1644 में ली चिछङ ने अपनी सेना के साथ पेइचिङ की ओर कूच कर दिया। रास्ते में उन का बहुत कम प्रतिरोध हुआ और वे एक महीने से कुछ ज्यादा समय में ही राजधानी पेइचिङ पहुंच गए।
नगर की रक्षा के लिए तैनात मिङ सेना की टुकड़ियों ने लड़ने से इनकार करते हुए एक के बाद एक आत्मसमर्पण कर दिया।
मिङ राजवंश के अन्तिम सम्राट छुङचन के लिए भागने या छिपने की कोई जगह नहीं बची और उसने राजमहल के पीछे कोयला पहाड़ी पर जाकर पेड से लटककर आत्महत्या कर ली। ली चिछङ के नेतृत्व में किसान सेना ने शहर में प्रवेश किया। इस प्रकार मिङ राजवंश का अन्तहो गया।
मानचू जाति न्वीचन जाति की एक शाखा थी। मिङ राजवंश के प्रारम्भिक काल में न्वीचन जाति सुङह्वा नदी और हेइलुङ नदी के इलाकों में, जो नुरखान गैरिजन कमान के अधीन थे, रहा करती थी।
मिङ राजवंश के उत्तरार्ध में न्वीचन जाति के सरदार नूरहाछी ने अपनी जाति के विभिन्न कबीलों का एकीकरण किया और 1616 में अपने को खान घोषित कर महान किन राजवंश की स्थापना की, जो इतिहास में उत्तरकालीन किन राजवंश के नाम से मशहूर है।
नूरहाछी की मृत्यु के बाद उसका बेटा ह्वाङथाएची 1636 में गद्दी पर बैठा और उसने अपने वंश का नाम महान किन से बदलकर महान छिङ रखा।
ह्वाङथाएची इतिहास में छिङ राजवंश के सम्राट थाएचुङ के नाम से मशहूर है। उस ने धीरे धीरे चीन के सारे उत्तरपूर्वी इलाके का एकीकरण किया।
जब ली चिछङ के नेतृत्व में किसान सेना पेइचिङ में प्रवेश कर मिङ शासन को समाप्त करने में लगी हुई थी, उस समय तक शान हाएक्वान दर्रे के बाहर तैनात छिङ सेना चीन के भीतरी इलाके पर हमला करने की पूरी तैयारी कर चुकी थी।
विद्रोही किसान सेना ने बची खुची मिङ सेनाओं का सफाया करने में ढील देकर और छिङ सेना के सम्भावित हमले के विरूद्ध कारगर कदम न उठाकर छिङ सेना को हमला करने का एक सुनहरा मौका दे दिया।
मिङ राजवंश के जनरल ऊ सानक्वेइ ने, जो शानहाएक्वान दर्रे पर तैनात था, छिङ सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और फिर उसके साथ सांठगांठ कर उसे देश के भीतरी इलाके में ले आया।
दोनों ने संयुक्त रूप से विद्रोही किसान सेना का दमन किया। पेइचिंङ की सुरक्षा की अच्छी तरह तैयारी न करने के कारण ली चिछङ को वहां से हटना पड़ा । बाद में उसे शानशी और शेनशी में लड़ना पड़ा ।
मई 1644 में छिङ सेना ने पेइचिङ पर कब्जा कर लिया। उसी साल के सितंबर में छिङ शिचू अथवा छिङ राजवंश के प्रथम सम्राट शुनचि ने छिङ राजधानी को शनयाङ से पेइचिङ में स्थानान्तरित कर दिया। इसके बाद उस ने सारे चीन का एकीकरण करने का प्रयास शुरू किया।
बाद में , छिङ सेना ने दो रास्तों से आगे बढकर विद्रोही किसान सेना पर हमला किया। ली चिछङ शेनशी से हूपेइ गया, जहां वह थुङशान काउन्टी के च्योकुङ पर्वत पर जमीदारों की मिलिशिया के आकस्मिक हमले में बहादुरी से लड़ता हुआ मारा गया।
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