• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-09-17 09:44:29    
चुम्बकिय सौन्दर्यता प्राप्त तीर्थस्थल में सुखमय जीवन

cri

वो चाहे जल-जहाज में हो या फीर हवाई जहाज में, कोई भी पर्यटक अगर इस जगह का सैर करेंगे तभी ही इस जगह की सौंदर्य का सिफ्त उठा सकेंगे। यहां आकर न सिर्फ चीन की भूगौलिक विशालता के बारे में पता लगता है बल्कि इस बात से भी आशचर्य होता है की किस तरह थोड़े ही दूरी में स्थित अलग अलग जगह किस तरह प्राक्रतिक सौंदर्यता के दृष्टि से कितने अलग और कितने सुंदर होते हैं।

विक्टोरिया क्रुइस में एक छोटे समय की छुट्टी मनाने का आनंद ही कुछ और है। राजधानी पेइचिंग से यिछांग शहर, जो हुपेई प्रांत के समुद्र तट में स्थित शहर है, की दूरी तय करने के बाद, एक समुद्र जहाज में सवार होने के बाद, चार रातों के बाद दक्षिणपूर्वी चीन के सब से शहर छुंगछिंग पहुँचा जा सकता है। इन चार दिनों के दिलचस्प और मनोरम यात्रा के दौरान थ्री गोर्जेस की सुंदरता को देखने और सराहने का मौका मिला। इसके अलावा विशव के इस सबसे विशाल डैम के सर्वाधुनिक जलक्रियाएँ और कचोउपा डैम भी देखने को मिलता है।

लेकिन अगर आप समझते हैं की समुद्र जहाज के चार दिनों के यात्रा ही केवल दिलचस्प है तो शायद कोई भी पर्यटक धोखे में है. एक बार छुंगछिंग पहुँचने के बाद वहां की प्राकृतिक सौंदर्यता देखने को मिलती हैं। लेकिन चीन के पिछले बीस वर्षों में,जिस तरह कई बदलाव आए हैं, उसी तरह, छुंगछिंग में भी पिछले कुछ सालों में भारी तफ्दीलियाँ हुई हैं। यहां की ऊँची इमारतें, आधुनिकता देखकर काफी लोग आशचर्य में पड़ जाते हैं।आज यहां के लोगों में आत्म-विशवास की कोई कमी नहीं है।

इस आत्म-विशवास का एक कारण यह है की लोगों के पास आज पहले के मुकाबले कई ज्यादा पैसे हैं। अगर इस शहर की सरकार सार्वजनिक बुनियादी संरचना में खर्च नहीं करती, और अगर यगां के लोग पिछले दो वर्षो में बाड़ और सूखे का सामना करने में असफल रहते तो शायद वे अपने शहर के उपर उतना गर्व नहीं महसूस करते। आज से पीस वर्ष पहले इस शहर के वासियों में अपने शहर के प्रति गर्व नहीं होता।

जो कोई इस शहर को जाता है वो इस शहर के सुंदर दृशयों और यहां की स्वादिष्ट पकवानों का दिवाना हो जाता है। यहां की आकर्षक जगहों में आज हाल ही में निर्मित की गयी बोलिवार्ड है जो कई सारे देशों के और चीन के दूसरे इलाकों के आकर्षणिय भोजनालयों से सुसज्जित है। यांगत्स नदी के उत्तर में स्थित यह जगह, आस पास के नवनिर्मित भवनों के साथ काफी आकर्षणिय लगते हैं। अगर आप को चीन की सैर करने का मौका मिले तो छुंगछिंग की सैर जरुर करें।

चीन के विशाल क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के अपने अपने आदत है । यहां शादी में लड़कियों की रोने की प्रथा सुनिये । चीन में शादी के समय रोने की प्रथा कई शताब्दियों से प्रचलित थी। चीन के सिछुआन प्रांत में छिन राजवंश के अंतिम काल में यानि सन् 1644ई प्रारंभ होकर छिंग राजवंश तक प्रचलित थी। लेकुन यह प्रथा आज भी चीन के कुछ भागों में इस परंपरा का पालन किया जाता है। इस परंपरा को बरकरार रखने वाली समुदाय है, थुचिया समुदाय, जो दुल्हन और उसके सबसे नजदीक के महिला रिशतेदारों के शादी से पूर्व रोने की प्रथा को पालन करता है और इस समाज में सभी शादियों का एक महत्तवपूर्ण भाग मानते हैं।

सिछुआन प्रांत के दूसरे भागों में भी इस प्रथा को मानते हैं। बुजुर्गों के अनुसार, हर एक दुल्हन को शादी से पहले अवशय रोना चाहिए। अगर दुल्हन इस प्रथा का उल्लंघन करती है तो समाज में दूसरे लोग उसे गिरी नजरों से देखते हैं और कई बार उसे असभ्य भी ठहराते हैं। ऐसे भी धटनाएँ सामने आई हैं जब दुल्हन की माता उसके न रोने पर उसे मार-पीटकर रुलाती है।चीन के इतिहास में वारिंग स्टेट्स यानि युद्ध करते प्रांत वाले समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, चाओ राजवंश की राजकुमारी को येन राजवंश के एक राजा से विवाह के बाद विदा किया जा रहा था तब राजकुमारी की माता ने बेटी के पैरों पर गिर कर विंती की कि वो जल्द घर वापिस आए। विवाहों में दुल्हन के रोने की रीति तब से आरंभ हुई।पशचिम सिछुआन प्रांत में इस सम्प्रदाय को जुओ थांग यानि एक हाल में बैठ कर रोने की प्रथा का नाम दिया गया है। विवाह के एक माह पूर्व से ही दुल्हन को हर रात एक घंटे के लिए रोना पड़ता है। इस क्रिया में उसके माता, नानी, बहन सभी भाग लेते हैं। इस प्रथा से शादी के माहौल से सुसज्जित घर को विवाह के लिए एक खास और अनुकूल वाता-वरण बनाने में मदद मिलती है।

इस रोने की परम्परा की खासियत यह होती थी की रोते हुए दुल्हन कई गानें गाया करते थे। इन गितों का मतलब और सारांश समय के हिसाब से अलग-अलग होते थे। कई बार तो दुल्हन अपने वर से असंतुष्ट होने पर लड़के वालों के साथ परिचय कराने वालों को गाली दिया जाता था। पुराने जमाने में चीन में शादी के मामले में लड़कियों को स्वेच्छा नहीं मिलतीथी। इस परंपरा की निंदा आज भी कई ओपेरा में और नाटकों में देखने को मिलती हैं। आज चीन में लड़कियों को लड़कों के साथ समान सामाजिक स्थर प्राप्त है और शादी में रोने की परंपरा कुछ गिने चुने ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलती है।