पूर्वी तिब्बत के लिनजी प्रिफेक्चर में चीन की अनेक अति अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं। ल्वोबा जाति उन में से एक है। वे लोग मुख्यतः लिनजी के छायू और ल्वो यू क्षेत्र में रहते हैं। वह चीन की सब से कम आबादी वाली जाति मानी जाती है, जिस की कुल आबादी केवल दो हजार से ज्यादा है। क्या आप ल्वोबा जाति के बारे में जानना चाहते हैं। हाल ही में हमारी संवाददाता को तिब्बत यात्रा के दौरान ल्वो बा जाति के लोगों से मिलने का मौका मिला।
ल्वोबा जाति के लोग ज्यादादर यालूचांबू नदी के पश्चिमी ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं, जहां यातायात बहुत सुविधाजनक नहीं है। 20 शताब्दी के मध्य तक, ल्वोबा जाति के लोग बहुत पुराने रीति-रिवाजों के अनुसार जीवन बिताते थे। तिब्बती क्षेत्र के किसानों व चरवाहों के जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए चीन की केंद्रीय सरकार ने स्थानीय सरकार और भीतरी इलाके की सरकारों के साथ मिलकर पूंजी लगाई और तिब्बत में किसानों व चरवाहों के लिए अनेक नये गांव बसाए । वर्ष 1986 में चीन की केंद्रीय सरकार ने ल्वोबा जाति के लोगों से पहाड़ से नीचे आने का आग्रह किया और उन के लिए कुछ गांव बसाए। उस समय मकान लकड़ी से बनाये जाते थे। चूंकि लिनजी प्रिफेक्चर में ज्यादा वर्षा होती है, इसलिए, जब बारिश होती, तो मकान के अंदर भी पानी घुस आता। इसलिए, वर्ष 2006 में चीनी राष्ट्रीय जातीय आयोग और क्वांगतुंग व फू च्येन प्रांत ने समान रुप से पूंजी डालकर ल्वोबा गांवों का पुनः निर्माण किया। अब सभी मकान मिट्टी व पत्थरों से बनाए गए हैं, जिन की छतें रंगीन हैं।
लिनजी प्रिफेक्चर की मीलिन काऊंटी के नानई जिला के प्रधान श्री लिनयोंग ने हमें बताया,अब हमारे यहां भारी परिवर्तन हुआ है। पहले खेती में काम करने के लिए लोहे के उपकरण नहीं थे, हम केवल लकड़ी के औजारों से ही खेती में काम करते थे। घर में कोई भी घरेलू उपकरण नहीं था। उस समय स्वास्थ्य की स्थिति भी अच्छी नहीं थी। महिलाओं को अपने घर में बच्चों को जन्म देना पड़ता था, अब उन्हें अस्पताल में भेजा जा सकता है।
श्री लिनयोंग ने हमें नानई जिला के छ्येई जाओ गांव का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया।जब हम छयेई जाओ गांव पहुंचे, तो देखा कि एक ही तरह के नये-नये मकान पंक्ति में खड़े हैं। हर एक मकान के आगे एक छोटा सा आंगन है, जहां रंग-बिरंगे फूल खिले हैं। यहां स्थानीय सरकार का एक पर्यटन क्षेत्र भी है। श्री लिनयोंग ने हमें बताया कि गांव में कुल 36 परिवार हैं। यहां के अन्य गांवों की ही तरह, हर एक परिवार का मकान सरकार द्वारा निर्मित किया गया है। श्री लिनयोंग ने परिचय देते समय बताया,पहले इस गांव के लोग पहाड़ पर रहते थे और जंगली पशुओं को मारने और चरवाहागिरी का काम करते थे। अब हर एक परिवार को खेती के लिए कुछ भूमि दी गयी है। सरकार ने ल्वोबा जाति के लोगों को खेती करना और अनाज उगाना सिखाया। फुरसत के समय वे लोग पहाड़ों पर जाकर वन संसाधन इक्कठा करते हैं।
छ्येई जाओ गांव में हम ने देखा कि हर एक परिवार में साफ पानी है, मकान भी बहुत बड़ा है। लगभग हर एक परिवार का मकान एक सौ वर्गमीटर बड़ा है। इतना ही नहीं, ल्वोबा जाति के बच्चे चीन के अन्य क्षेत्रों के बच्चों की ही तरह, नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा हासिल कर रहे हैं। श्री लिनयोंग ने गौरवपूर्वक हमें बताया कि वे खुद ल्वोबा जाति के हैं। उन्होंने कहा कि आज ल्वोबा जाति के अनेक लोग विद्यार्थी,कर्मचारी, डॉक्टर एवं विशेषज्ञ बने हैं। वे लोग अन्य जाति के लोगों की तरह देश के विकास के लिए प्रयास कर रहे हैं।
इधर के वर्षों में चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश में पर्यटन का जोरदार विकास हुआ है। खासकर पिछले वर्ष छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग के खुलने के बाद, ज्यादा से ज्यादा देशी- विदेशी पर्यटक तिब्बत की यात्रा करने आ रहे हैं। लिनजी प्रिफेक्चर अपने सुहावने मौसम एवं सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों से पर्यटकों को आकर्षित करने वाला एक स्थल माना जाता है। लिनजी प्रिफेक्चर में बने हवाई अड्डे से पर्यटक आसानी से चीन के भीतरी इलाकों से सीधे लिनजी प्रिफेक्चर पहुंच सकते हैं।ल्वोबा जाति चीन की अति अल्पसंख्यक जाति होने के नाते,पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। इसलिए, स्थानीय सरकार ल्वोबा विशेषता वाले पर्यटन व्यवसाय को बड़ा महत्व दे रही है।लिनजी प्रिफेक्चर की मीलिन काऊंटी के प्रसार विभाग की कर्मचारी सुश्री ली ह्वेई येन ने हमें बताया,अब हम ल्वोबा विशेषता वाले पर्यटन का प्रसार कर रहे हैं। स्थानीय सरकार ने ल्वोबा रीति-रिवाज़ वाले इस छ्येई जाओ गांव की स्थापना की। जब पर्यटक हमारे यहां आते हैं, तो ल्वोबा जाति के आम जीवन को देख सकते हैं। पर्यटक हमारे यहां ल्वोबा जाति के गान-ऩृत्य भी देख सकते हैं और कई दिनों तक आराम से ठहर सकते हैं।
सुश्री ली ह्वेई येन ने कहा कि चीन की अन्य जातियों की तरह, ल्वोबा जाति की अपनी भाषा है, लेकिन, वह केवल बोली है, उस की कोई लिपि नहीं है। लम्बे अरसे से ल्वोबा जाति के लोग लकड़ियों पर या रस्सी पर घटनाओं को रिकार्ड करते थे।चूंकि पहले वे पहाड़ी क्षेत्रों में रहते थे, इसलिए पुरुष आम तौर पर लम्बे चाकू और तीर कमान धारण करते थे और पशुओं के चमड़े से बने कपड़े पहनते थे। महिलाएं आम तौर पर पौशाक पहनती थीं। चाहे पुरुष हो या महिलाएं, नाक में वे बहुत जेवर पहनते थे।त्योहार मनाते समय, महिलाएं सभी जेवरों को पहनती हैं जिन का वजन कई किलोग्राम भी पहुंच सकता है। कहा जाता है कि ये जेवर एक परिवार के धनी होने के सूचक होते थे। ल्वोबा जाति के लोग सूर्य, चांद, बाघ, गाय आदि चीजों की पूजा करते हैं। हर बार जब वे दूर जाते हैं, तो अक्सर पशुओं को मार करके पहाड़ की पूजा करते हैं।
नानई काऊंटी के प्रधान लिनयोंग ने हमें बताया कि ल्वोबा जाति के लोग वर्ष में अनेक त्योहार मनाते हैं, जिन में सब से बड़ा त्योहार नव वर्ष का त्योहार है, जो हर वर्ष फरवरी माह में मनाया जाता है। उसी दिन सभी लोग एक साथ इकट्ठे होकर खाना खाते हैं, गाना गाते हैं, और नाचते हैं। इतना ही नहीं, ल्वोबा जाति के लोग त्योहार के मौके पर शादी करना भी पसंद करते हैं। श्री लिनयोंग के अनुसार,ल्वोबा जाति के लोगों की शादी की रस्म बहुत शानदार है। पहले लड़का अपनी सभी गायों और भेड़ों को मार कर गांव वासियों को खिलाता था। अब हालांकि स्थिति में कुछ परिवर्तन आया है, फिर भी शादी की रस्म ल्वोबा जाति की सब से महत्वपूर्ण रस्म मानी जाती है। लोग धूमधाम से इस रस्म का आयोजन करते हैं।
श्री लिनयोंग के परिचय के अनुसार, ल्वोबा जाति के उक्त विशेष रीति रिवाज पर्यटकों को आकर्षित करने वाले प्रमुख विषय हैं। लेकिन, तिब्बत विकास के साथ-साथ, कुछ परम्परागत रीति रिवाज खो भी रहा है। इसलिए स्थानीय सरकार ने परम्परा को बरकरार रखने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा,तिब्बत स्वायत प्रदेश ने देश की जातीय कमेटी को संरक्षण के लिए आवेदन दिया है। सरकार ने ल्वोबा जाति के लोगों से अपनी वेशभूषा,जेवरों को बरकरार करने का आग्रह किया है और उन्हें प्रेरणा भी दी है। इतना ही नहीं, सरकार ने यह भी आह्वान किया है कि वे लोग स्वेच्छा से अपने बच्चों को ल्वोबा भाषा सिखाएं।
पर्यटन के विकास के लिए स्थानीय सरकार ने दो बार पर्यटन मेले का आयोजन किया है। श्री लिनयोंग ने परिचय देते हुए बताया,हम ने दो बार पर्यटन मेले का आयोजन किया है। इस वर्ष के पर्यटन मेले के दौरान, देश विदेश के ज्यादा पर्यटक आये हैं। पर्यटक ल्वोबा जाति का पुराना गीत सुन सकते हैं, परम्परागत नृत्य देख सकते हैं। स्थानीय सरकार ने ल्वोबा के लोगों को व्यापार करने की प्रेरणा भी दी है। मेले में, पर्यटक ल्वोबा विशेषता वाली वेशभूषा , रंगीन सजावट, प्रचुर वन संसाधन आदि खरीद सकते हैं। इस वर्ष मेले में लगभग हर एक परिवार ने 3000 चीनी य्वान की कमाई हासिल की है।
जब हमारी संवाददाता ल्वोबा जाति की एक वृद्धा या श्या के घर पहुंची, तो उन्होंने हमें छीनख शराब पिलाई और हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया।
उन्होंने ल्वोबा भाषा में हमें एक गीत सुनाया, जिस में उन के जीवन का अनुभव व्यक्त हुआ है। उन्होंने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की केंद्र सरकार ने हमें अच्छा जीवन दिया है। वे इस गीत से अपना आभार प्रकट करना चाहती हैं।
हमें आशा है कि ल्वोबा जाति के लोग देश की अन्य जातियों की तरह सुखी जीवन बिताएंगे और उन का जीवन स्तर साल दर साल बेहतर होता रहेगा।
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