ललिताः सुमन की आवाज़ और उन के द्वारा गाए गए गीत मुझे बहुत अच्छे लग रहे हैं। गुनगुनाने का मन करता है। हांलांकि मेरी हिंदी इतनी अच्छी अभी नहीं है कि मैं हिंदी गीत गुनगुना सकूं।
राकेशः कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं और मेरे विचार में तुम्हारी हिंदी अब काफी अच्छी है।
ललिताः तो सुमन की तरह और भी कई गायिकाओं को जिन की आवाज़ लता की तरह है कम काम मिला होगा।
राकेशः तुम्हारा सोचना सही है। दरसअल लता ने लगातार कई पीढ़ियों को अपनी आवाज़ के जादू से प्रभावित किया है और आज भी कर रहीं हैं। संगीत की दुनिया में लता तो सूरज की तरह से हैं और आसमान में जब सूरज चमकता है, तो बाकी के दिए कितने ही रोशन हों, उस के सामने फीके पड़ जाते हैं।
ललिताः सुमन को संगीत में कोई पुरस्कार मिला?
राकेशः हां। सुमन को हिंदी फिल्म में सर्वश्रेष्ठ शास्त्रीय गायन के लिए प्रतिष्ठित सुर श्रृंगार पुरस्कार मिला है और वे पिछले दशक तक मंच पर प्रस्तुतियां देती रही हैं। विदेशों में भी उन के कई शो हुए हैं।
ललिताः आएं सुनें एक और गीत। यह गीत है फिल्म "दरवाज़ा" से सुमन और तलत महमूद की आवाज़ में और इसे सुनना चाहा है हमारे इन श्रोताओं ने महियारपुर मनिहारी, यू. पी. से मु. आफताब आशिक, एम वसीम राजा और मो. कौशर।
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