थांगः श्याओ यांग जी, चीन और भारत के बीच व्यापारिक आदान प्रदान का इतिहास बहुत पुराना है और दोनों देशों के बीच व्यापार के अनेक थलीय रास्ते हैं , जिन में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की यातुंग कांउटी में स्थित नाथुला दर्रा बहुत महत्वपूर्ण है । तिब्बत की यात्रा के दौरान क्या आप ने यातुंग कांउटी स्थित नाथुला दर्रे का भी दौरा किया था ?
यांगः क्यों नहीं । आप को पता होगा कि गत वर्ष के जून माह के अंत में नाथुला दर्रा एक बार फिर खोल दिया गया, इस से पहले वह लगातार 44 वर्षों तक बंद किया गया था । एक साल के बाद मुझे वहां का दौरा करने का मौका मिला और चीन व भारत के बीच सीमा व्यापार के अच्छे माहौल का एहसास हुआ ।
थांगः मुझे पता है कि 20 वीं शताब्दी के शुरू में चीन और भारत के बीच सब से बड़े थलीय व्यापार पोर्ट के रूप में नाथुला दर्रे में सीमा व्यापार की वार्षिक रकम दोनों के द्विपक्षीय सीमा व्यापार की कुल रकम के अस्सी प्रतिशत से अधिक थी । लेकिन बाद में यह जगह फौजी निषिद्ध क्षेत्र बन गया और सीमा वायपार भी बंद किया गया ।
यांगः इधर के वर्षों में चीन भारत संबंधों के दिन ब दिन सुधर जाने के परिणामस्वरूप दोनों देशों के सीमा व्यापार का भी तेज़ विकास हो रहा है । गत वर्ष में नाथुला दर्रे को पुनः खोले जाने के बाद से लेकर वर्ष के अंत तक इस स्थल में हमारे दोनों देशों की व्यापार रकम 15 लाख चीनी य्वान दर्ज हुई , अब नाथुला दर्रा फिर एक बार रौनक हाट हो गया है ।
थांगः श्याओ यांग जी, आप ने अपनी तिब्बत यात्रा के दौरान नाथुला दर्रे का दौरा किया । वहां आप को क्या अनुभव हुआ ?आप किसी भारतीय व्यापारी से मिली थी?
यांगः वहां मैं अनेक भारतीय व चीनी व्यापारियों से मिली । वे सभी अपने अपने सौदे में व्यस्त थे । भारतीय युवा व्यापारी मिलान शेर्प उन में से एक हैं । उसी समय वह चीनी व्यापारी के साथ मोलतोल कर रहा था । मिलान शर्प ने कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ चीनी वस्त्र और सेज पर इस्तेमाल वाली वस्तुएं खरीदने आए हैं । इस के साथ बेचने के लिए भारत से मक्खन, बिस्कुट और चावल लाये हैं।
थांगः श्याओ यांग जी, नाथुला दर्रे में क्या आप अन्य भारतीय व्यापारी से भी मिली ?
यांगः मेरी मुलाकात पचास वर्षीय व्यापारी दुर्गा मुंद्रा से हुई । उन्होंने मुझे बताया कि वे और परिवार के अन्य सदस्य चीन-भारत सीमा व्यापार करते हैं । वर्ष 1962 से पूर्व यातुंग कांउटी और फाली कस्बे में उन के घर की दूकानें थीं । उसी समय वह उम्र में बहुत छोटा था । अपने पिता जी और दो बड़े भाइयों के साथ सीमा व्यापार करते थे। नाथुला दर्रे को बंद किए जाने पर उन्हें बहुत खेद था । लेकिन खुशी की बात है कि आज यह दर्रा एक बार फिर खुल गया है । वे अपने परिजनों के साथ फिर सीमा व्यापार करने लगे ।
थांगः जी हां । नाथुला दर्रे को दूसरा रेशम मार्ग माना जाता है । आज चीन और भारत के बीच सीमा व्यापार की बहाली से सथानीय लोगों में व्यापार की आशा उभरी है ।
यांगः लेकिन तरह-तरह के कारणों से फिलहाल नाथुला दर्रे में व्यापार के मालों की किस्में और मात्रा दोनों सीमित हैं । वहां मुख्यतः वस्त्रों और रोज़मर्रे की उपयोगी वस्तुओं की ब्रिकी को मंजूरी दी जाती है।
थांगः मुझे लगता है कि यह अस्थाई तौर की स्थिति है । चीन-भारत संबंध की मज़बूती के चलते नाथुला दर्रे पर सीमा बाजार जरूर विस्तृत होगा और उस का उज्ज्वल भविष्य होगा ।
यांगः हां । भारतीय व्यापारी श्री दुर्गा मुंद्रा का भी समान विचार है । उन्होंने कहा कि सीमा व्यापार दोनों देशों की जनता ,विशेष कर सीमांत क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के हितों से मेल खाता है, जिस से हमारे दोनों देशों के व्यापार को आगे बढ़ाए जाने के साथ-साथ जनता के बीच मैत्री को भी मज़बूत किया जाएगा ।
थांगः श्याओ यांग जी, नाथुला दर्रे में भारतीय व्यापारियों के अलावा क्या आप किसी चीनी व्यापारी से भी मिली ?
यांगः अवश्य । मेरी मुलाकात चीन के भीतरी इलाके से आई सुश्री हो श्योफ़ू से हुई । वे भारतीय व्यापारियों की तरह नाथुला दर्रे के भविष्य पर आश्वस्त है ।
थांगः वहां उन का व्यापार कैसा है ?
यांगः वर्तमान में उन का व्यापार अच्छा नहीं चल रहा है। उन्होंने कहा:
"एक साल के व्यापार में मुझे घाटा हाथ लगी । लेकिन मेरा विचार है कि अगले वर्ष स्थिति बदल कर अच्छी होगी । हम आम तौर पर भारतीय व्यापारियों के साथ वस्त्र और पलंग पर उपयोग की वस्तुओं का थोक व्यापार करते हैं । चीनी कंबल की अच्छी बिक्री होती है । हम और भारतीय व्यापारियों के बीच भाषा की समस्या है । लेकिन यह कोई बात नहीं है । सौदा करने के वक्त हम हाथ के इशारे से काम लेते हैं ।"
यांगः सुश्री हो शोफ़ू ने कहा कि वे मुख्य तौर पर पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत के यीवू शहर से माल लाती हैं । मालों का परिवहन रेल गाड़ी से राजधानी ल्हासा तक, और फिर ल्हासा से दूरगामी गाड़ी के जरिए नाथुला तक किया जाता है । सारी सफ़र में बीस दिन लगता है, जिस से मालों का लागत काफी बढ़ गया । उन्होंने कहा कि अगर छिंगहाई-तिबब्त रेल मार्ग यातुंग तक पहुंचेगा, तो बहुत सुविधाजनक होगा ।
थांगः हां । अगर छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग यातुंग कांउटी के निकट पहुंचा, तो चीनी व भारतीय व्यापारियों को व्यापार करने के लिए बड़ी सुविधा मिलेगी । मुझे लगता है कि व्यापार के जरिए चीन और भारत का रिश्ता और घनिष्ठ होगा । यह दोनों देशों के लिए लाभदायक बात है ।
यांगः आप ने सही कहा । अब तिब्बत स्वायत्त प्रदेश विदेशी व्यापारियों का जोशीला स्वागत कर रहा है । गत वर्ष में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चनिथाओ की भारत यात्रा के दौरान चीन और भारत दोनों देशों के नेताओं ने यह लक्ष्य तय किया कि आने वाले कुछ सालों में द्विपक्षीय व्यापार रकम चालीस अरब अमरीकी डालर तक पहुंचायी जाएगी । यह नाथुला दर्रे पर सीमा व्यापार के विकास के लिए एक बड़ा अनुकूल अवसर है ।
थांगः जी हां । भविष्य में चीन व दक्षिण एशिया के बीच एक महत्वपूर्ण रास्ते के रूप में नाथुला दर्रा और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । इस सीमा पोर्ट से करोड़ों अमरीकी डालर की व्यापार रकम प्राप्त करना आसान बात होगा ।
यांगः खुशी की बात है कि वर्तमान में चीनी और भारतीय सरकारें नाथुला दर्रे के सीमा व्यापार के विकास को भारी महत्व देती हैं । यातायात और बाज़ार निर्माण आदि क्षेत्रों में मौजूद सवालों का समाधान सक्रिया रूप से किया जा रहा है । यातुंग कांउटी में मेरी मुलाकात इस कांउटी के नेता श्री वू शीमिंग से हुई । वे चीन के भीतरी इलाके से तिब्बत की सहायता करने आए कर्मचारी हैं । उन्होंने कहा:
"वर्तमान में नाथुला की यातायात सुविधाजनक नहीं है । लेकिन दो प्रमुख सड़क मार्गों का निर्माण किया जा रहा है । जिन में खांगया मार्ग के निर्माण में सत्तर करोड़ य्वान की पूंजी लगायी गयी है। अनुमान है कि इस वर्ष के अक्तूबर के अंत में निर्माण पूरा होगा । इस के बाद याताया सुविधापूर्ण होगी ।"
थांगः मुझे पता है कि वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और चीन के भीतरी इलाके के अनेक व्यापारी नाथुला में आ बसे । लेकिन लम्बी दूरी परिवहन के ज्यादा खर्च होने के कारण भीतरी इलाके से आए व्यापारियों को कम आय प्राप्त हुई है ।
यांगः जी हां । नाथुला दर्रे में मैं ने भीतरी इलाके से आए अनेक चीनी व्यापारियों के साथ बातचीत की । उन्होंने कहा कि वे नाथुला दर्रे के भविष्य पर आश्वस्त हैं । उन्हें विश्वास है कि भविष्य में इस सीमा पोर्ट के सर्वांगीण खुलेपन के बाद सीमा व्यापार बाज़ार का और विस्तार होगा । तब उन की आय जरूर बढ़ेगी । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के वाणिज्य विभाग के उप निदेशक श्री फाबा छुनजङ ने कहा कि चीन और भारत के बीच सीमा व्यापार के विकास की भारी निहित शक्ति मौजूद है । उन का कहना है:
"नाथुला दर्रा एक बहुत महत्वपूर्ण रास्ता है । यहां सीमा व्यापार के पुनः खुल जाने का ऐतिहासित महत्व होता है । यह चीन व भारत दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण व्यापार पोर्ट माना जाता है ।"
यांगः श्री फाबा छुनजङ ने कहा कि चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दक्षिण भाग भारत, नेपाल और भूतान से जुड़े है । इतिहास में उक्त पड़ोसी देशों के साथ घनिष्ठ आर्थिक व व्यापारिक आवाजाही बरकरार रही थी । अतीत में मुख्य तौर पर भारत के साथ व्यापार करता था । लेकिन बीसवीं शताब्दी के साठ वाले दशक के बाद सीमा व्यापार का अधिकांश काम चांगमू पोर्ट पर स्थानांतरित किया गया और मुख्य तौर पर नेपाल के साथ व्यापार करता है ।
थांगः तो आज नाथुला दर्रे के सीमा व्यापार रास्ते के पुनः खुलने से चीन और भारत का सीमा व्यापार जरूर बड़ी हद तक बढ़ेगा । यातुंग कांउटी चीन से दक्षिण एशिया तक के बड़े महत्वपूर्ण रास्ते का रूप लेगी । अगर चीन और भारत के रेल मार्ग यातुंग पर जुड़ जाए, तो इसी क्षेत्र का भविष्य कितना उज्जवल होगा , इस की कल्पना करो ।
यांगः हां । हमारी आशा है कि ऐसी कल्पने को जल्द से जल्द मूर्त रूप मिल जाएगा।
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