बिलासपुर छत्तीसगढ़ के तीरीछ राम बर्मन ने हमें लिख कर कहा कि आप के द्वारा प्रेषित सामग्री मुझे मिला , सी .आर .आई के प्रसारण की सामग्री पाकर मुझे अनंत खुशी के साथ दुख भी हुआ , क्योंकि पैकेट खुला मिला । क्या आप जानते हैं कि मुझे चीनी लोग और उन की भाषा से कितना प्यार है , बहुत प्यार है , क्योंकि आप लोग बौद्ध धर्म वाले हैं । हजारों साल पहले बौद्ध धर्म मध्य एशिया तक फैला हुआ था , यही सब कारण है , जो मुझे चीनी भाषा सीखने के लिए मजबूर कर रहा है । मेरी इच्छा है कि आप हिन्दी या अंग्रेजी में चाइना अक्षर लिखें , तो आप का जिन्दगी भर आभार मानूंगा ।
तीरीछ राम भाई , चीनी अक्षर हिन्दी व अंग्रेजी से भिन्न है , यानी अल्फबेटिक या फोनिटिक नहीं है , चीनी भाषा चित्राक्षर है , इसलिए कार्यक्रम या पत्र में लिख कर आप को नहीं बता सकते हैं । इस के लिए मैं बहुत अफसोस महसूस करती हूं । लेकिन लाचार हूं । मेरा सुझाव है कि आप किसी चीनी भाषा सिखाने वाली पुस्तक ले लें , उसे देख पढ़ कर सीख सकते हैं ।
तीरीछ राम जी ने आगे यह भी लिखा है कि मैं नेपाल में लुम्बिनी वन तथागत के बुद्ध के जन्म स्थल गया था । वहां चीनी बौद्ध मंदिर में एक जवान चीनी लकड़ी को बुद्ध के शरण में झुकते हुए देखा , तो मुझे रूलाई आ गया , मैं रोने लगा । मेरे साथ एक नेपाली भाई ने सान्तवना दिया , यहां एक रात बिताएंगे ।
मैं उस नेपाली भाई से बोला कि देखो , जिस तथागत बुद्ध के प्रचार हमें दुनिया में करना चाहिए था , उन का प्रचार हमारे ही देश में बाहर वाले बौद्धिष्ट भाइयों के द्वारा करना पड़ रहा है । कितनी विडम्बना है । भारत में ब्राह्मणों के द्वारा उन का बहिष्कार किया गया था । बुद्ध का विचार तो एक वैज्ञानिक विचार वाला धर्म था । जिस के मान कर संसार के सभी बौद्ध धर्म मानने वाले देश उन्नति के पथ पर अग्रसर है ।
तीरीछ राम बर्मन जी , चीन में धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की नीति लागू होती है , इस के चलते चीनी लोगों में विभिन्न प्रकार के धार्मिक अवम्बली मिलते हैं । चीन में बौद्ध , इस्लाम और इसाई तथा थाओ आदि अनेक धर्मों के अनुयायी होते हैं और बड़ी संख्या में लोग नास्तिक भी होते हैं । हम मान कर चलते हैं कि विभिन्न धर्मों के अनुयायियों में मेलमिलाप से यह संसार जरूर शांति और अमनचैन से परिपूर्ण होगा ।
बालाघात मध्य प्रदेश के आर . की. बासल ने अपने पत्र में कहा कि मैं सी . आर.आई के हिन्दी अनुष्ठान के अन्य कार्यक्रमों के साथ साथ चीन की अल्पसंख्यक जाति साप्ताहिक कार्यक्रम को भी नियमित रूप से सुनता हूं । इस के कार्यक्रम में आप ने थाई जाति के विवाह की विस्तृत जानकारी दी , जिसे सुन कर ऐसा महसूस हुआ कि हम अपने ही किसी प्रांत के विवाह की पद्धति सुन रहे हो । आप ने चीन की वेवूर मुस्लिम जाति के रीति रिवाज के बारे में बताया , आप ने थू जाति के विवाह के बारे में भी बताया , जिस में दुल्हन का अपहरण किया जाता है , आप ने चीन की अल्पसंख्यक जातियों की विस्तृत चर्चा की और वेबसाइट पर भी ये विस्तृत जानकारी दी गई है ।
इस कार्यक्रम के माध्यम से हमें चीन में निवास करने वाली विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों के पहनावे , खानपान , रीति रिवाज , उन के द्वारा निर्मित मकानों तथा उन के लोक गीतों तथा वाद्य यंत्रों की जानकारी मिलती है । इस के लिए हार्दिक स्वागत ।
फिरोजबाद उत्तर प्रदेश के प्रभाकर शाक्य ने हमें लिख कर कहा कि हम सभी मित्र आप के कार्यक्रमों को मिल कर सुन रहे हैं , जो बहुत पसंद आते हैं । चीनी जन जीवन के अलावा हमें चीनी भाषा में भी बेहद रूचि है , हम चीनी बोलना सीखें कार्यक्रम को रूचिपूर्ण और ज्ञानवर्धक लगता है , चीनी भाषा के साथ चीन की विभिन्न जानकारी और चीनी संस्कृति का ज्ञान देना बहुत अच्छा लगा ।
रोहतास बिहार के हशिम आजाद का पत्र है कि सी .आर .आई के समस्त परिवार को सदरप्रणाम , इन दिनों सी .आर .आई का सभी प्रोग्राम एक से बढ़ कर एक हो रहा है । चाओ हवा के द्वारा चीन का भ्रमण कार्यक्रम के अन्तर्गत मकाऊ के बारे में विस्तृत जानकारी अदभुत अच्छी है , इतनी विस्तृत जानकारी कभी नहीं दी गई थी ,इतनी अच्छी और विस्तृत जानकारी देने के लिए चाओ ह्वा समेत सी .आर.आई के समस्त परिवार को कोटि कोटि धन्यावाद ।
मऊ उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार राजभर ने अपने पत्र में कहा कि सी .आर .आई के हिन्दी विभाग के सभी साथियों को मनोज कुमार राजभर की तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें । हम आप का रेडियो कार्यक्रम रोजाना हर सभा में सुनते हूं , और उस का अध्ययन करता हूं तथा आप के पास यब पहला पत्र भेज रहा हूं । मेरी तरफ से आप से एक प्रार्थना है कि आप मेरे पते पर श्रोता वाटिका और चीन के बारे में विस्तृत जानकारी वाली किताब भेजने की कृपा करें ।

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