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(GMT+08:00) 2007-09-19 14:31:10    
पेह चन ल्वे शान पर्वत में ल्याओ राजवंश के स्कूल का खण्डहर भी हू ब हू खड़ा हुआ है

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प्रिय दोस्तो , जैसा कि आप जानते हैं कि चीन में थाई शान पर्वत , ह्वा शान पर्वत , सुंग शान पर्वत , हंग शान पर्वत और हंग शान पर्वत को वू य्वे कहा जाता है। जबकि ई शान पर्वत , ऊ शान पर्वत , चच्यांग ह्वी ची शान पर्वत , ल्वे शान पर्वत और हो शान पर्वत चीनी वू चन के नाम से जाने जाते हैं । उक्त दस पर्वतों को मिलाकर प्रसिद्ध चीनी दस पर्वत बनते हैं । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को वू य्यू में से एक ल्वे शान पर्वत के दौरे पर ले चलते हैं ।

इस रमणीक पर्यटन स्थल के प्रधान श्री ऊ थाई यूंग ने इस तरह परिचय देते हुए कहा कि क्योंकि चीन का उत्तर पूर्वी क्षेत्र आज से कोई 800 साल पहले के ल्याओ राजवंश और तीन सौ पहले के छिंग राजवंश के शाही परिवारों का जन्मस्थल है , इसलिय ई ऊ ल्यू पर्वत पर उक्त दोनों राजवंशों द्वारा छोड़े गये बहुत से सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अवशेष पाये जाते हैं ।

श्री ऊ ने बताया कि आज से आठ सौ साल पहले के ल्याओ राजवंश की भगवान की पूजा करने की एक यज्ञवेदी आज भी अच्छी तरह सुरक्षित है । इस के अतिरिक्त ल्याओ राजवंश के स्कूल का खण्डहर भी हू ब हू खड़ा हुआ है । इतना ही नहीं , छिंग राजवंश के पांच राजाओं ने बारह बार इस पर्वत पर आकर पर्वत देवता की पूजा की और बहुत से मूल्यवान लेख व कविताएं लिखीं । बाद में ई ऊ ल्यू पर्वत पर एक यज्ञमंच पर राजाओं की तस्वीरें भी रखी गईं हैं ।

पेह चन मंदिर से बाहर निकलकर पर्वत की चोटी पर एक प्राचीन गढ़ रूपी निर्माण भारी चट्टान पर नजर आती है । कहा जाता है कि पर्यटक साफ सुथरे मौसम में इस चट्टान पर खड़े होकर पो हाई समुद्र देख पाते हैं । गाईड सुश्री ली तुंग मेइ ने उस चट्टान की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम ने जो प्राचीन गढ़ रूपी निर्माण देखा है , वह एक हजार वर्ष पहले स्थापित एक टावर है । तत्काल में सैनिक इस टावर पर खड़े होकर दुश्मन की स्थिति का निरीक्षण करते थे ,जब दुश्मन हमला बोलते , तो इसी टावर पर पूर्व सूचना देने के लिये आग जलाई जाती थी । पहले यह सिर्फ एक खण्डहर था , बाद में इस की पुनः मरम्मत हुई है । यहां से आगे निकल कर एक छोटी लम्बी दीवार भी है ।

ई ऊ ल्यू पर्वत पर एक आदिम देवदार जंगल भी बड़े ढंग से सुरक्षित हुआ है । हमारी गाईड सुश्री ली तुंग मेइ ने इस का परिचय देते हुए कहा कि इस आदिम जंगल में अधिकांश देवदार पेड़ कोई एक हजार वर्ष पुराने हैं। कई सौ वर्ष पुराने देवदारों की संख्या भी कम नहीं है । देवदार पेड़ों को बढने में ज्यादा समय लगता है , इसलिये यहां के देवदार पेड़ देखने में जितने पुराने हैं उतने दिखाई नहीं देते हैं ।

ई ऊ ल्यू पर्वत की पत्थर सीढियों से नीचे उतर कर एक बहुत विशाल समतल मैदान नजर आता है । मैदान के बगल में एक भीमकाय देवदार पेड़ है । लोग उसे दसेक हजारों वर्ष पुराना देवदार पेड़ कहते हैं । इस देवदार पेड़ की ऊंचाई कोई बीस मीटर है और उस की मोटाई चार मीटर है । पगडंडी के पास एक छोटा मंडप भी स्थित है ।मंडप में एक शिलालेख भी देखने को मिलता है ।स्थानीय वासी ल्यू च्येन ने हमारे संवाददाता से कहा कि यह शिलालेख एक दूसरे देवदार पेड़ की स्मृति में खड़ा किया गया है ।

उन का कहना है कि पहले यहां पर एक दूसरा प्राचीन देवदार पेड़ था । क्योंकि यह पेड़ बहुत सीधा था , इसलिये स्थानीय लोगों की मान्यता में यह देवदार पेड़ सादगी का प्रतीक है ।इसलिये स्थानीय लोगों ने इस सीधे देवदार पेड़ की स्मृति में यह मंडप स्थापित किया।साथ ही यह शिलालेख भी खड़ा किया। इस का मतलब है कि शरीफ लोगों को निष्ठावान व सीधा सादा और कर्तव्यपरायण बनना चाहिये ।