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(GMT+08:00) 2007-10-18 13:44:47    
शह लिन की जातीय सांस्कृतिक विशेषताओं का अनुभव

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प्रिय दोस्तो , हमारे साप्ताहिक कार्यक्रम चीन का भ्रमण में दक्षिण पश्चिम चीन स्थित युन्नान प्रांत के शह लिन रमणीय पर्यटन स्थल में बसी हुई अल्पसंख्यक जातियों की विशेष परम्पराओं और अद्भुत प्राकृतिक सौदर्य का परिचय कराया गया है । हो सकता है कि आप को भी पसंद आया होगा । आज के इस कार्यक्रम में हम इसी शह लिन रमणीय पर्यटन स्थल के दौरे पर ले जा रहे हैं । पूर्वी हर्षोल्लासपूर्ण मिलन समारोह कहलाने वाला चीनी अल्पसंख्यक जातियों में से एक ई-जाति का परम्परागत मशाल दिवस उत्सव शह लिन क्षेत्र का एक अहम भव्य जातीय उत्सव माना जाता है । यदि आप हर वर्ष जून से जुलाई के शुरू तक शह लिन पर्यटन क्षेत्र के दौरे पर आएं , तो आप शह लिन पर्यटन क्षेत्र के अनोखे प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकते हैं ।साथ ही ई-जाति के परम्परागत मशाल उत्सव का उत्साहवर्धक माहौल भी महसूस कर सकते हैं।

शह लिन क्षेत्र की भूमि पर चीनी अल्पसंख्यक जातियों में से एक ई-जाति पीढियों से मेहनत, परिश्रम करने , पूजा-पाठ करने , गीत गाने और नृत्य नाट्य करने की आदी है । धीरे-धीरे उस के जातीय मशाल उत्सव ने विश्वविख्यात पूर्वी हर्षोल्लासपूर्ण मिलन समारोह का रूप धारण कर लिया है । अतः अत्यधिक लोग इस प्रसिद्ध मशाल उत्सव की वजह से ई-जाति से परिचित हुए हैं । ई-जाति प्राचीन काल से ही अग्नि की पूजा करती आयी है । शह लिन रमणीक पर्यटन स्थल के य्वे हू ई जातीय सांसारिक गांव में रहने वाली एक बूढ़ी मां ने हमें बताया कि हर वर्ष मशाल उत्सव के उपलक्ष्य में जब दिन ढलने लगता है , तो गांव वासी भभकती मशाल लिये धान के खेतों के बीच चक्कर लगाते हैं।

हम मशाल उत्सव की खुशी में मशाल उठा कर अपने खेतों का चक्कर लगाते हैं , ताकि कीडों मकोड़ों को भगाकर शानदार फसलें काटी जा सकें

ई जाति की इस बूढ़ी मां के अनुसार कीडे-मकोड़ों को मिटाने और शरद की शानदार फसलों को सुनिश्चित करने के लिये स्थानीय लोग हाथ में मशाल लिये अपने खेतों का चक्कर लगाते हैं , फिर बुजुर्ग अपने घर के गेट के पास रखी बची हुई मशाल से मशाल दाल पकाकर घर वालों को खिलाते हैं , ताकि सारा परिवार साल भर सही सलामत व निश्श्चिंत रह सके। ई जाति के युवक आंग क्वे ने हमें बताया कि शह लिन क्षेत्र में बसे ई जाति के लोग मशाल उत्सव को सब से महत्वपूर्ण त्योहार मानते हैं । उत्सव की रात परिवार के सभी सदस्य जागकर धूमधाम से खुशियां मनाते हैं ।

मशाल दिवस के दिन हरेक परिवार मशाल लिये राक्षसों को भगाने के लिये बाहर निकलता है । चीनी पंचांग के अनुसार 24 जून की रात को चाहे बड़ें हो या छोटे , पुरूष हों या महिलाएं , सभी जागकर खुशियां मनाते हैं । दिन में घुड़-दौड़ , कुश्ती जैसी सिलसिलेवार गतिविधियों का आयोजन किया जाता है ।

मशाल दिवस के दिन स्थानीय लोग चारों तरफ से शह लिन रमणीक पर्यटन स्थल में एकत्र होते हैं । दोपहर को जब शंख बजाया जाता है , तो शानदार पोषाकों में सुसज्जित ई जाति के युवक व युवतियां बड़े तीन तारों वाले तंतुवाद्य लिये नाचते-गाते हुए मैदान में प्रवेश करते हैं। ऐसे मौकों पर प्रौढ़ लोग मैदान के बाहर खड़े होकर स्व निर्मित छोटे तीन तारों वाले वाद्य , बांसुरी जैसे वाद्य बजाते हुए धीमी गति से बूढा डांस करने लगते हैं। क्षणभर में पूरे मैदान में त्योहार का उल्लासपूर्ण वातावरण छा जाता है ।

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