपन से गुर्राते शेर नजर आते हैं ।
और बड़े अजीब की बात यह भी है कि शह थांग पत्थर जंगल क्षेत्र में अधिक जमीन न होने पर भी घने छायादार शिंग आन चीढ़ उगे हुए हैं और इन पेड़ों की मोटी-मोटी जड़ें ज्वालामुखी के लावाओं के बीच एक दूसरे से लिपटी हुई नजर आती हैं ।
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