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(GMT+08:00) 2007-10-22 16:26:29    
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का केंद्रीय पोलित ब्यूरो,विश्व में सब से बड़ा रेडियो

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आज बिहार के सत्य प्रकाश चौहान व उन के साथियों और रोहतास बिहार के हाशिम आजाद के प्रश्नों का उत्तर दिया जा रहा है।

बिहार के सत्य प्रकाश चौहान और उन के साथी पूछते हैं कि विश्व में सब से बड़ा रेडियो स्टेशन कहां हैं ? और इस में सीआरआई का कौन सा स्थान है?

इस समय विश्व में सब से बड़ा रेडियो स्टेशन वाईस आफ़ अमरीका या वीओए है, जिस का मुख्यालय वाशिंग्टन में है।वह प्रतिदिन करीब 40 भाषाओं में विश्व के विभिन्न क्षेत्रों तक अपने कोई 150 घंटों के कार्यक्रम पहुंचाता है। उस का रोजाना हिन्दी प्रसारण डेढ घंटे का है और रोजाना चीनी प्रसारण 12 घंटों का। यह रेडियो स्टेशन अपनी ज़रूरतों के अनुसार अक्सर प्रसारण के समय बदलता रहता है।

विश्व के रेडियो जगत में हमारा सीआरआई तीसरे स्थान पर है। वह प्रतिदिन 38 विदेशी भाषाओं और 4 स्थानीय बोलियों में कार्यक्रम प्रसारित करता है। इधर के कुछ वर्षो में हमारे रेडियो को श्रोताओं से जो पत्र मिले हैं,उन की संख्या वीओए से कहीं अधिक रही है।

रोहतास बिहार के हाशिम आजाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय पोलित ब्यूरो के बारे में जानना चाहते हैं।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का केंद्रीय पोलित ब्यूरो पार्टी के केंद्रीय संगठनों और केंद्रीय नेतृत्वकारी संस्थाओं का कुंजीभूत अंग है।सन् 1927 के अप्रैल में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पांचवी राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा में अपने केंद्रीय पोलित ब्यूरो की स्थापना की।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का केंद्रीय पोलित ब्यूरो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी द्वारा निर्वाचित किया जाता है। पार्टी की 12वीं राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा के बाद लागू संशोधित पार्टी-चार्टर में यह प्रावधान है कि पार्टी की केंद्रीय कमेटी का पूर्णाधिवेशन केंद्रीय पोलित ब्यूरो द्वारा प्रतिवर्ष कम से कम एक बार आयोजित किया जाता है।केंद्रीय पोलित ब्यूरो और उस की स्थाई समिति पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पूर्णाधिवेशन का आयोजन न होने के दौरान केंद्रीय कमेटी के कतव्य निभाती है।केंद्रीय पोलित ब्यूरो नियमित रूप से केंद्रीय कमेटी को कार्य-रिपोर्ट देता है।

केंद्रीय पोलित ब्यूरो सामूहित नेतृत्व के सिद्धांत पर चलता है। उस का हर सम्मेलन पार्टी की केंद्रीय कमेटी के महासचिव द्वारा बुलाया जाता है। केंद्रीय पोलित ब्यूरो को वफादारी से पार्टी की राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा द्वारा तय की गईं सभी नीतियों और सिद्धांतों पर अमल करना चाहिए। केंद्रीय पोलित ब्यूरो द्वारा केंद्रीय नेतृत्वकारी संस्थाओं के नेताओं के पदोन्नति व तबादले एवं प्रमुख पार्टी-मामलों के बारे में किए जाने वाले फैसलों को पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पूर्णाधिवेशन से अनुमोदन प्राप्त करने की जरूरत है।

बिहार के सत्य प्रकाश चौहान और उन के साथियों का सवाल है क्या चीन पर किसी दूसरे देश का शासन रहा है ?

दोस्तो,इतिहास में चीन अनेक विदेशी ताकतों के आक्रमणों की चपेट में आकर अर्ध उपनिवेशक और अर्ध सामंती देश बना ।इसलिए पूरे चीन पर एक ही नहीं,बल्कि कई देशों का शासन रहा ।लेकिन वे संयुक्त शासन के बजाए चीन को टुकड़ों-टुकड़ों में बांट कर उन में अपना-अपना शक्ति-क्षेत्र स्थापित कर अपने-अपने कानूनों के अनुसार उन पर शासन करते रहे।

चीन पर सर्वप्रथम आक्रमण हुआ ब्रिटेन का। चीन के खिलाफ़ ब्रिटेन द्वारा छेडे युद्ध को इतिहास में अफीम युद्ध का नाम दिया गया है। क्योंकि ब्रिटेन ने अफीम के व्यापार को लेकर ही चीन के विरुद्ध आक्रमणकारी युद्ध छेडा था।यह युद्ध सन् 1840 में शुरू हुआ और सन् 1842 तक चला। इस युद्ध से ही चीन एक अर्ध उपनिवेशक और अर्ध सामंती देश बना और ब्रिटेन ने चीन के क्वांगचो,शाँघाई और नानचिंग पर शासन शुरू किया ।19वीँ शताब्दी के अंत में 8 विदेशों ने संयुक्त रूप से चीन पर आक्रमणक किया। फलस्वरूप जर्मनी ने पूर्वी चीन के छिंगताओ व ताल्यैन शहरों पर कब्जा कर लिया,फ्रांस औऱ ब्रिटेन ने चीन के अधिकतर शहरों,रूस व जापान ने चीन के कुछ उत्तर पश्चिमी व उत्तर पूर्वी प्रांतों को अपने कब्जे में ले लिया और उन पर अपना शासन शुरू किया। ध्यान रहे सन् 1931 में जापानी सैन्यवादी ताकतों ने फिर उत्तर पूर्वी चीन के तीन प्रांतों पर कब्जा कर वहां एक कठपुतली राज्य भी स्थापित किया। सन् 1937 में उस ने चीन के अन्य भागों की ओर पंजा बढाया।उसी साल 7 जुलाई को जापान ने चीन के खिलाफ चौतरफा युद्ध छेड़ दिया। इस प्रकार उस ने चीन के आधे से अधिक भाग को अपने कब्जे में कर लिया और उस पर अपना शासन लागू करना शुरू किया।यह शासन सन् 1945 में चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध की विजय के साथ-साथ समाप्त हुआ।

उधर ब्रितानी,फ्रांसीसी,जर्मन और रूस आदि उपनिवेशक शासक इस युद्ध के शुरूआती व मध्यकाल में ही स्वदेश लौटे थे।