उत्तर चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के घास मैदान में रहने वाले अनेक लोग चरवाहागिरी का काम करते हैं। उन के परिवार में महिलाएं घर का काम-काज़ करने के साथ-साथ चरवाहागिरी के काम की भी महत्वपूर्ण शक्ति बन गयी हैं। आज के इस कार्यक्रम में हम आप लोगों के साथ उत्तरी मंगोलिया के श्रिंकोल में प्रवेश करेंगे और वहां की कई महिलाओं से मिलेंगे।
सुश्री टोया की उम्र 30 की है। लाल-लाल चेहरे से उन का अच्छा स्वास्थ्य झलकता है।चूंकि चरवाहों के जीवन के प्रति हमारी बड़ी दिलचस्पी है इसलिए पूछने पर उन्होंने अपने रोजाना काम के बारे में हमें जानकारी दी। सुश्री टोया बहुत शर्मीली हैं, हालांकि वे हमारी चीनी समझती हैं, फिर भी उन्होंने मंगोलियाई भाषा में हमारे सवालों के जवाब दिए।रोज सुबह मैं लगभग पांच बजे उठती हूं। इस के बाद मैं अपने परिवार के लिए दूध से कुछ खाने की चीजें बनाती हूं। दिन में हर दो घंटों में एक बार गाय से दूध निकालती हूं और रोज छह बार ऐसा काम करती हूं।
वास्तव में विवाह से पहले उसे इसी तरह के जीवन की आदत रही है। जबकि अब इन कामों के अलावा, उसे छह साल के छोटे बेटे की देखभाल भी करनी होती है। रोज वे इसी तरह घर में व्यस्त रहती हैं।
सुश्री टोया जैसी महिलाएं भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के घास मैदान में अनेक हैं। लेकिन स्थानीय समाज की प्रगति एवं सांस्कृतिक स्तर के उन्नत होने के साथ-साथ, ज्यादा से ज्यादा स्थानीय मंगोलियाई जाति की महिलाएं चरवाहागिरी के उत्पादन काम में भाग लेने लगी हैं और सफलताएं भी मिली है। अरदंबाओलिग गांव की प्रधान एवं गांव की कम्युनिस्ट पार्टी की कमेटी की सचिव दोनों महिलाएं हैं।
इस गांव की प्रधान सुश्री अरदंगरिल हैं। वह टोया की ही तरह केवल तीसेक साल की हैं।जब हम अरदंगरिल के घर पहुंचे, उन के घर की मेज पर दूध से बनाया गया तोफू, घी और दूध चाय आदि भिन्न-भिन्न किस्म के खाने की चीज़ें रखी हुई थीं। उन्होंने कहा कि ये सब घर की महिलाओं द्वारा बनाया गया खाना है। घास मैदान का दौरा करते समय खाने में इन की जरुरत पड़ती है।
सुश्री अरदंगरिल के घर में कुल पांच लोग हैं। दंपति के अलावा, उन के पति की मां और एक अढ़ाई वर्ष का बेटा है।घर में आदमियों की संख्या के अनुसार, उन के घर को 10300 मू , यानी 686 हेक्टर वाला घास का मैदान दिया गया है।हमारे यहां लगभग हर एक आदमी को 2200 से ज्यादा मू का घास मैदान दिया गया है। वर्ष 1983 और 1984 में पशुओं का भी हर एक परिवार में बंटवारा किया गया था। वर्ष 1991 में हर परिवार को घास मैदान दिया गया था।
इस के बाद चरवाहों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है। महिला प्रधान सुश्री अरदंगरिल ने परिचय देते समय बताया ,परिवर्तन आये हैं, वे बहुत स्पष्ट हैं। शुरु में सभी आय गांव के लिए होती थी। लेकिन, अब परिवर्तन आया है। यदि आप मेहनत करते हैं, अच्छी तरह काम करते हैं, तो ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं। यह आमदनी आप के खुद के लिए है। यदि उत्पादन अच्छा नहीं है, तो भी आप को झेलना पड़ेगा।
सुश्री अरदंगरिल के घर में कुल 400 से ज्यादा भेड़ें और 200 से ज्यादा गाय हैं। इन पशुओं के चमड़े व मांस को बेचने से ही हर वर्ष उन्हें लगभग 10 हजार चीनी य्वान की आमदनी हो जाती है। स्थानीय क्षेत्र में उन का परिवार मध्यम स्तर तक पहुंचता है।
स्थानीय चरवाहों के लिए, उन की आय से प्रभावित सब से प्रत्यक्ष कारक मौसम एवं वर्षा है। सूखे मौसम में पशुओं के पानी पीने की समस्या का समाधान करने के लिए अब अरदंबाओलिग गांव के अनेक परिवारों ने कुएं खोदे हैं। कुआं खोदने के लिए 60 प्रतिशत खर्च सरकार द्वारा दिया जाता है।
अपने घर के घास मैदान का प्रबंध करना अरदंगरिल के घर का एक बहुत महत्वपूर्ण काम है। अपने घास मैदान का संरक्षण करने के लिए वे अपने घास मैदान को कई भागों में विभाजित करके उस पर पशुपालन करते हैं।मिसाल के लिए सर्दियों के दिनों में और गर्मियों में भी इसी घास मैदान पर पशु पालन का काम किया जाता है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्य होने के नाते, वे अपनी गांव में दो गरीब परिवारों को मदद भी देती हैं। उन्होंने कहा,हमारे गांव में हमारी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को एक दो गरीब परिवारों को मदद देनी है। कुछ परिवार अच्छी तरह प्रबंध नहीं करने की वजह से गरीब बने हैं। कुछ मेहनत न करने के कारण गरीब बनें हैं। भिन्न-भिन्न कारणों से उन में गरीबी आई है । हमारे गांव में पशु भी हैं।हम ने इन का गरीब परिवारों में बंटवारा किया है। हम मुख्यतः इन गरीब परिवारों को आर्थिक प्रबंध का विचार देते हैं। हम उन से सलाह मश्विरा करते हैं और उन्हें सुझाव भी देते हैं।
बातचीत करते समय हमारे संवाददाताओं ने जाना कि इस गांव के भूतपूर्व प्रधान पहले सुश्री अरदंगरिल के पति थे। अब चुनाव में गांव कमेटी ने सुश्री अरदंगरिल को गांव का प्रधान चुना है।
अरदंबाओलिग गांव की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कमेटी की सचिव सुश्री अरदंगरिल ने भी हम से बातचीत की। वह 40 या 50 की उम्र में हैं, और बहुत बातूनी नहीं है। लेकिन, उन्होंने हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया। हमारे कहने पर उन्होंने हमें गा कर एक गीत सुनाया।
वर्ष 2003 में, सुश्री अरदंगरिल गांव की कम्युनिस्ट पार्टी कमेटी की सचिव बनीं। जबकि इस से पहले वे इस गांव की महिला कमेटी की प्रधान थीं। महिला कमेटी के काम की चर्चा करते हुए उन्होंने परिचय देते हुए बताया,
उस वक्त, बहुत कम बच्चे स्कूल जाते थे। इसलिए, हम ने मुख्यतः महिलाओं को बालकों को शिक्षा देने का काम सौंपा। अब लोगों के विचारों में परिवर्तन आया है, और स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या भी बढ़ी है। इधर के दो वर्षों में गांव में कुल तीन विद्यार्थी हैं। उत्पादन व जीवन के क्षेत्र में महिला कमेटी भी महिलाओं को सुझाव देती हैं। अब विज्ञान व तकनीक से पशुओं का पालन करने में अनेक महिलाएं लगी हुई हैं। मौजूदा महिला कमेटी की प्रधान भी हमारे द्वारा खुद ही चुनी गयी थीं।
सुश्री अरदंगरिल ने यह भी कहा कि घास मैदान के चरवाहा क्षेत्रों में महिलाएं बहुत कठिन काम करती हैं। इस से पहले, महिला दिन-रात व्यस्त रहती थीं। जबकि घर में पुरुष बहुत काम नहीं करते थे, और मनोरंजन में लगे रहते थे। अब स्थिति में परिवर्तन आया है। ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अनेक गतिविधियों में भाग लेती हैं। अब महिलाएं बढ़-चढ़ कर दूध के उत्पाद बनाने आदि की प्रतियोगिता में भाग लेती हैं।
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