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(GMT+08:00) 2007-08-23 16:15:01    
मुलायम धूप और तरोताजा वातावरण छोटे सीमांत शहर को एकदम जीता जागता बना लेता है

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दोस्तो , कुछ समय से पहले उत्तर चीन स्थित भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की 60 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में हमारे संवाददाता रिपोर्टिंग के लिये विशेष तौर पर इसी स्वायत्त प्रदेश के नवोदित शहर अलशान गये । अलशान शहर चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश के शिंग आन जिले में स्थित है और वह मगोल गणराज्य से सटा हुआ है । क्योंकि इस शहर में स्वच्छ चश्मे , अजीबोगरीब पत्थर , घने जंगल और बर्फ जैसे पर्याप्त पर्यटन संसाधन उपलब्ध हैं , इसलिये स्थानीय लोग अक्सर यह कहते आये हैं कि यदि आप शिंगआन जिले आ कर अलशान शहर नहीं पहुंचेंगे , तो इस का अर्थ यह होगा कि शिंगआनलिंग पर्वतीय क्षेत्र नहीं आने के बराबर है ।

ऊंचे अक्षांतर क्षेत्र स्थित होने की वजह से अलशान शहर में ग्रीष्म अल्पकालिक है और मौसम भी सुहावना है , जबकि सर्दियों का मौसम लम्बा ही नहीं बहुत ठंड भी है , आम तौर पर सर्दियों का मौसम सितम्बर से अगले साल के मई तक होता है । जब हमारे संवाददाता जुलाई में वहां गये , तो वहां का औसत तापमान केवल 15 सैल्सियलस डिग्री के आसपास है , रोत को सोते वक्त रजाई की जरूरत पड़ती है ।

जंगल व घास मैदान से घेरा हुआ अलशान शहर हर सुबह लकड़ियों से भरी माल रेल गाड़ियों की सीटी आवाज से जग जाता है । फिर मुलायम धूप और तरोताजा वातावरण इस 8 हजार से अधिक जनसंख्य वाले छोटे सीमांत शहर को एकदम जीता जागता बना लेता है । अलशान शहर में एक मात्र मुख्य सड़क है , सड़क के दोनों किनारों पर अधिकतर युरोपीय वास्तु शैलियों में निर्मित लाल छत वाली इमारतें नजर आती हैं ।

मंगोल भाषा में अलशान का अर्थ है गर्म पवित्र जल । इसलिये स्थानीय वासियों की मान्यता है कि गर्म चश्मे में न नहाने का मतलब अलशान शहर न आने के बराबर है । अलशान शहर के पर्याप्त पर्यटन संसाधनों में अभूतपूर्व चश्मा समूह सब से उल्लेखनीय है । स्थानीय चीनी चश्मा म्युजियम मात्र म्युजियम ही नहीं , आरामदेह विश्रामगृह भी है । इस म्युजियम में कार्यरत कर्मचारी ने परिचय देते हुए कहा कि यहां कुल 37 चश्मे पाये जाते हैं , जिन में सात चश्मों का पानी पिलाया जा सकता है , जबकि अन्य तीस चश्मे नहाने लायक हैं । मजे की बात है कि ये तीस चश्मों का तापमान एक जैसा नहीं है । अलग अलग तापमान वाले चश्मे लोगों के स्वास्थ्य पर भिन्न भिन्न असरदार होते हैं । मसलन नम्बर 23 चश्मा रोग पूछने वाला चश्मा पुकारा जाता है , कहा जाता है कि इसी चश्मे के पानी में लेटे लेटे यदि शरीर की जिस जगह में दर्द महसूस होता है , तो वह जगह किसी बीमारी से लग गयी है । नम्बर बीस चश्मे के पानी का तापमान मानव शरीर के तापमान से मिलता जुलता है , इसी चश्मे में नहीने के बाद लोग एकदम तरोताजा हो जाते हैं । बहुत से रोगी इसी चश्मे में नहा कर चंगे हो गये हैं ।

कहा जाता है कि हर सुबह अलशान शहर के बहुत से वासी पानी भरने और हाथ मुंह धोने के लिये प्रसिद्ध पांच मील चश्मे जाते हैं । इस चश्मे का पानी प्रत्यक्ष रूप से पिया जाता है । इस चश्मे का पानी साल भर में तीन से पांच सेल्सिलस डिग्री तक बरकरार रहा है और वह हृदय रोग , उच्च रक्तचाप और मेदा रोग जैसे रोगों के उपचार में काफी असरदार साबित हुआ है । छीछीक नामक महिला मंगोल जाति की है , वह विशेष तौर पर इस प्रदेश के शिलिनकोर जिले से अलशान विश्रामगृह आयी है । उसे ने हमारे संवाददाता से कहा कि मैं हर सुबह जल्दी उठकर यहां आ कर चश्मे का पानी पीती हूं और नहाती हूं । चश्मे का पानी मेदे के लिये फायदेमंद है । पहले मेरा मेदा ठीक नहीं था , ठंडी चीज खायी नहीं जा सकती थी , अब ठीक हो गया है । पहले मेरे पैर में दर्द था , अब मूल रूप से चंगा हो गया है ।

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