ddभौगोलिक चिंह तिजारती माल पर उस के उत्पादन के विशेष भौगोलिक स्थल व मूल उत्पादन स्थल से जुड़ी गुणवत्ता या साख का प्रतीकात्मक चिन्ह है , यानी, भौगोलिक चिंह मालों के मूल उत्पादन स्थल के नाम से रेखाकित है। क्योंकि भौगोलिक चिंह से किसी तिजारती माल की विशेषता व श्रेष्ठता प्रतिबिंबित होती है, इसलिये इधर के वर्षों में चीन सरकार भौगोलिक चिंह के संरक्षण पर बहुत महत्व देती है और विशेष कर कृषि का विकास बढ़ाने के लिये इस का प्रयोग भी करती है। आज के चीन में निर्माण व सुधार कार्यक्रम में मैं इसी के बारे में आप को कुछ बताऊंगी ।
कलाई घड़ी की चर्चा छिड़ते ही आप को जरूर स्वीट्जर्लैंड की याद आती है। जी हां , स्वीटजर्लैंड में उत्पादित कलाई घड़ी खूबसूरत रूपाकार , सटीक समय बताने तथा सूक्षम काम के कारण विश्व में बहुत प्रसिद्ध है। स्वीटजर्लैंड घड़ी का ड्रेट मार्क इसी प्रकार के माल के उत्पादन स्थान के साथ इस माल की विशेष गुणवत्ता भी इंगित करता है, ऐसा ड्रेट मार्क ही तिजारती माल की भौगोलिक चिंह है। थाइलैंड सुगंधित चावल, जामेका का कोफी बिन आदि विश्व में बहुत प्रसिद्ध तिजारती माल का भौगोलिक चिंह है।
चीन के पास भी लोगों द्वारा सर्वमान्य बहुत से भौगोलिक चिंह उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिये, उत्तर पश्चिम चीन के सिनचांग के खुरले की नाशपाती और पूर्वी चीन के नानचिंग का रेशमी कपड़ा ऐसे ड्रेट मार्क में आते हैं। इधर के सालों में चीन तिजारती माल के भौगोलिक चिंन्ह की रक्षा पर महत्व देता है और विभिन्न कंपनियां भी इस के महत्व को कदम ब कदम समझ लेती हैं। सूत्रों के अनुसार इस साल की मई के अंत तक चीन में 700 तिजारती मालों के भौगोलिक चिंहों के आवेदन प्राप्त हुए हैं , इन में 251 पंजीकृत किए जा चुके हैं , जिन में अधिकांश कृषि उत्पादों के लिए हैं ।
चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र सिन्चांग वेवूर स्वायत्त प्रदेश के खुरले की नाशपाती चीन में भौगोलिक चिंह के पंजीकरण में अनुमति प्राप्त प्रथम कृषि उत्पाद है। सिन्चांग के बाजुंग क्षेत्र के खुरले नाशपाती संघ के महासचिव श्री क्वा छ्यु जी ने संवाददाताओं को बताया कि खुरले नाशपाती का भौगोलिक चिन्ह पंजीकृक किये जाने से इस किस्म का फल उगाने के लिए स्थानीय किसानों का उत्साह बहुत बढ़ा है। उन्होंने कहाः
पहले किसानों को यह चिंता थी कि कहीं नाशपाती के खेती क्षेत्रफल बड़े होने से उस के दाम पर प्रभाव न पड़े और अपनी आय को भी प्रभावित नहीं किया जाए , इसलिए वे खुरले नाशपाती की खेती पर ज्यादा उत्साहित नहीं थे । लेकिन किसानों ने अब यह देखा है कि निरंतर तीन सालों से उन की आय लगातार स्थिर बनी रही है, इसलिये नाशपाती उगाने में किसानों का उत्साह और बढ़ा है।
सूत्रों के अनुसार तिजारती मालों के भौगोलिक चिंह के पंजीकरण के बाद खुरले नाशपाती जल्दी ही प्रसिद्ध होने लगी और उसे खरीदने वाली कंपनियों की संख्या लगातार बढ़ती गयी और नाशपाती का दाम भी धीरे धीरे ऊंचा बढ़ता जा रहा है । किसानों को व्यवहारिक लाभ मिलता है , खुरले नाशपाती का दाम अन्य नाशपातियों से एक डिब्बे में पांच सात य्वान अधिक बिकती है ।
तिजारती मालों के भौगोलिक चिंह के पंजीकरण से न कोवल चीनी किसानों को बहुत लाभ प्राप्त हुआ है, साथ ही चीनी उत्पादों के निर्यात को भी काफी बढावा मिला है । श्री क्वा छ्यु जी ने कहा कि अतीत में तिजारती मालों के भौगोलिक चिंह नहीं होने के कारण चीनी निर्यात कंपनियों और विदेशी खरीददारी कंपनियों के बीच सौदा वार्ता में बहुत सी कठिनाइयां पड़ी थीं, क्योंकि खरीददारी कंपनियों को मालों की गुणवत्ता पर पूरा विश्वास नहीं है, इसलिए सौदा वार्ता लम्बी चलने के बाद भी खरीद फरोख्त नहीं बन जाता था । लेकिन अब स्थिति बदल हो गयी है। उन्होंने कहाः
गत साल खुरले नाशपाती के भौगोलिक चिन्ह के पंजीकरण की खबर सुनते ही पेरू और अर्जेन्टीना ने यह माना है कि यह भौगोलिक चिन्ह चीन का नामी ड्रेट मार्क है और उन्हों ने तुरंत ही सौदे पर हस्ताक्षर किये । तिजारती मालों के भौगोलिक चिन्ह के पंजीकरण के फलस्वरूप उस के माल को आसानी से मान्यता मिल जाती है और उस पर सौदा भी कम समय में पाटा जा सकता है ।
चीन के पूर्वी क्षेत्र में स्थित चांग सू प्रांत का विशेष माल जेन जांग सिरका पिछली शताब्दी के आरंभिक काल में निर्यातित होने लगी थी । अभी तक भी इस का निर्यात अच्छा बना रहता है। जेन जांग शहर के सिरका संघ की सदस्या सुश्री जांग मिन ने यह बताया कि निर्यात बढ़ने के अलावा जेन जांग सिरका का पंजीकरण किया जाने से उस के कारोबारों को अपने उत्पादों के संपदा अधिकार की रक्षा के लिये भी बहुत मदद मिलती है। उन्होंने कहाः
जब हमें पता चला कि अन्य जगहों में कुछ लोग जेन जांग सिरका के ड्रेट मार्क का इस्तेमाल कर अपने उत्पादित सिरका को हांगकांग को निर्यात करते हैं। भौगोलिक चिंह के पंजीकरण के बाद सिर्फ जेन जांग शहर में उत्पादित सिरका को जेन जांग सिरका बताये जाने की इजाजत है, अन्य किसी दूसरी जगह को इस भौगोलिक चिन्ह के उपयोग का अनुमति नहीं है , इस तरह हमें अपने उत्पादों की रक्षा करने में बड़ी मदद मिली है।
बौद्धिक संपदा अधिकार के संरक्षण के कुछ नियमों के अनुसार किसी तिजारती माल पर भौगोलिक चिंह का पंजीकरण होने के बाद अन्य स्थानों द्वारा उत्पादित माल इस भौगोलिक चिंह का प्रयोग नहीं कर सकता है। इस से भौगोलिक चिन्ह धारकों के कानूनी अधिकार की अच्छी तरह रक्षा की जा सकती है ।
चीन ने तिजारती मालों के भौगोलिक चिन्हों की रक्षा करने में जो काम किए हैं , वह उल्लेखनीय और सराहनीय है । पिछले महीने में उद्धाटित विश्व भौगोलिक चिंह सम्मेलन में चीनी उप प्रधान मंत्री सुश्री वू यी ने कहा कि चीन भौगोलिक चिंह के जरिये कृषि उत्पादों का संरक्षण व विकास करता है और कृषि उत्पादों के मूल्यवर्द्धन को बढ़ावा देता है , जिस से किसानों की आय व ग्रामीण विकास काफी बढ़ गये हैं।
विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण संगठन के महानिदेशक के सहायक सुश्री वांग पिन यिंग ने सम्मेलन में इधर वर्षों में भौगोलिक चिंह के संरक्षण में चीन के प्रयासों की बड़ी तारीफ की। उन्होंने कहाः
हाल के वर्षों में चीन सरकार तिजारती मालों के भौगोलिक चिंह की रक्षा पर बहुत महत्व देती है और इस क्षेत्र में उल्लखेनीय उपलब्धियां प्राप्त भी की गयी है , जिस से कृषि उत्पादन का विकास भी बढ़ाया गया है और किसानों की आय भी बढ़ गयी है । हमें विश्वास है कि चीन सरकार को इस क्षेत्र में और अधिक सफलता मिलेगी।
इसलिये हम चीनियों को पूरा विश्वास है कि भविष्य में चीन के तिरजारती मालों के भौगोलिक चिंह की पूरी रक्षा होगी और इस के जरिये चीनी कृषि उत्पादन बढाने में उस की अधिक भूमिका अदा की जाएगी ।
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