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(GMT+08:00) 2007-09-03 15:30:51    
माओ त्से-तुंग की विचारधारा,चीन का सर्वोच्च ऊंचा पहाड,महिलाओं की स्थिति

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आज जिन श्रोताओं के सवालों का जवाब दिया जा रहा है,वे हैं बेलगाम कर्नाटक के सलीम अब्बास देसाई और मुजफ्फरपुर बिहार के दीपक कुमार दास।

बेलगाम कर्नाटक के सलीम अब्बास देसाई यह जानना चाहते हैं कि चीन के ऊंचे पहाड का क्या नाम है?

भैय्या,हिमालय पर्वत चीन का सब से ऊंचा पहाड़ है।उस की छोमालांमा चोटी विश्व की सब से उंची चोटी है।8848 मीटर ऊंची इस चोटी पर जो सौ से अधिक हिमनद पाए जाते हैं,उन का कुल क्षेत्रफल 1600 वर्गकिलोमीटर है।हर साल अनेक पर्वतारोही इस पर्वत शिखर की उत्तरी व दक्षिणी ढलानों से इस पर चढने की कोशिश करते हैं और कई सफल भी रहे हैं।

मुजफ्फरपुर बिहार के दीपक कुमार दास पूछते हैं कि चीन में महिलाओं की स्थिति कैसी है ? क्या चीन सरकार ने उन्हें आर्थिक योजनाओं में शामिल किया है?

दोस्तो,1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना के शुरूआती काल में ही पारित संविधान में महिलाओं को सभी क्षेत्रों में पुरूषों के बराबर अधिकारों का उपभोग करने का हक दिया गया है।अब चीन की महिलाएं राजनीति,अर्थतंत्र,संस्कृति,शिक्षा,कला व खेलकूद आदि लगभग हर क्षेत्र में बराबर सक्रिय है।

पिछली सदी के 90 वाले दशक में चीन सरकार ने विज्ञान व शिक्षा के सहारे विकास की रणनीति पेश की।इस रणनीति के चलते इधर के कई वर्षों में चीन के शैक्षिक कार्य में भारी प्रगति हुई है और विभिन्न विषयों पर विभिन्न स्तरों की शिक्षा पाने वाली महिलाओं की संख्या बढती गई है।चीन सरकार ने शिक्षालयों में छात्राओं की दाखिला-दर और आगे पढाई की दर बढ़ाने के लिए सकारात्मक उपाय अपनाएं हैं।उदाहरणार्थ पिछ़ड़े व दूरदराज के क्षेत्रों में अथवा अल्पसंख्यक जातिबहुल क्षेत्रों में कन्या-स्कूल या कन्या-कालेज खोले गए हैं,जिन में महिलाएं निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं।संबद्ध आंकड़े बताते हैं कि इस समय चीन में विद्यालयों में छात्राओं की संख्या छात्रों की संख्या से काफी निकट है।

चीन सरकार प्रौढ़ महिलाओं की व्यवसायिक व तकनीकी शिक्षा को भी बड़ा महत्व देती है। पूरे देश में महिलाओं के लिए अनेक माध्यमिक व्यवसायिक स्कूल और कोई 3 व्यवसायिक उच्चशिक्षालय कायम किए गए हैं,जिन में 6 से ज्यादा पाठ्यक्रम पढाए जाते हैं।चीन में महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जाता है।पिछले साल के अंत तक चीन की विज्ञान अकादमी व इंजीनियरिंग अकादमी में महिला अकादमिशियनों की संख्या 70 से भी अधिक थी ,जो अकादमिशियनों की कुल संख्या का 6 प्रतिशत भाग है।यह अनुपात विश्व में अपनी तरह का सब से बड़ा है।

चीन की विभिन्न स्तरीय जन प्रतिनिधि सभाओं में महिला प्रतिनिधियों के चयन को महत्वपूर्ण माना गया है और विभिन्न स्तर की सरकारी संस्थाओं में महिला कार्यकर्ताओं की पदोन्नति व उन की नेतृत्वकारी पद पर नियुक्ति को भी महत्व दिया जाता है।

चीनी महिलाएं देश के आर्थिक निर्माण में बड़ी भूमिका अदा कर रही है।अब पूरे चीन के मजदूरों व कर्मचारियों का लगभग आधा भाग महिलाएं हैं।इस से जाहिर है कि चीन में महिलाओं को पुरूषों के समान रोजगार का मौका मिलता है और उन की आर्थिक स्थिति उन्नत हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ बहुत सी महिला किसान मजदूरों के पांत में शामिल हुई हैं और वे ग्रामीण विकास को बढावा देने की मुख्य शक्ति बनी है।

दोस्तो,चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 17वीं राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा बुलाई जाने वाली है।अब हम लगे हाथ आप को संबंधित जानकारी दें दें।संयोग से कुछ श्रोताओं ने के बारे में कुछ जानने की इच्छा व्यक्त की है।

माओ त्से-तुंग विचारधारा माओ त्से-तुंग को अपना प्रतिनिधि मानने वाले चीनी कम्युनिस्टों द्वारा मार्क्सवाद व लेनिनवाद के बुनियादी सिद्धांतों के अनुसार चीनी क्रांति व निर्माण-कार्य में अर्जित हुए विशेष व समृद्ध अनुभवों का सैद्धांतिक अनुसंधान करके बनाई गई एक वैज्ञानिक व सैद्धांतिक व्यवस्था है,जो चीन की वस्तुस्थिति से मेल खाती है।

माओ त्से-तुंग विचारधारा मार्क्सवाद व लेनिनवाद के आम सिद्धांतों और चीनी क्रांति के ठोस व्यवहार के एक दूसरे से जुड़ने की उपज है और मार्क्सवाद व लेनिनवाद का चीन में प्रयोग व विकास है।व्यवहार से सिद्ध हुआ है कि माओ त्से-तुंग विचाराधारा चीनी क्रांति के सही सिद्धांतों व अनुभवों का निचोड़ है और चीनी कम्युनिस्ट समूह की बुद्धि का परिणाम भी है।

माओ त्से-तुंग विचारधारा की जीवित आत्मा चीनी क्रांति व निर्माण-कार्य से जुड़े रूख,दृष्टिकोण और उपाय हैं,जिन के तीन बुनियादी पहलू हैं: तथ्यों के आधार पर सही खोज करना,जनता से घनिष्ठ संबंध रखना और स्वतंत्रता व आत्मनिर्णय करना। तथ्यों के आधार पर सही खोज करना माओ त्से-तुंग विचारधारा का केंद्र है और चीनी कम्युनिस्टों का वैचारिक रास्ता भी है।

माओ त्से-तुंग का जन्म सन् 1893 में हुआ था और निधन वर्ष 1976 में।वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे और चीन लोक गणराज्य की पहली पीढ़ी के नेतृत्वकारी समूह के नेता थे।

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