आजकल के जमाने में सही बात बोलने के लिए धैर्य की जरुरत है। उदाहरण के लिए साइबर कैफीयों को बंद करने के लिए आपकी सहमति, विशवविद्यालयों में लड़के-लड़कियों के सार्वजनिक स्थलों में अपने प्यार का इजहार करने पर पाबंधी के लिए समर्थन, या फिर पोप स्टार्स के प्रति करोड़ों की तादाद में फैन्स की सम्मोह की आलोचना। इन सभी विषयों में ऐसे लोगों की निंदा की जाती है। जहां तक सरकारी अधिकारीयों का सवाल है उन की तरफ से ऐसे लोगों को कोई भी परेशानी नहीं होती है। लेकिन इंटरनेट में ब्लोगिंग के जरिये ऐसे लोगों की और उन की रायों की बुरे तरीके से आलोचना और खंडन किया जाता है।आलोचना आम तौर पर इस आधार पर की जाती है कि ऐसे विचारधारा मूल मानवाधिकार, आजादी और मानवीय नीतियों का स्वयं से एहसास करना जैसे विषयों के खिलाफ है। प्रेस से जुड़े कुछ लोगों में और संगठनों में ऐसा ही कुछ देखने को मिलता है। जब भी कोई विवादास्पत विषय पर समाज में कोई भी बहस होती है तो मीडिया से जुड़े हुए कुछ लोग ऐसे विचार प्रकट करते हैं जो आम विचारधारा से बिल्कुल अलग हो। ऐसे लोग सिर्फ ये दिखाना चाहते हैं कि वे आम जनता से कितने अलग हैं। ऐसी बात नहीं है की ऐसे लोग स्वाधिनता और मानवाधिकार के प्रति अपना समर्थन देने में कोई गलती कर रहे हैं लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा की कुछ लोग ऐसे विषयों के बारे में ऐसे विचार अपनाये हुए हैं जिस से वे दूसरे लोगों को बता सके कि वे कितने आधुनिक विचारधारा के हैं।ऐसे लोग दिखावे पर ज्यादा ध्यान देते हैं और कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्हें पूरी तरह से उन के विचारों पर दृढ़-विश्वास नहीं है। कुछ दिन पूर्व चीन के कुछ 10 ङाक्टरेट विद्यार्थियों ने चीनी लोगों से अपील की कि वे क्रिसमस का त्यौहार न मनाये। उन का मानना था की विदेशी त्यौहार और पाशचात्य त्यौहार मनाने से पारम्परिक चीनी सभ्यता पर बुरा असर पड़ सकता है। इस अपील से अनेक लोगों ने अपने विचार प्रकट किये लेकिन ज्यादातर लोगों ने मीडिया में और ब्लोगिंग के जरिये इस अपील की जबरदस्त निंदा की और कहा कि वह चीन में सांस्कृतिक विकास के खिलाफ है। कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि यह अपील आधुनिक चीन के लिए खतरे का स्रोत हैं और इस से तानाशाही, मानवाधिकारों का उल्लंघन करने जैसे तत्वों को बढ़ावा मिल सकता है। यह सच है कि कुछ विद्यार्थियों ने ऐसी अपील एक ऐसे समय में की है जब लोग पाशचात्य सभ्यता की तरफ आकर्षित हो रहे हैं और चीनी युवा लोग लाखों की संख्या में क्रिसमस के अवसर पर होटलों और सुपरमार्केटों में काफी पैसे खर्च करते हैं। यह भी सच है कि ऐसे लोग स्वेच्छा से क्रिसमस मनाते हैं और ये उन का निजी मामला हैं। लेकिन साथ ही ङाक्टरेट विद्यार्थियों की अपील की सराहना करनी होगी कि उन्होंने अपनी बात चीनी जनता के सामने रखने की धैर्य दिखायी। उनकी राय में पाशचात्य त्यौहार मनाना संस्कृति से सामूहिक अनभिज्ञता की एक खुली निशानी है। इस में कोई संदेह नहीं है कि विदेशी त्यौहार मनाने के मामले में सरकार को दखलअंदाजी नहीं करना चीहए।साथ ही इस में भी कोई शक नहीं है कि हम आज की युवा पीढी को चीनी संस्कृति के महत्व के बारे में जानकारी देने के लिए नये कदम उठाये। इस प्रयास में मीडिया और शिक्षा से जुड़े अधिकारी एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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