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(GMT+08:00) 2007-08-29 14:06:11    
पेकिंग विशवविद्यालय में और अधिक विद्यार्थियों को दाखिला देना

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चीन की राजधानी पेइचिंग में स्थित पेकिंग विशव विध्यालय में इस वर्ष की विद्यार्थियों की विशवविद्यालय में दाखिला संबंधी नीति की घोषणा की गयी। इस वर्ष विशवविध्यालय में चार हजार तीन सौ स्नातकोत्तर विद्यार्थियों और डाक्टरेट के लिए एक हजार चार सौ विद्यार्थियों को दाखिला दिलाने की बात की गयी है लेकिन इनमें से कुछ ही को वार्षिक राष्ट्रीय परीक्षा में उच्च अंक पाकर विशवविद्यालय में दाखिला पा सकते हैं। ज्यादातर विद्यार्थीयों को उनके स्नातक की डिग्री प्राप्त की गयी संस्थान से विद्यार्थियों की सिफारिय़ के आधार पर दाखिला दिया जायेगा।

इस वजह से कुछ ही विद्यार्थि राष्ट्रिय परीक्षाओं में अरिझित अंकों के आधर पर इस विशव विद्यालय में दाखिला पा सकते हैं। पिछले कई वर्षों से , सिफारिश किये गये विद्यार्थियों की संख्या ज्यादातर पेइचिंग विशवविद्यालय से प्राप्त किये स्नातक डिग्री वाले हैं। विशवविद्यालय के नीति के अनुसार केवल उन विद्यार्थियों को सिफारिश के आधार पर दाखिला दिया जाना चाहिए जो अपने विषय में अव्वल अंक प्राप्त किये हो और अपने विषय में सर्वश्रेष्ठ हैं। लेकिन कुछ ही विद्यार्थि इस अवसर का फायदा उठा पाते हैं।

पेइचिंग में स्थित कैपिटल मेडिकल विशवविद्यालय में एक छात्रा ने कहा की पेइचिंग विशवविद्यालय में दाखिला पाने के लिए वह खूब मेहनत करना चाहती थी लेकिन इस नये नीति से उसका सपना अधुरा रह जायेगा क्यों की उसके कक्षा से सिर्फ एक ही विद्यार्थी को दाखिला मिलेगा। ली छन, जो पेइचिंग में पढ़ाई कर रही है, ने कहा, की इस नीति से उसे ऐसा लग रहा है की चार साल पहले स्नातक के लिए राष्ट्रिय प्रवेश परीक्षाओं में उसने उच्च अंक नहीं प्राप्त किये और इस वजह से उसे एक उच्च कोटि के विशवविद्यालय में दाखिला नहीं मिला लेकिन आज वो फूर से मेहनत कर पेइचिंग विशवविद्यालय में दाखिला पाना चाहती हैं लेकिन इस नये नीति से पेइचमंग विशवविद्यालय में दाखिला पाने के आसार अच्छे नहीं दिख रहे हैं। ऐसे विद्यार्थियों ने पेयता यानि पेकिंग विशवविद्यालय के नये नीति को गलत मान रहे हैं।

लेकिन विशवविद्यालय के अधिकारियों ने अपने इस नीति को सही बताया। उनका यह मानना है की अध्यापकों द्वारा सिफारिश किये गये विद्यार्थियों की योग्यता उच्च स्थर की होती है जिससे वे पढ़ाई काफी लगन और श्रद्धा से करते हैं और ऐसे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने में कोई भी दिक्कत नहीं है। विशवविद्यालय के कई अध्यापकों का करना है की वे ऐसे नीति के जरिये पेइचिंग विशवविद्यालय में चीन के सर्वोत्तम विद्यार्थियों को खोना नहीं चाहती।

प्रेफैसर वन र्युमिन, जो पेइचिंगविशवविद्यालय के चीनी विभाग में लंबे अर्से से स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए सुपरवाईसर की भूमिका निभा रहे हैं, ने नये नीति का समर्थन किया और कहा की प्रवेश परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थि आम तौर पर परीक्षाओं में उच्च अंक पाते हैं लेकिन जब बात आती है श्रद्धा से और लगन से अध्ययन की तो ऐसे विदियार्थियों की काबिलियत काफी कम पायी गयी है। प्रोफैसर वन का कहना है की कोई भी विशवविद्यालय को ऐसा नीति लागू करना चाहिए जिससे सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थि और अध्यापक विशवविद्यालय की ओर आकर्षित हो।

कई दूसरे अध्यापकों का मानना है की प्रवेष परीक्षा से पेयता में दाखिला पाने वाले विद्यार्थियों की रुचि एक डिग्री पाना होता है और लगन से पढ़ाई करना नहीं।

इधर के वर्षों में चीनी अर्थतंत्र के बड़ी तेज़ी से विकास होने के साथ साथ अधिकाधिक विदेशी छात्र चीनी कालेज़ों व विश्वविद्यालयों में पढ़ने जा रहे हैं । चीन के मशहूर विश्वविद्यालय जैसे पेइचिंग विश्वविद्यालय , छींगह्वा विश्वविद्यालय और जनता विश्वविद्यलय आदि में सब अनेक विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं । विदेशी छात्रों की चीन में पढ़ने की अपनी अपनी दिल्चस्पी है और उन की कहानियां भी बहुत दिल्चस्प है ।

पेइचिंग विश्वविद्यालय के कुल अट्ठाईस हजार छात्रों में लगभग दो हजार एक सौ विदेशी छात्र शामिल हैं , जो नब्बे से अधिक देशों से आये हैं । इन के अलावा दो हजार विदेशी छात्र दुर्भ अरसे से इस विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं । जापान से आयी छात्रा सुश्री मोरी मिचीयो ने कहा कि उन्हें चित्र इतिहास के प्रति गहरी दिल्चस्पी है । उन का विचार है कि जापानी चित्र पर चीन के प्राचीन काल की चित्र कला से भारी प्रभाव पड़ा । इसलिए वे चीन में चित्र इतिहास का अनुसंधान करने आयी हैं ।

अब पेइचिंग में अध्ययन करने वाले विदेशी छात्रों का अधिकांश भाग कोरिया गणराज्य तथा जापान से आता है , उन का शेष भाग दूसरे एशियाई देशों तथा यूरोप , अफ्रीका और अमेरिका से आता है । पेइचिंग के उच्च स्तरीय शिक्षालय अधिकाधिक छात्रों को आकर्षित करने के लिए पश्चिमी देशों के कालेज़ों के साथ सहयोग को जोर देने तथा विदेशी छात्रों की मदद देने का विशेष प्रबंध करने का प्रयास कर रहे हैं ।

इधर के वर्षों में विदेशी छात्रों के आने से चीनी कालेज़ों के वातावरण के सुधार के बारे में बहुत से काम किया गया है । मिसाल है कि कुछ चीनी कालेज़ों की पढ़ाई में चीनी भाषा के साथ अंग्रेजी का भी इस्तेमाल भी किया जाता है । इस से उन विदेशी छात्रों , जिन की चीनी भाषा लिमिटित है , के लिये सुविधा प्रदान की गयी है । इस के साथ कुछ विदेशी छात्र अतिथि के रूप में चीनी परिवारों में रहने लगे हैं , जिस से उन्हें चीनी समाज और आम लोगों के जीवन की जानकारी करने का मौका मिला है ।

इस में यह भी चर्चित है कि चीनी छात्रों में विदेशों में अध्ययन की रूचि तेज होने के चलते इधर बहुत से विदेशी विश्वविद्यालयों ने भी चीनी छात्रों को अपनी ओर खींचने के लिये कोशिशें शुरू कर दी हैं । जैसे ओस्ट्रेलिया ने चीनी छात्रों के लिये विशेष तौर पर अंग्रेज़ी भाषा के अपने सर्व मान्य मापदंड में रियायत दी है । ब्रिटेन ने यह नियम लागू किया कि उस के यहां में छै महीनों से ज्यादा अध्ययन करने वाले चीनी छात्र को वह निःशुल्क चिकित्सा सेवा प्रदान करेगा । जर्मनी सरकार ने चीन की राजधानी पेइजिंग में चीनी छात्रों के लिये एक विशेष कार्यलय खोला , जो चीनी छात्रों के वीज़ा आवेदन के विनिमय के जिम्मेदार है । यही नहीं कुछ पश्चिमी देशों के विश्वविद्यालयों ने चीन में शिक्षा प्रदर्शनी भी लगाई हैं ।