आज जिन श्रोताओं के सवालों का जवाब दिया जा रहा है,वे हैं मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के आफताब अहमद अंसारी, नारनौल हरियाणा के उमेश कुमार और विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह।
मऊनाथ भंजन उत्तर प्रदेश के आफताब अहमद अंसारी का सवाल है कि चीन में कितने विश्वविद्यालय हैं? किस विश्वविद्यालय को सब से अधिक लोकप्रियता प्राप्त है? और किस विश्वविद्यालय में विदेशी छात्र पढ़ते हैं?
चीन में प्रमुख विश्वविद्यालयों की संख्या सौ से भी अधिक है,जिन में पेइचिंग विश्वविद्यालय और छिनह्वा विश्वविद्यालय सब से लोकप्रिय है।हां,पेइचिंग विश्वविद्यालय सब से प्रसिद्ध है।इस का कारण है कि यह विश्वविद्यालय चीन में राष्ट्रीय स्तर का सब से पुराना बहुपयोगी उच्चशिक्षालय है और उस ने अध्यापन के उंचे स्तर से विश्व में अपनी प्रतिष्टा स्थापित की है।चीन के आधुनिक इतिहास में बहुत से जाने-माने व्यक्ति इस के स्नात्तक हैं।याद रहे कि इस समय हिन्दी की शिक्षा पूरे चीन में केवल पेइचिंग विश्वविद्यालय में होती है।हमारे जैसे सभी चीनी हिन्दीवाले पेइचिंग विश्वविद्यालय के पू्र्वी भाषा व साहित्य विभाग से स्नात्तक हुए हैं।
चीन के लगभग सभी बड़े शहरों के विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्र पढ रहे हैं।पेइचिगं,शाँघाई और क्वांगचो जैसे प्रमुख शहरों में उन की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है।आम तौर पर विदेशी छात्रों को चीन आने के बाद सब से पहले पेइचिंग भाषा विश्वविद्यालय में भर्ती होना होता है,ताकि उन की चीनी भाषा का स्तर जितना उन्नत हो सके,उतने से उन्हें चीनी पाठ समझ में आ सके।चीनी भाषा में परीक्षा उतीर्ण करने के बाद वे अपनी पसंद के पाठ्यक्रम के अनुसार विश्वविद्यालय चुन सकते हैं।
नारनौल हरियाणा के उमेश कुमार का प्रश्न है कि चीन में संयुक्त परिवार प्रणाली पूर्णताः है अथवा आंशिक?
दोस्तो,इस संदर्भ में चीन की स्थिति भारत जैसी ही है।पहले चीन में परिवार की चार पीढ़ियों के एक साथ रहने को पूरे परिवार की खुशहाली का द्योतक माना जाता था।इसलिए संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित थी।पर समय परिवर्तन के साथ-साथ यह प्रणाली वास्तविकता से मेल नहीं खा पाई और इस की जगह एक दंपति एक बच्चे वाले छोटे परिवार ने ले ली।इस समय चीन में ज्यादात्तर लोग चाहे वे अभिभावक हो या संतान हों,अपनी निजी जिन्दगी पर अधिक ध्यान देने लगे हैं,खासकर नौजवान किसी भी दूरस्थ क्षेत्र में जाने को भी तैयार हैं,जहां उन्हें अपनी प्रतिभा और योग्यता पूरी तरह दिखाने का अवसर मिल सके।इस वक्त अधिकत्तर चीनी युवकों के ख्याल में कैरियर परिवार से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। वे काम को जिन्दगी का केंद्र मानते हैं न कि परिवार को।इसलिए अब चीन में संयुक्त परिवार प्रणाली बनाए रखने की संभावना लुप्तप्राय हो गई है।पर ढाढस देने वाली बात यह है कि अभिभावक आम तौर पर उन का समर्थन करते हैं औऱ जहां तक हो सके,उन्हें मदद देते हैं।
खैर,चीन में अब भी विवाहित संतान के मां-बाप के साथ रहने की स्थिति देखने को मिलती है।इस का एक प्रमुख कारण है मकान की खरीददारी में धन की कमी।पर्याप्त धन कमाकर मकान खरीदने पर बच्चे मां-बाप से अलग होकर अपने घर बसा लेते हैं। पर भारत की तरह चीन में भी अभिभावकों के प्रति श्रद्धा को नैतिक चर्मोत्कृष्ट माना जाता है।इसलिए संतान चाहे मां-बाप से कितने ही दूर क्यों न हो,छुट्टियों में उन्हें देखने के लिए जरूर घर वापस लौटती है।
विकास नगर दिल्ली के अविनाश सिंह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के चिन्ह और ध्वज के बारे में जानना चाहते हैं।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का चिंह लाल रंग का है,जिस पर सुनहरे रंग के हथौड़े और दरांती से एक डिजाइन बना है।लाल रंग चीनी क्रांति का प्रतीक और पीला हथौडा व दरांती चीनी मजदूरों व किसानों के काम करने के औजारों का प्रतीक है।यह चिंह इस बात का प्रतीक भी है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चीनी मजदूर-वर्ग का अग्रणी दस्ता है,जो मजदूर-वर्ग और व्यापक जन-समुदाय के मूल हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का ध्वज भी लाल रंग का है,जिस पर पार्टी का चिंह अंकित है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के चिंह और ध्वज चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के द्योतक हैं।इसलिए पार्टी के विभिन्न स्तरों के संगठनों और हरेक पार्टी-सदस्य को इस चिंह और ध्वज के सम्मान की रक्षा करने का कर्तव्य निभाना होता है।इस चिंह और ध्वज का निर्माण और प्रयोग संबंधित कानून-नियम के अनुसार ही किया जा सकता है।

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