हाल ही में चीन की सबसे प्रमुख अखबार में छपे एक चित्र ने काफी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। इस चित्र में एक प्राइमेरी स्कूल के आठ या नव वर्ष के विद्यार्थी ने उसके कद के लगभग एक बोरे को अपना विद्यालय ले जाते हुए दिखाया गया। इस बोरे में खाली बोतल और अलग-अलग किस्म के डिब्बे थे जिन्हें इकट्ठा करने की जिम्मेदारी गर्मि की छुट्टियों में गृह-कार्य के रुप में बच्चों को दिया गया।
चीन के चचीआंग प्रांत के युयाओ शहर के तुंगफ़ंग प्राइमेरी स्कूल ने अपने विद्यार्थियों को यह जिम्मेदारी दी गयी की वे गर्मी की छुट्टियों में खाली प्लास्टिक बोतल और टीन की डिब्बे इकट्ठा करें। स्कूल के अधिकारी इकट्ठा किये गये डिब्बों को बेच कर उससे आए आमदनी से स्कूल के गरीब छात्रों की मदद की जायेगी। इस स्कूल के इस कदम की जितनी भी सराहना की जाय कम हैं और सच्चे मायने में दूसरे शिक्षा संस्थाओं के लिए एक शानदार उदाहरण है। ऐसे कदमों से बच्चों में गरीबों के प्रति उदारता की बुद्धि उत्पन्न करने में एक अहम भूमिका निभा सकती है। साथ ही उनमें शारिरीक क्रम और क्रम-शिक्षा की महत्तवता के बारे में बताया जा सकता है। उन्हें पैसे के मूल भी पता लगेगा और उनको एहसास होगा की पैसे कमाना कितना कठिन है।
आजकर शहरों में पलते-बढ़ते बच्चे आम तौर पर प्यार दुल्हार से बिगाड़े जाते हैं और उन्हें पैसे का महत्तव पता नहीं लगता। पाकेट मनी के नाम में उन्हें पैसे खर्च करने को दिये जाते हैं। सन् 2004 में चीन, जापान. वियेतनाम, और दक्षिण कोरिया में किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन के बच्चों को सबसे अधिक पाकेट मनी यानि जेब खर्च के पैसे दिये जाते हैं। चीन के परम्परागत नव वर्ष में कई बच्चों को कुछ हजार युआन दिये जाते हैं लेकिन उन्हें जरा भी पता नहीं होता की पैसे कमाने के लिए कितना परिश्रम करना पड़ता है।
जब चचीआंग प्रांत के युयाओ शहर के तुंगफ़ंग प्राइमेरी स्कूल के बच्चों को उनके मेहनत का फल देखने को मिला तो वे काफी प्रसन्न हुए। क्यों की एक बोरे से उन्हें साठ युआन का फायदा हुआ। बच्चों को इससे उनके मेहनत के फल के बारे में पता लगता है और वे पैसे खर्च करने से पहलेकम से कम दो तीन बार सोचेंगे और पैसे का इज्जत करना सीखेंगे। इसके अलावा बच्चों को यह पता लगेगा की उनके माता पिता उनके पर्वरिश के लिए कितने पैसे खर्च करते हैं। इससे बच्चों के मन में उनके माता-पिता के प्रति प्यार और इज्जत बढ़ेगी।
इधर के वर्षों में चीन सरकार ने प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा को विशेष जोर दिया है । और इस कार्य में भी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था के सुधार को प्राथमिकता दी है । चीन में हरेक बच्चे के लिये नौ वर्षीय अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू है । इस के बाद चीन के शिक्षा रुपांतरण कार्य का केंद्र छात्रों की गुणवता बना है। यानी, पहले स्कूलों में छात्रों द्वारा परीक्षा में प्राप्त अंकों को ज्यादा महत्व दिया जाता था , अब तो उन की वास्तविक गुणवता पर ध्यान किया जाएगा । संक्षिप्त में इसे गुणी शिक्षा कहा जा रहा है , जबकि पुरानी शिक्षा व्यवस्था परीक्षित शिक्षा कहलाती रही ।
गुणी शिक्षा से छात्रों की वास्तविक गुणवता व क्षमता को उन्नत करना है । परंपरागत शिक्षा व्यवस्था की तुलना इस का फर्क यह है कि छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक नहीं , बल्कि उन्हें ज्यादा वास्तविक क्षमता उपलब्ध कराने पर जोर देनी है । चीन की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में अध्यापक, अपने छात्रों को परीक्षा पास करने के लिये बहुत सा गृहकार्य करने को कहते हैं , छात्र इसे लदा रहता है । ऐसी शिक्षा व्यवस्था से उन छात्रों , जो बढिया अंक प्राप्त करते हैं , की वास्तविक क्षमता आम तौर पर बेचारगी की हालत में रहती है । दूसरी ओर , अन्य छात्र , जो अच्छे अंक पाने में असमर्थ रहते हैं , की पढ़ने में रूचि भी निम्न बनी रहती है । इसलिये वर्ष दो हजार से चीनी शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को गुणी शिक्षा देने का आह्वान किया , इस का उद्देश्य यही है कि गृहकार्य के बोझ को कम कर छात्रों की नीहित शक्ति जगायी जाए , और आधुनिक सूचनाओं के जरिये उन की मिश्रित क्षमता उन्नत की जाए ।
चीनी शिक्षा मंत्रालय ने जो रूपरेखा पेश की है उस में देश में गुणी शिक्षा शुरू करने के लिये मौजूदा कक्षाओं, पाठ्य पुस्तकों तथा परीक्षा व्यवस्था आदि सभी का रुपांतरण किये जाने की जरूरत है । इस में पाठ्य सामग्री व परीक्षा व्यवस्था में सुधार सब से महत्वपूर्ण बताया जा रहा है । इस महान कार्य की तैयारी में पेइजिंग नेर्मिल विश्ववित्यालय ने चीनी शिक्षा मंत्रालय के निदेश पर प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की विभिन्न श्रेणियों के लिये उपयोगी गणित व चीनी भाषा आदि की नयी पाठ्य पुस्तकें तैयार की ।
चीन की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में विदेशी भाषा और कम्प्यूटर कक्षा का भी महत्वपूर्ण स्थान है । चीन गुणी शिक्षा के अपने कार्यक्रम में छात्रों की हस्तशिल्य , आविष्कार तथा खेल व कला से संबंधित क्षमता को बहुत महत्व दे रहा है । इस उद्देश्य से चीन सरकार ने गत वर्ष में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के छात्रों के लिये सैकड़ों विशेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना भी की है ।
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