सिन्चांग और कनाडा के बीच पश्चिमी चीन के सिन्चांग वेवर स्वास्थ्य प्रदेश में चल रही शिक्षा सहयोग परियोजना के बारे में रिपोर्ट का एक भाग प्रस्तुत हो चुका है , अब इस का दूसरा भाग प्रस्तुति हैः
चीन के पश्चिमी भाग तथा सिन्चांग में छात्रों को केन्द्र बना कर शिक्षा देने का तरीका व्यापक रूप से अपनाया जा रहा है । इस नई पद्धति के अन्तर्गत सिन्चांग में अल्पसंख्यक जातियों के प्राइमरी व मीडिल स्कूली छात्र पढ़ाई के विभिन्न विषयों पर श्रेष्ठ हान जातीय अध्यापकों से शिक्षा लेते हैं । अल्पसंख्यक जातीय प्राइमरी व मीडिल स्कूली अध्यापकों को स्कूल के भीतर ही विभिन्न स्तरों का पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त हो सकता है । पिछले पांच सालों के कामों से साबित हुआ है कि विदेशों से आयातित नयी शिक्षा अवधारणा और अध्यापन के नए तौर तरीके का व्यापक शिक्षकों व छात्रों में बड़ा स्वागत किया गया है ।
सिन्चांग की शानसान काऊंटी के प्रथम मीडिल स्कूल के कम्प्युटर शिक्षक श्री होपुर ने कहाः
अतीत में हम कक्षा में छात्रों को अंधाधुंध रूप से विभिन्न विषय पढ़ा कर भर देते थे , छात्र सिर्फ कान ला कर सुनते थे । अध्यापक जो पढ़ाते थे , उसे छात्र याद कर रट लेते थे । इस पढ़ाई तरीके से छात्रों की समझने और सोच विचार करने की क्षमता कुंठित हो जाती थी और पढ़ने में क्रियाशील और चिंतनशील नहीं रहते थे । अब हम ने कक्षा में छात्रों को केन्द्र बनाये जाने का तरीका अपनाया । इस के तहत हम कक्षा में पाठ के मुताबिक प्रश्न पूछते हैं और छात्र प्रश्नों के उत्तर देते हैं , जब कभी कोई विषय छात्रों को समझ में नहीं आता , तो वे तुरंत पूछ लेते हैं । यह एक ऐसा बहुत उपयोगी व कारगर अध्यापन व पढ़ाई का तरीका है , जिस में अध्यापक और छात्र दोनों सक्रिय रूप से चिंतन करते हैं और आपस में आदान प्रदान करते हैं । अध्यापकों का व्याख्या रूचिकर होता है और छात्रों को पाठ समझने और याद करने में रूचि पैदा होती है ।
वर्तमान में सिन्चांग में हर स्कूल में अध्ययनशील रहने और अध्यापकों व छात्रों के बीच तालमेल बिठने का नजारा नजर आता है । स्कूलों में अध्यापक और छात्र मेलमिलाप से रहते हैं , अध्यापक मेहनत से पढ़ाते हैं , छात्र लगन से पढ़ते हैं , वे सक्रियता के साथ विचारों का आदान प्रदान करते हैं । अध्यापकों और छात्रों के बीच पहले की जैसी तनाव की स्थिति एकदल गुम हो गयी . इस तरह के मधुर और खुशनुमा माहौल में छात्र मुक्त मंथन करते हुए विचारों का आदान प्रदान करते हैं , खुद शिक्षा का अनुभव संजोए करते हैं , एक दूसरे की मदद करते हैं और श्रेष्ठता पाने के लिए कोशिश करते हैं और अपनी श्रेष्ठता का उजागर करने में संकोच नहीं रखते है और अपने श्रेष्ठ व्यक्तित्व का विकास करते हैं । सिन्चांग के इलेक्ट्रोनिकल शिक्षा विभाग के जनरल संपादन विभाग के प्रधान श्री बायिनकहान ने अपना अनुभव बताते हुए कहाः
नए अध्यापन तरीके स्वःचिन्तनशीलता के विकास पर महत्व देते हैं । छात्रों को अपने अध्ययन से निष्कर्ष निकालने का प्रोत्साहन दिया जाता है । उन से अध्यापकों पर निर्भर नहीं करने की मांग की जाती है। अध्यापकों और छात्रों के बीच संबंधों के सुधार और कक्षा के मधुर माहौल के विकास पर ध्यान दिया जाता है ,छात्रों को दोस्त तूल्य शिक्षक पाना चाहिए । नए अध्यापन तरीका अपनाने वाले प्रयोगात्म स्कूलों में पाठों का प्रबंध परम्परागत प्रबंध से भिन्न किये जाते हैं , छात्रों को विभिन्न दलों में बांटा जाता है , वे अपने दल में पढ़ते है और विचार विमर्श करते हैं और अपने अनुभवों का आदान प्रदान करते हैं । इसलिए कक्षा में वातावरण जोश से भरा हुआ है और सभी छात्र क्रियाशील रहे हैं ।
सिन्चांग के शिक्षा कार्यकर्ताओं का यह व्यापक मत है कि छात्रों को केन्द्र बना कर शिक्षा देने के तरीका पर किए गए अमलों से साबित हुआ है कि यह एक समुन्नत अध्यापन अवधारणा और तौर तरीका है । इस समुन्नत तरीकों का पश्चिमी चीन के दूर दराज अल्पसंख्यक जातीय आबादी इलाकों में लोकप्रिय बनाना और उस की सफलता पाना एक मुश्किल से प्राप्त अच्छा मौका है , साथ ही एक बड़ी चुनौति भी है । पांच सालों का चीन कनाडा सहयोग का यह मुद्दा समाप्त होने वाला है , इस में जो उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं , वहां व्यापक रूप से मान्य हुई है । लेकिन नवोदित तरीके पर कायम रहना कोई आसान काम नहीं है । इस के लिए परम्परागत बंधन को तो़ड़ना चाहिए और नई चीजों का निरंतर विकास करने पर टडे रहना चाहिए . सिन्चांग के शिक्षा क्षेत्र का कहना है कि वे छात्रों को केन्द्र बना कर शिक्षा देने के तरीके का प्रचार प्रसार करने के लिए कटिबद्ध है । उन्हें विश्वास है कि इस नए शिक्षा तरीके को पूरे सिन्चांग में फैलाने की सफलता प्राप्त हो ।
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