चीन के स्वनिर्मित चांद का चक्कर लगाने वाला प्रथम उपग्रह छांग अ नम्बर एक का प्रक्षेपण 24 अक्तूबर की शाम को छह बज कर पांच मिनट पर पश्चिमी चीन के शीछांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से सफलतापूर्वक किया गया । चीन का स्वनिर्मित छांग अ नम्बर एक चीन निर्मित छांगजंग नम्बर तीन ऐ राकेट से प्रक्षेपित किया गया । योजनानुसार 5 नवम्बर को को उपग्रह पृथ्वी से चाल लाख किलोमीटर दूर चांद कक्षा में पहुंचेगा और इस के बाद नवम्बर के मध्य में चांद का प्रथम चित्र भेजेगा । इस के बाद उपग्रह चंद्र के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए लगातार एक साल तक काम करेगा । चीनी वैज्ञानिकों के अनुसार छांग अ नम्बर एक उपग्रह चंद्र का चक्कर लगाने वाली सर्वेक्षण परियोजना के लक्ष्यों में चंद्र के त्रि-आयामी चित्रों की प्राप्ति, चंद्र पर रासायनिक तत्वों के फैलाव का विश्लेषण तथा पृथ्वी व चंद्र के बीच अंतरिक्ष पर्यावरण का सर्वेक्षण करेगा । नीचे होती है चीनी अंतरिक्ष तकनीकों के विकास इतिहास की कुछ जानकारी ।
हाल ही में चीन ने स्वनिर्मित राकेट छांगचंग-तीन से दक्षिण- पूर्वी चीन के सिछांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से फ्रांस निर्मित एशिया- प्रशांत-छै नामक सूचना उपग्रह को उसकी निश्चित अंतरिक्ष कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। यह पिछले छै सालों में चीन द्वारा किया गया प्रथम व्यापारिक उपग्रह प्रक्षेपण रहा। वास्तव में चीन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक उपग्रहों के साथ सूचना उपग्रह जैसे विभिन्न किस्मों के उपग्रहों के प्रक्षेपण की क्षमता हासिल है । चीन ने वर्ष 1985 से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उपग्रह प्रक्षेपण सेवा प्रदान करनी शुरू कर दी थी। अब तक चीन स्वनिर्मित छांगचंग राकेट से 30 से अधिक विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित कर चुका है। विश्व बाजार की अन्यायपूर्ण प्रतिस्पर्द्धा की वजह से इन छै सालों में चीन के अनेक व्यापार प्रक्षेपण अनुबंध रद्द हुए। चीनी उड्डयन विज्ञान व तकनीक समूह के उप महानिदेशक श्री मा शींगरे के अनुसार, चीन ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रवेश करने की बहुत कोशिश की । इससे चीन निर्मित छांगचंग श्रृंखला के राकेट निश्चित रूप से उन्नत हुए। वर्ष 1996 से अब तक छांगचंग राकेटों से हुए सभी 42 प्रक्षेपण सफल रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में दूसरे राकेटों की तुलना में चीन के छांगचंग राकेट की सेवा का दाम अपेक्षाकृत उचित सिद्ध हुआ है।
उपग्रह प्रक्षेपण की सफलता, अंतरिक्ष सर्वेक्षण व नियंत्रण तकनीक आदि पर निर्भर होती है। चीन ने उपग्रह सर्वेक्षण केंद्र तथा समुद्री सर्वेक्षण जहाज़ पर आधारित आधुनिक अंतरिक्ष सर्वेक्षण व नियंत्रण जाल स्थापित किया है, जिसका तकनीकी स्तर विश्व की अग्रिम पंक्ति में है। राकेट के साथ चीन ने उपग्रह उत्पादन की तकनीक के विकास का प्रयास किया। अब चीन विभिन्न किस्मों के सूचना उपग्रह, संसाधन सर्वेक्षण उपग्रह , दिशानिर्देशक उपग्रह तथा मौसम उपग्रह का उत्पादन करने की क्षमता प्राप्त कर चुका है। चीन निर्मित नये किस्म के तुंगफांगहूंग सूचना उपग्रह का विश्व बाजार में व्यापक स्वागत हुआ है।
चीन के एशिया-प्रशांत-छै उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने तथा हाल ही में नाइजरिया को सूचना उपग्रह प्रदान करने के बाद , अंतर्राष्ट्रीय उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में चीन का नाम फिर से चमकने लगा है। बहुत सी विदेशी कंपनियों ने चीन के साथ उपग्रह प्रक्षेपण सेवा में सहयोग पर विचार करना शुरू किया है। चीनी उड्डयन विज्ञान व तकनीक समूह के उप महानिदेशक श्री मा शींगरे का कहना है, चीन अब नये किस्म के राकेट का अनुसंधान कर रहा है, जिस की निम्न कक्षाओं के लिए उपयोगी परिवहन क्षमता 25 टन तक होगी और उच्च कक्षाओं के लिए परिवहन क्षमता 14 टन तक जा पहुंचेगी। इन वाले राकेटों की प्रदूषणमुक्त तकनीक बहुत उन्नत है।
पश्चिमी चीन स्थित शीछांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में शीछांग केंद्र प्रति वर्ष छै से आठ उपग्रह प्रक्षेपित करने में सक्षम है। एक उपग्रह को प्रक्षेपित करने से पहले उसके निरीक्षण के लिए 35 दिनों की जरूरत होती है। केंद्र में अब बुनियादी उपकरणों तथा साज-सामानों में सुधार किया जा रहा है नम्बर । इस काम की समाप्ति के बाद किसी उपग्रह के निरीक्षण के लिए सिर्फ तीस दिनों की आवस्यकता होगी। इस तरह भविष्य में यहां से हर साल दस उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जा सकेगा। गत वर्ष चीन द्वारा विकसित छांग चन नम्बर तीन वाहक राकेट ने एशिय-प्रशांत नम्बर 6 दूर संचार उपग्रह प्रक्षेपित करने में सफलता प्राप्त की। गत 1999 के बाद चीन द्वारा किया गया यह प्रथम व्यापारिक उपग्रह प्रक्षेपण था। खबर है कि चीन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष बाज़ार के विस्तार के लिए व्यापारिक उपग्रह के प्रक्षेपण के अपने स्तर को उन्नत करने की कोशिश कर रहा है।
छांग चन नम्बर तीन वाहक राकेट दूर संचार उपग्रह प्रक्षेपित करने में इस्तेमाल होने वाला सबसे बड़ा वाहक राकेट है। 5100 किलो वज़न वाला यह राकेट उपग्रह को पृथ्वी की समकालिक कक्षा में पहुंचाने में समर्थ है। छांग चन नम्बर तीन वाहक राकेट का यह छठा प्रक्षेपण था। इस राकेट में एशिया-प्रशांत नं0 6 उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए अनेक तकनीकी सुधार किये गये।
एशिया-प्रशांत नम्बर 6 दूर संचार उपग्रह का निर्माण फ़्रांस की अल्काटेल अंतरिक्ष कंपनी ने किया। इस का संचालन हांगकांग की एशिया-प्रशांत दूर संचार उपग्रह कंपनी करेगी। गत 1999 के बाद चीन का यह प्रथम व्यापारिक प्रक्षेपण था। चीन के उपग्रह प्रक्षेपण निरीक्षण व नियंत्रण विभाग के उप प्रधान वांग वनपाओ ने कहा कि यह प्रक्षेपण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष बाज़ार के विस्तार के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। श्री वांग वन पाओ ने कहा कि एशिया-प्रशांत नं0 6 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण ने ज़ाहिर किया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक उपग्रह प्रक्षेपित करने की चीन की क्षमता और अधिक बढ़ गई है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक उपग्रहों के प्रक्षेपण बाज़ार के विस्तार, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने तथा बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में नया योगदान करने में भारी महत्व रखता है । छांग चन श्रृंखला के चीनी राकेटों ने गत 1985 से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में प्रवेश करने के बाद इस किस्म के कुल 24 प्रक्षेपण किये। चीन ने अपनी शक्ति पर निर्भर रह कर राकेट की गुणवत्ता उन्नत करने की कोशिश की। वर्तमान में चीन का नया दूर संचार उपग्रह तुंग फ़ान होंग नं0 4 दूर संचार उपग्रह भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रवेश कर चुका है।
खबर है कि चीन का वाहक राकेट न सिर्फ़ उपग्रह प्रक्षेपण कर सकता है, चीन में बने उपग्रह भी बहुत से देशों विशेष कर तीसरी दुनिया के देशों की सेवा कर सकते हैं। पहले चीन सिर्फ़ उपग्रह प्रक्षेपण की सेवा करने में समर्थ था लेकिन अब उपग्रह राकेट आदि की सेवाएं भी प्रदान कर सकता है। हाल के वर्षों के चीन के अंतरिक्ष कार्य के विकास, चीनी समानव अंतरिक्षयान के सफल प्रक्षेपण तथा छांग चन श्रृंखला के राकेटों के निरंतर 42 सफल प्रक्षेपणों से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार के निरंतर विस्तार को प्रबल समर्थन मिला है।
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