तंग श्याओ-फिन का सिद्धांत चीनी विशेषता वाले समाजवाद के बारे में श्री तंग श्याओ-फिन द्वारा प्रस्तुत सिंद्धांतों का संक्षिप्त संबोधन है।
श्री तन श्याओ-फिन का जन्म सन् 1904 में हुआ था और निधन सन् 1997 में।वह चीन लोक गणराज्य की दूसरी पीढ़ी के नेतृत्वकारी समूह के एक प्रमुख नेता थे,जिन्हें चीनी सुधार व खुलेपन-कार्य के महान डिजाइनर कहकर पुकारा जाता है।
चीन में समाजवादी निर्माण के नए दौर में श्री तंग श्याओ-फिन ने अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों और वैश्विक परिदृश्यों का अच्छी तरह अध्ययन कर देश की वास्तविक स्थिति से मेल खाने वाली राष्ट्रीय विकास की नई राह खोज ली और इस राह पर चलते हुए देश में सुधार व खुलेपन तथा आधुनिकीकरण-कार्य में भारी उपलब्धियां हासिल हुईं।इस ऐतिहासिक दौर में जो सिद्धांत लागू किए गए,वे चीन के समाजावादी आधुनिकीकरण को जीत की ओर ले जा सकने वाले सिद्धांतों के रूप में साबित किया गया है।चीनी विशेषता वाले इन समाजवादी सिद्धांतों को तंग श्याओ-फिन का सिद्धांत तय किया गया है।
तंग श्याओ-फिन का सिद्धांत विचारों की मुक्ति और तथ्यों के आधार पर सही खोज करने के वैचारिक रास्ते पर कायम रहता है।इस सिद्धांत में प्रस्तुत नए चिवारों ने मार्क्सवाद,
लेनिनवाद और माआ त्से-तुंग विचारधारा को समृद्ध बनाया है।इसलिए वह आधुनिक दौर में चीन का मार्क्सवाद या मार्कसवाद का चीन में नया विकास माना गया है।
तंग श्याओ-फिन का सिद्धांत चीनी जनता द्वारा व्यवहार में प्राप्त अनुभवों और उस की सामूहिक बुद्धि का सुफल है तथा चीनी विशेषता वाले समाजाद के निर्माण के दौरान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का कार्य-निर्देशक भी है।
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