हाल में हांगकांग में बढ़ती आर्थिक से विशेषज्ञों और आम लोगों में फिर से एक अहम सवाल उठाया जा रहा है? यह सवाल है, आर्थिक फर्क को घटाने में सरकार की क्या भूमिका हो सकती है?
छोटी सरकार, बड़ा व्यापार सिद्धांत पर विशवास रखने वाले लोग भी इस बात पर राजी है की हांगकांग में बढ़ती हुई आर्थिक अन्याय के वजह से आम लोगों में खूब असंतुष्टि है, जिसके वजह से समाज में सामाजिक असंतोषता के फैलने का डर है। ऐसे में कोई भी जिम्मेदार सरकार अपने दायित्वों से बाग नहीं सकती।
इससे पहले की ऐसी घटनाएँ वास्तविकता का रुप ले कर निकट भविष्य में एक बहुत बड़ा समस्या पन जाय, सरकार को कुछ रजनात्मक कदम उठाना चाहिए। इसमें कोई दो राह नहीं है की हांगकागं की सरकार इस समस्या से वाकिफ नहीं है और इसका समाधान नहीं कपना चाहती। पिछले कई वर्षों से सरकार ने मकानों की सब्सिडिज, चिकित्सा सेवाओं, और अनेक जन कल्याण हेतु प्रबंध किये हैं।
लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस समस्या का समाधन की खोज के लिए सरकार की दखल को आवशयक बताते हुए कई लोगों ने सरकार को इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने की माँग की है। लेकिम एक बाजार अर्थ व्यवस्था में सरकार एक हद के बाद ज्यादा कुछ कर नहीं सकती। कई विकासशील देशों में अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर कुछ हद तक वित्तीय नीतियों से किया जा सकता है। लेकिन हांगकांग की कम और सरल कर प्रणाली में कोई भी नयी तफ्दीलियाँ लाना ठीक न होगा और यहां की अर्थ व्यवस्था पर एक गलत प्रभाव डाल सकता है। इससे स्थानिय पूंजिनिवेष पर भी गलत असर पड़ सकता है।
लेकिन हां, सरकार कर आधार को और चौड़ा बना सकती है ताकि समाज के निचले वर्गों की स्थिति में सुधार लाने के लिए पैसों की कमी न महसूस करें। इस दिशा में, विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को नीजि क्षेत्र के लोगों के साथ सहयोग कर कम दामों वाले मकान, गरीबों को दिलवाने में ध्यान देना चाहिए। कम दामों वाले मकानों के जरिये समाज के निचले वर्गों में असंतुष्टता को दूर किया जा सकता है। स्थानिय सरकार सदा से अमीरों और गरीबों के बीच का अंतर दूर करने के लिए अथक प्रयास करते आयी हैं, आज जरुरत इस बात की है की वह अपने प्रयासों को, अपने भूमिका की सीमा को और बढ़ा कर, और सफल बनाये।
दोस्तो, अब आप एक अन्य रिपोर्ट देखीये। चीनी सेक्युरिटिज नियंत्रक आयोग ने एक शिक्षा कैम्पेन का आयोजन किया और इस कैम्पेन का लक्ष्य स्टोक और फ़ंड पूँजिनिवेशकों को बनाया गया। इस कैम्पेन के तहत सेक्युरिटीज डीलर्स को अपने ग्राहकों के नीजि हालात को मद्येनजर रखते हुए उनको खास तरीके के चेतावनी नोट, यानि वार्निंग नोट जारि रखने की बात की गयी।
ये चेतावनी नोट पूँजिनिवेश वाले फ़ंड और सेविंग के बीच का अंतर को बताते हैं और लोगों को ये बताते है की ग्राहक अपने आर्थिक स्थिति अनुसार निवेश करें ताकि उन्हें अपने पैसे से अत्याधिक जोखिम न उठाने पड़ें और अपने मेहनत से कमायी गयी पैसे को अपने वृद्ध काल के लिए बचाए रखें।इस कैम्पेन के जरिये निवेशकों की भलाई और उनके हित की सुरक्षा कायम करने में मदद मिलेगी और इसके जरिये एक ऐसा नीव स्थापित की जायेगी जिससे चीनी पूँजी का बराबर और स्थिर विकास संभव हो सकेगा।
इससे पूर्व, चीन की केंद्रिय बैंक, पीपल्स बैंक आफ चाइना, ने एक संकलन का प्रकाशन किया। इस किताब का शीर्षक है- पब्लिक के लिए वाणिज्यिक जानकारी, और इस किताब के शुरु में कहा गया है की चीन की वाणिज्यिक उद्योग की विकास तभी संभव हो पायेगा जब सभी लोग वाणिज्यिक शिक्षा के लिए जरुरी कदम उठाना आरंभ कर देंगे। वेई वेई ,पेइचिंग के एक मशहूर किताब दुकान में एक कर्मचारी ने कहा की पिछले कुछ माहों से यह किताब चीन में सर्वाधिक बिक्रि होने वाले किताबों में से एक है। वेइ ने यह भी बताया की सेक्युरिटीज निवेश पर पुस्तकें पिछले कुछ दिनों से पाठकों में काफी मशहूर हैं और इनके विक्रेता में सौ प्रतिशत वृद्धि हुई हैं।
लेकिन शन, जो एक तजुर्बेकार निवेशक हैं, कुछ नौसिखियों से कहा की किताबों को पढ़ कर हम कुछ मूल जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, वास्तव में स्टाक में निवेश करना शतरंज की खेल के बराबर हैं जहां हारने की संभवनाएँ हमेशा होती हैं।
जुओ षिआओ लेई, एक अर्थ शास्त्रिक ने कहा कि, पाठकों के लिए इस विषय में किताबों के द्वारा जानकारी हासिल करना जरुरी है लेकिन इन किताबों से हासिल जानकारी से सिर्फ छोटे समय के निवेश किये जा सकते हैं लेकिम चीनी पूँजि बाजार में निवेश के लिए परिपक्व निवेश जरुरी है। आगे जुओ कहते हैं की चीनी पूँजि बाजार अभी भी पूरे तरीके से परिपक्व नहीं है और इस वजह से अक्सर शेयर बाजार में उथल-पुथल होती रहती हैं।
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