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(GMT+08:00) 2007-08-31 15:33:17    
मिङ राजवंश

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मिङ राजवंश ने परीक्षा के जरिए अफसरों का चयन करने की प्रथा बनाए रखी , जो स्वेइ थाङ काल से शुरू हुई थी। हर प्रिफेक्चर, उपप्रिफेक्चर और काउन्टी के अपने अपने विद्यालय थे, जिन के स्नातकों को अपेक्षित परीक्षाओं में उत्तरीर्ण होने के बाद श्यू छाए नामक उपाधि दी जाती थी।

श्यू छाए उपाधि प्राप्त व्यक्ति अपने प्रान्त की राजधानी में आयोजित प्रान्तीय परीक्षा में शामिल हो सकता था, जिस में सफलता प्राप्त करने के बाद उसका उल्लेख च्वी रन (अनुशंसित व्यक्ति ) के रूप में किया जाता था।

च्वी रन को देश की राजधानी में आयोजित राष्ट्रीय परीक्षा में भाग लेने का अधिकार था, जिस में सफल होने पर वह राजप्रासाद में सीधे सम्राट की देखरेख में आयोजित शाही परीक्षा में भाग ले सकता था।

राजप्रासाद में आयोजित परीक्षा में सफल होने वाले व्यक्ति को चिन शी (उच्च विद्वत्ता) की उपाधि से विभूषित किया जाता था तथा केन्द्रीय सरकार अथवा स्थानीय सरकार में अफसर के पद पर नियुक्त किया जा सकता था। मिङ राजवंशकाल में अफसर बनने का मुख्य रास्ता उक्त परीक्षा व्यवस्था ही थी।

मिङ राजवंश ने एक विशाल सेना की स्थापना की, जिस के सेनिक विभिन्न सैन्यक्षेत्रों में प्रान्तीय कमाण्डरों के नियंत्रण में तैनात किए जाते थे।

केन्द्रीय स्तर पर पांच सैन्यकमानें थीं-अग्रकमान, पृष्ठकमान, वामकमान दक्षिणकमान और मध्यकमान, जो तमाम सैन्यक्षेत्रों की निगरानी करती थीं।

सैन्य स्थानांतरण का अधिकार नाम के लिए तो केवल सैन्य मामलों के मंत्रालय के पास था, लेकिन उस के अधीन सेना नहीं थी।

सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने का सर्वोच्च अधिकार सम्राट के हाथ में था। मिङ सरकार ने नियमित न्यायिक अंगों के अलावा बहुरंगी पोशाक वाला रक्षकदल , पूर्वी प्रतिष्ठान, पश्चिमी प्रतिष्ठान और भीतरी प्रतिष्ठान नामक ऐसे संगठन भी कायम कर रखे थे, जिन के लिए कानून में कोई व्यवस्था नहीं थी।

उन का काम गुप्त रूप से मुकदमा चलाना था। वास्तव में ये संगठन खुफिया पुलिस का काम करते थे और अफसरों व जनसाधारण दोनों पर गुप्त नजर रखते हुए उनके साथ स्वेच्छाचारिता व पाशविकता का बरताव करते थे।

मिङ सरकार समय समय पर चीन के विभिन्न इलाकों में जनगणना और भूमि की पेमाइश के लिए अफसर भेजती रहती थी।

इसका उद्देश्य था जनता का शोषण करने के लिए एक निश्चित अवधि में जनता से बलपूर्वक ज्यादा से ज्यादा कर वसूल करना और अधिक से अधिक बेगार लेना।

कृषि उत्पादन बढाने के लिए , खास तौर से नकदी फसलें उगाने के लिए मिङ सरकार ने बंजर जमीन को खेतीयोग्य बनाने और जल सिचाई परियोजनाओं के निर्माण का काम बड़े पेमाने पर करवाया।

मिङ राजवंश द्वारा अपनाई गई उपर्युक्त आर्थिक व राजनीतिक नीतियों ने उस के शुरू के शासन को मजबूत बना दिया।