हाल में हमारे संवाददाता ने भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश स्थित हूलुनपेअर घास मैदान का दौरा किया और महसूस किया वहां के सुन्दर प्राकृतिक दृश्य । गीत के बोल के समान वहां सचमुच स्वर्ग है ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हुलुनपेअर घास मैदान भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश में सब से अच्छे घास मैदानों में से है । यहां विश्व में सब से बड़े क्षेत्रफल वाले प्राकृतिक घास मैदान हैं, और यह विश्व में सब से बड़ा हरित जानवर खाद्य पदार्थ अड्डा भी माना जाता है । लेकिन हुलुनपेअर शहर के हाई लाअर पशुपालन ब्यूरो के प्रधान श्री पाकङ का कहना अलग है
"वर्तमान में हुलुनपेअर घास मैदान के पर्यावरण का ह्रास हुआ है । इन तथ्यों का हम सामना करते हुए इस का निपटारा करने की कोशिश कर रहे हैं ।"
श्री पाकङ का जन्म मंगोल जाति के चरवाहे परिवार में हुआ । पिछले 22 सालों में वे पशुपालन से जुड़ा काम कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि लगातार सूखा और पशुओं की संख्या में बढोतरी से हुलुनपेअर घास मैदान में घास उत्पादन की क्षमता काफ़ी घट गयी है ।
हुलुनपेअर के भीतर तालाइ झील राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण केंद्र के प्रबंधन ब्यूरो के उप निदेशक श्री ल्यू सोगंथाओ ने श्री पाकङ के कथन की पुष्टि करते हुए कहा:
"वर्ष 1986 से 2001 तक हमारे यहां घास मैदान पारिस्थितिकी प्रणाली को क्षति नहीं पहुंची थी । लेकिन वर्ष 2001 के बाद हर वर्ष लगातार सूखा पड़ने से घास मैदान के नष्ट होने की स्थिति सामने आई है ।"
हुलुनपेअर शहर के शिनपाअर्हूजो जिले के हाओपीस्कालातू नामक चरवाहे ने संवाददाता को बताया कि देखने में यहां के घास मैदान बहुत अच्छे लगते हैं, लेकिन वास्तव में पशु पालने योग्य घास मैदान कम हो गए हैं । उन्होंने कहा:
"हर वर्ष जारी रहने वाले सूखे के कारण हमारे यहां घास मैदान की स्थिति बहुत गंभीर हो गयी है। लम्बे समय तक अच्छी घास न मिल पाने के कारण हमारी गाय व बकरे मोटे नहीं हो रहे हैं । मुझे लगता है कि घास मैदान का संरक्षण करना और रेतिलेकरण को कम करना वर्तमान में हमारा महत्वपूर्ण काम है ।"
वास्तव में हुलुनपेअर सरकार ने घास मैदान के संरक्षण और पारिस्थितिकी पर्यावरण की बहाली को भारी महत्व दिया है। इधर के वर्षों में सरकार पशुपालन को पुनः घास मैदान में बदलने के कदम उठाने के साथ पशुओं की संख्या को कम करने से घास मैदान का संरक्षण कर रही है । हुलुनपेअर शहर के हाई लाअर पशुपालन ब्यूरो के प्रधान श्री पाकङ का कहना है:
"पहले हुलुनपेअर घास मैदान में पशुओं की संख्या कुल सत्तर लाख थी। लेकिन वर्तमान में स्थानीय सरकार ने हर वर्ष दस लाख पशुओं को कम करने का फैसला किया है । चालू वर्ष में यहां पशुओं की संख्या घट कर पचास लाख पहुंच गई है । अनुमान है कि अगले वर्ष में पशुओं की संख्या चालीस लाख तक पहुंचेगी ।"
एक हैक्टर की उच्च गुणवत्ता वाले घास मैदान की घास से एक साल में एक ही बकरे की मांग पूरी हो सकती है । इस तरह दस लाख पशुओं को कम करने से दस लाख हैक्टर के घास मैदान का संरक्षण किया जाएगा। लेकिन घास मैदान चरवाहों के जीवन का मूल है, उक्त संबंधित कदमों से चरवाहों की आय कम होगी । स्थानीय सरकार इस सवाल के समाधान पर सोच-विचार कर रही है ।
52 वर्षीय वू छांगशङ अवनक स्वायत्त जिले के पायानथाला दावर जातीय टांउशिप के चरवाहे हैं । वर्ष 2001 से ही स्थानीय सरकार ने नमकीन भूमि का सुधार करना शुरू किया और अस्सी किलोमीटर के दायरे में 35 उच्च गुणवत्ता वाली दुग्द्ध गाय आदर्श क्षेत्रों की स्थापना की। घास मैदान में मक्का उगाया जाता है , जिस से सर्दियों में दुग्द्ध गायों को चारा प्राप्त होता है । अनवरत उत्पादन वाले पारिवारिक चरागाहों के विकास से पशुओं के स्वास्थ्य की गोरंटी की जाने के साथ-साथ घास मैदान की पारिस्थितिकी को क्षति भी नहीं पहुंचेगी । चरवाहे वू छांगशङ ने संवाददाता से कहा:
"यहां आने के पूर्व मैं गाय का पालन करता था। उन से सालाना आय बीस या तीस हज़ार य्वान प्राप्त होती थी । लेकिन यहां आने के बाद मैं उतनी संख्या वाली उच्च दुग्द्ध पैदा करने वाली गायों का पालन करता हूं। हर रोज़ 250 किलो ताज़ा दूध मिल जाता है, जिस से चार सौ य्वान की आय हो जाती है । इस तरह एक ही माह में मैं 12 हज़ार य्वान की आय पा लेता हूँ ।"
परम्परागत चरवाहों के लिए संपत्ति के रूप में पशुओं की बिक्री नहीं की जा सकती । तीन या चार साल की आयु वाले बकरे को बाज़ार में बेचा जा सकता है । स्थानीय सरकार चरवाहों को नन्हे बकरे की बिक्री करने के लिए प्रोत्साहन देती है । इस से बाज़ार में ताज़ा मट्टन प्राप्त हो सकता है और चरवाहों को ज्यादा आय प्राप्त होती है । साथ ही अधिक घास की किफायत हो सकती है ।
उक्त कदमों के जरिए अब घास मैदान की स्थिति में दिन ब दिन सुधार आ रहा है । हुलुनपेअर शहर के हाई लाअर पशुपालन ब्यूरो के प्रधान श्री पाकङ का कहना है :
"अगर घास मैदानों का पशु पालन से लाभ नहीं होता है, तो पशु नहीं पाले जाने चाहिएं । अनेक व्यक्तियों का मानना है कि घास मैदान में पशु पालना जरूरी है । यह गलत विचार है । मुझे लगता है कि घास मैदान पारिस्थितिकी संसाधन ही नही, पर्यटन संसाधन भी हैं । इस के बाद वह उत्पादन संसाधन बनाए जाने चाहिएं ।"
वर्तमान में स्थानीय सरकार ने पेशेवर सहयोग संगठन के रूप में चरवाहों को गठित किया है और उन के प्रति कानूनी कारोबार वाले प्रबंधन किया है । इस तरह चरवाहों के पशुपालन का कानूनी प्रबंधन किया जा सकता है, बल्कि बाज़ार की प्रतिस्पर्द्धा में चरवाहों के प्रमुख स्थान की गारंटी दी जाने के साथ-साथ पशु उत्पादों के दाम का भी संरक्षण किया जा सकता है ।
स्थानयी सरकार का विचार है कि चरागाहों के शहरीकरण को मूर्त रूप देने के लिए चरवाहों को वहां से सुव्यवस्थित रूप से स्थानांतरित करना जरूरी है । इस से घास मैदानों को बचाया जा सकता है । सूत्रों के अनुसार चालू वर्ष में हाइलाअर क्षेत्र में साठ से ज्यादा नई गांव निर्माण परियोजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा, जिन में कुल सात करोड़ य्वान का अनुदान लगाया जाएगा ।
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