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(GMT+08:00) 2007-09-03 08:43:13    
चीनी बाजारों व नागरिकों के जीवन पर निगाह

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चीन आज भी एक विकासशील देश है और प्रति व्यक्ति के लिए वार्षिक जी डी पी के आधार पर इसकी जी डी पी केवल दो हजार डालर है, जिससे आर्थिक विकास के आधार पर दुनिया में चीन का स्थान सौ के बाद भी है। लेकिन फिर भी ऐशोआराम के सामान खरीदने और उनका उपभोक्ता करना और पैसे खर्च करने से लोग जरा भी संकोच नहीं करते। अब सेल या मोबाईल फोन को ही ले लीजिए।गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चीन में चार सौ मिलियन मोबाईल दूरसंचार सब्सक्राईबर या उपभोगी है और औसत दर पर प्रति दो वर्ष लोग अपना मोबाईल बदलते हैं। ये आंकड़ें कितने सच हैं कहना जरा मुशकिल है, ये आंकड़ें एक बात की गवाही है की प्रति चार पांच वर्षों में करोड़ों और अरबों के तादाद पर कई सारे मोबाईल कूड़े दान में या कूड़े इकट्ठे औऱ जमा करने वालों के बोरे में चले जाता है।

इसके साथ अगर हम इस बात को भी ध्यान में लेते हैं की हर एक मोबाईल की चोरी के साथ साथ उसके एडेप्टर औऱ बैटरी का भी उपयोग नहीं किया जा सकता और ये भी कूड़ा के रुप में तफ्दील हो जाते हैं । एक सेल फोन का मूल उपयोग फोन के जरिये कही पर और कभी भी अपने लोगों और दोस्तों के साथ सम्पर्क बनाये रखना है या फिर एस एम एस यानि छोटे मैसेज भेजना है लेकिन लोग आज एक मोबाईल फोन के ऐसे मूल उपयोगों के पूरे होने से संतोष नहीं है। आज के तेज रफ्तार वाले और फ़ैशन के जमाने में लोग लगातार नये वस्तुओं और चीजों के ओर आकर्षित रहते हैं। इस मायने में लोग,खास कर नौजवान और प्राइवेट कंपनियों में मध्य स्थर और ऊँचे स्थर पर मैनेजरों को सेल फोन बदलने का बहुत शौक है और सेल कंपनियाँ इस वर्ग के लोगों को अपना निशाना बनाते हुए भिविन्न प्रकार के नये तक्नोलोजी से लेप सैल फ़ोन का उत्पादन करते हैं।

नये मोबाइल फोन को खरीदने के तक्नीकी और वाणिज्यिक कारण भी हैं। कई फोन तो ऐसे होते है जिनका खरीदने के तीन साल बाद उपयोग नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है की तीन साल बाद मोबाईल के खराब होने पर उसके पूर्जों को बदलना असंभव हो जाता है क्यों की ऐसे पूर्जे बाजार में नहीं बेचे जाते।

मोबाईल फोन के अलावा दूसरे एलोक्ट्रोनिक वस्तुएँ भी हैं, जैसे, रेफ़्रीजरेटर, टी वी, कंप्यूटर, इत्यादि। ऐसे वस्तुओं को बदलने का शौक का कारण मानव के भ्रष्ट दिमाग और बुद्ध समझते हैं तो यह जात गलत है क्यों की यह तो मानव की प्रकृति है की वो सदा से बदलाव की ओर खिंचा चला आ रहा है। शताब्दियों से विज्ञन में हो रही प्रगति से हमें यह एहसास होने लगा है की विज्ञान और तक्नालोजि का कोई जवाब नहीं है। लेकिन इसमें हम इतना ज्यादा लिप्त हो गये है की हम सब और एक मूल तथ्य को भुला बैठे है। यह तथ्य है पर्यावरण को साफ और शुद्ध रखने का।हम सभी को अपने आप से यह सवाल करना चाहिए की क्या हमें भविष्य के पीडि़यों से उनका हक छीनने का अधिकार है। जी हां, आज हम अपने ऐशो आराम के चक्कर में जिस रफ्तार से प्रदूषण फैला रहे हैं, क्या भविष्य में हमारे बच्चे एक अच्छा जीवन बिता सकते हैं।

चीन के लानचोउ शहर ने पिछले दिनों में इस बात को जरा भी सोचा न होगा की उसके एक निर्णय से चीन में एक प्रकार की नयी सोच उत्पन्न हो सकती है। स्थानीय मीडिया के अनुसार लानचोउ शहर की म्युनिसिपल सरकार की वस्तुओं की दरों से संबंधित दर प्रशासन विभाग ने एक निर्णय लिया की एक कप नूडल का दाम ढ़ाई चीनी युआन से अधिक नहीं होना चाहिए तो चीनी मीडिया, आधुनिक और पारम्परिक, दोनों ही में एक हलचल मच गयी। कई ने इस निर्णय की आलोचना की और लानचोउ की सरकार पर बाजार के नियम तोड़ने का आरोप लगाया। सभी ने अपने अपने राय अलग अलग तरीकों में प्रकट किया, लेकिन सभी इस बात को लेकर एकमत थे की वस्तुओं की दरों में उतार -चढ़ाव को बाजारी ताकतों और नियमों पर छोड़ देना चाहिए जो मांग और आपूर्ति के आधार पर निशचित होता है। अगर किसी भी वस्तु के दरों में बढ़ोत्तरी होती है तो वस्तु की उपभोगता में स्वयं ही कटौती हो जायेगी और कुछ समय बाद वस्तुओं की दाम में फिर कटौती होगी।

लेकिन ऐसे आलोचक इस बात को भूल जाते हैं की एक सच्ची बाजार अवस्था सिर्फ एक कल्पना है और असल में मूल बाजारी सिद्धांतों के आधार पर एक आदर्श बाजार व्सवस्था वास्तविकता में नहीं पाये जाते। गैर बाजारी ताकतों, जैसे, सरकारी नियम व कानून, का होना बहुत जरुरी है क्यों की, ऐसे नियमों के द्वारा, उचित प्रतियोगिता या विकृत मागं और आपूर्ति को नियंत्रण में रखा जा सके।

नूडल के दामों में नियंत्रण लाने का निर्णय लानचोउ की सरकार ने इस लिए लिया क्यों की स्थानिय रेस्त्रों के मालिकों ने एकस्वामित्व कर जबरदस्ती बीफ़ नूडल के दाम में बढ़ोत्तरी की।मीडिया की आलोचनाओं को पहले से ही स्थानिय सरकार ने पूर्वानुमान किया और इसीलिए बीफ़ नूडल की दामों में हस्तक्षेर करने से पहले सरकार ने इस बात की जांच-पड़ताल की कि बीफ़ नूडल की उत्पादन में कितना खर्च होता है।

जांच करने के बाद यह पाया गया की अगर आटे, बीफ़, और बाकी वस्तुओं की दामों में बढ़ोत्तरी के बाद भी नूडल के दामों में बीस फीसदी की बढ़ोत्तरी की गयी। पिछले कुछ दिनों में खाद्य पदार्थों में , जैसे मांस, अंडा, चावल के दामों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन वास्तव में दामों में बढ़ोत्तरी को मुख्य कारण बताते हुए दूसरे खाद्य पदार्थों में दाम को बढ़ाना एक आदत बन गयी है। यह पाया है की सभी होटलों और रेस्त्रों में एक ही समय में बीफ़ नूडल की दाम में बढ़ोत्तरी हुई जिससे यह पता लगा की सभी रेस्त्रों के मालिकों ने एक साथ नूडल के दाम को बढ़ाया।बीफ़ नूडल के दामों में एक छोटा सा फर्क भी लोगों के उपर एक बोझ बनता है। इस के समाधान के लिए विभिन्न पक्षों से प्रयास किया जा रहा है ।