हकलाने वाले हमारे जीवन में अक्सर दिखाई पड़ते हैं । ये लोग किसी कारण से सामान्य तौर पर नहीं बोल सकते हैं । हकलाना आम तौर पर बचपन से ही शुरू होता है । यह रोग होने का कारण अभी तक साफ नहीं है , पर इस रोग से ग्रस्त लोगों को हमेशा के लिए जिंदगी भर दुख उठाना पड़ता है । इसलिए बहुत से चिकित्सक जी-जान से हकलाने का इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं ।
उत्तरी चीन के शिआन शहर में हकलाने के रोग के लिए विशेषज्ञ प्रोफेसर चेन च्या रूं अनेक वर्षों से हकलाने के रोग को दूर करने के उपायों का अनुसंधान कर रहे हैं और इस क्षेत्र में उन्होंने बड़ी प्रगति भी हासिल की है । इधर के वर्षों में उन्हों ने अपने तरीके से कोई बीस हजार रोगों को हकलाने के रोग और दुख से मुक्त किया है ।
श्री चेन ने शिआन शहर में स्थापित अपने 'बोलियों का आदान-प्रदान विशेष स्कूल 'में संवाददाताओं को बताया कि हकलाने वालों का सब से बड़ा दुख यही है कि वे अपने दिल की बातें दूसरों को आसानी से नहीं बता पाते । मिसाल के तौर पर शू नामक एक व्यक्ति हकलाने के कारण चालीस वर्षों से साफ-साफ नहीं बोल सका । प्रोफेसर चेन के स्कूल में कुछ समय तक अभ्यास करने के बाद उन्हें बोलने में भाषा के प्रयोग की क्षमता हासिल हुई । पर खेद की बात है कि उस की पिता जी उसे बोलता देखने से पहले ही चले गये ।
स्कूल में देश के कोने-कोने से आये हुए छात्र हैं । सिंच्यांग स्वायत्त प्रदेश से आए लड़के वांग ह्वा ने कहा कि कल की क्लास में अध्यापक ने उसे मानसिक शिक्षा दी और उस के दिल में सक्रिय भावना पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया। लड़का वांग ह्वा पहले उदासी में फंसा हुआ था , स्कूल में शिक्षा लेने के बाद अब वह एक खुला और प्रसन्नचित्त लड़का बन गया है ।
उस ने संवाददाता को बताया , अब मैं एक तेल मजदूर हूं , बाद में मैं भी कारोबारों में निर्देशक जैसा लीडर बनना चाहूंगा । और यहां के अभ्यास से मेरे भविष्य की लिए नींव तैयार हो रही है।
शिआन शहर के'बोलियों का आदान-प्रदान विशेष स्कूल 'में पढ़ने वाले छात्रों के साथ बातचीत करते समय कोई मौखिक बाधा नहीं महसूस होती है । लेकिन इने-गिने दिनों से पहले उन की हालत गंभीर ही थी ।
श्री चेन के इलाज करने के तरीके की ऐसी विशेषता है कि छात्र बहुत जल्द समय के भीतर ही स्पष्ट प्रगति हासिल कर सकते हैं । क्योंकि श्री चेन के उपाय के मुताबिक हकलों को साहस के साथ अपना मुंह खोलना ही पड़ता है । इसलिए चेन ने अपने छात्रों से यह मांग की है कि जो देखना है , उसे अपने मुंह से बोलना है और जो विचार में आता है , उसे मुंह में से निकालना है । हकलाने वाले शुरू में मुंह खोलने में हिचकिचाते हैं , पर ऐसा अभ्यास करने के जरिये उन की बातें सुव्यवहारिक बनने लगती हैं । इसमें मानसिक बंधन को हटाना बहुत महत्वपूर्ण है । इसलिए श्री चेन के स्कूल में हकलाहट से ग्रस्त रोगियों के लिए कुल 27 दिनों का कोर्स है , जिस के जरिये रोगी आम तौर पर सामान्य बन सकते हैं ।
श्री चेन ने कहा कि उन के स्कूल में सब से पहले छात्रों को धीरे-धीरे बातचीत करना सिखाया जाता है । यानी नम्रता से बातचीत करनी चाहिये । इस के बाद छात्रों को मानसिक तौर पर तैयार किया जाता है । क्योंकि हकलाने वालों में आम तौर पर आत्मविश्वास की कमी रहती है । इसलिए हकलाहट को दूर करने के लिए सर्वप्रथम उन में आत्मविश्वास की कमी को दूर करना जरुरी है ,और चेन के स्कूल में छात्रों को मानसिक विश्लेषण, याद करने तथा मानसिक दबाव से मुक्त करने आदि के उपाय अपनाए जाते हैं । अवचेतन को बदलाने के जरिये हकलाने वालों के विचारों में परिवर्तन किया जा सकता है ।
श्री चेन ने कहा कि हकलाहट से ग्रस्त छात्र आम तौर पर तनावग्रस्त होने की स्थिति में, आसपास बहुत भीड़ होने पर, या विपरित लिंग के सामने हकलाने लगते हैं । इसलिए ऐसे छात्रों की मदद के लिए उन की ऐसी भावना को सर्वप्रथम तौर पर दूर किया जाना चाहिये । इस के बाद छात्रों को अधिकाधिक लोगों के सामने भाषण देने के लिए और दूसरों के साथ संपर्क रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
श्री चेन अक्सर अपने हकलाने वाले छात्रों को सड़क, बसों जैसी भीड़-भाड़ वाली जगहों में भाषण देने का अभ्यास करवाते हैं , ताकि उन के मानसिक धैर्य को उन्नत किया जा सके । इस उपाय से छात्रों को बड़ा लाभ मिलता है । छात्रों में से एक , मिस वांग यू ली ने कहा , मैं पहले हकलाने के कारण बहुत कम बातचीत कर पाती थी । क्योंकि मैं दूसरों के सामने आसानी से नहीं बोल सकती थी । अगर दूसरों ने मेरी हकलाहट की चर्चा की या मेरे सामने इस बात को उठाया , तो मुझे बहुत दुख होता था। यहां अभ्यास करके मैं बेरोकटोक बातचीत कर सकती हूं , यह मेरी जिंदगी भर की अभिलाषा है ।
लेकिन लोग यह नहीं जानते हैं कि'बोलियों का आदान-प्रदान विशेष स्कूल 'के संस्थापक श्री चेन च्या रूं खुद भी एक हकलाने वाले व्यक्ति थे । अपने बचपन से ही श्री चेन हकलाहट से ग्रस्त रहे थे । उन्हों ने कहा, दूसरे लोगों के सामने जब भी मैं मुंह खोलता , मेरा दिल धक-धक दौड़ने लगता ,मेरी सांस फूल जाती और शरीर पसीने से लथपथ हो जाता। मीडिल स्कूल में अपना कोर्स समाप्त करने के बाद श्री चेन च्या रूं ने अपने रोग का खुद इलाज करना शुरू किया और इस में अनेक उपायों की खोज की ।
उन्हों ने कहा कि हकलाहट का खात्मा करने के लिए मैं ने जानबूझकर पहाड़, पेड़, नदी और पशुओं के सामने जा कर बोलने का अभ्यास किया । कभी-कभी मैं ने मुंह में एक छोटा पत्थर रखकर बातचीत करता था , ताकि मुंह की शक्ति को मजबूत किया जा सके । अनगिनत बार अभ्यास करने के बाद चेन च्या रूं ने महसूस किया कि दिल में अशांत होना , या मानसिक तौर पर तनावग्रस्त रहना हकलाहट का प्रमुख कारण है । इसलिए हकलाहट को दूर करने के लिए सर्वप्रथम दिल में मौजूद अस्वाभाविकता को दूर किया जाना चाहिए । श्री चेन ने हकलाहट के इलाज में लम्बी सांस लेने , विशेष मांस पेशियों का अभ्यास, उच्चारण अभ्यास आदि तरीकों का अनुसंधान किया ।
श्री चेन ने अपने उपायों की चर्चा में कहा कि जब हम मानसिक तनाव को दूर कर लेते हैं , तब हमें एहसास होता है कि दिल में प्राकृतिक शांति कायम हो सकती है , और इस समय अगर दिल में कुछ बातें हैं जिन्हें कहना है , तो मुंह स्वभाविक तौर पर खुलता है ।
अपनी हकलाहट को दूर करने के बाद श्री चेन ने दूसरे हकलाने वालों की मदद करनी चाही। अपने उपायों के जरिये एक विशेष स्कूल खोलकर अधिकाधिक हकलों के दुख दूर करने का विचार उन के मन में आया ।
इधर के वर्षों में श्री चेन ने इलाज के अपने तरीकों से तथा स्कूल के जरिये बहुत से हकलाने वालों की मदद की है और देश के विभिन्न तबकों से अनगिनत सम्मान और प्रशंसा हासिल की है । देश के राजकीय संपदाधिकार ब्यूरो ने उन के हकलाहट इलाज तरीकों के आविष्कार को पैटेंट के लिए सौंपा है , स्थानीय सरकार ने उन्हें सम्मानित किया है, अनेक कालेज़ों ने उन्हें अपने यहां व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया है , देश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में श्री चेन हकलाहट के इलाज में बहुत उच्च कौशल प्राप्त चिकित्सक के नाम से जाने जाते हैं ।
अब श्री चेन के स्कूल में केवल हकलाहट का इलाज नहीं किया जा रहा है , जवानों के भाषण कौशल का अभ्यास करने का कोर्स भी चलाया जा रहा है । श्री चेन अपने कौशल से अधिकाधिक लोगों को शानदार जीवन उपलब्ध कराना चाहते हैं ।
|