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(GMT+08:00) 2007-10-08 08:44:42    
न तुम हमें जानो न हम तुम्हें जानें मगर लगता है

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ललिताः यह चाइना रेडियो इंटरनेशनल है। हिंदी फिल्मों के गीत संगीत पर आधारित आप की पसंद कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को ललिता का प्यार भरा नमस्कार।

राकेशः राकेश का भी सभी श्रोताओं को प्यार भरा नमस्कार।

ललिताः तो श्रोताओ हम हाजिर हैं आप की पसंद के गीतों के साथ और आप के पत्रों के साथ। और आज आप की फिर बारी है गीत-संगीत प्रतियोगिता में भाग लेने की। तो श्रोताओ आप तैयार हैं? लीजिए ध्यान से सुनिए इस गीत को।

राकेशः आप ने ध्यान से यह गीत सुना, अब आप को यह बताना है कि इस गीत में किस गायक-गायिका की आवाजें हैं?

ललिताः जी हां। आप को इन गायक-गायिका के सही नाम लिख कर हमें इस तरह भेजना है कि वह 30 नवम्बर तक हमें मिल जाए। और लिफाफे पर या पोस्टकार्ड पर आप की पसंद लिखना न भूलें। राकेश जी एक सवाल मैं आप से पूछना चाहती हूं।

राकेशः हां पूछो।

ललिताः पिछली बार की प्रतियोगिता में हम ने जो गीत सुनाया था उस में सही गायिका की आवाज़ को हमारे केवल एक श्रोता ही ठीक से पहचान पाए। ऐसा क्यों?

राकेशः सुमन कल्याणपुर एक ऐसी गायिका रही हैं जिन की आवाज़ काफी हद तक लता से मिलती है, ऐसा उन दिनों लोगों को लगा, जब पिछली सदी के पांचवें दशक में उन्होंने फिल्मों में गाना शुरू किया था। कुछ ने तो उन की आवाज़ को लता की कापी भी कहा। फिर भी सुमन ने बहुत यादगार गीत गाए हैं और कुछ लोग शायद उन गीतों को लता के ही समझने की भूल करते हैं, जैसे यह गीत।

ललिताः यह गीत था फिल्म "बात एक रात की" से और इसे गाया था सुमन कल्याणपुर ने और इस गीत को सुनने की फरमाइश की थी हमारे इन श्रोताओं ने जालोन यू. पी. से धनसिंह महाराजावत, बाबाजी रामशरण महाराजावत, ज्ञानसिंह महाराजावत, कोशलकिशोर महाराजावत। ग्वालियर मध्य प्रदेश से ज्ञानसिंह कुशवाहा। सीवान बिहार से इरफान अहमद। बाईपास कालपी यू. पी. से मनोज कुशवाहा, सन्तोष, अजय, विनीता, मीरा कुशवाहा, लक्ष्मी देवी और उन के मम्मी, पापा।