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(GMT+08:00) 2007-08-31 15:34:03    
सिन्चांग की पर्वतारोहन टीम की कहानी

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सिन्चांग की पर्वतारोहन टीम द्वारा विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी जुमलांगमा पर आरोहित होने की कहानी काफी दिलचस्पी और प्रेरक है । उन्हों ने पर्वतारोहन के दौरान अनेक कठिनाइयों का सामना किया और अपनी बहादुरी और एकजुटता की भावना का परिचय कर इन कठिनाइयों पर विजय पायी और अन्त में सभी लोग कुशलपूर्वक पर्वतारोहन का काम पूरा कर लौटे । इस कहानी के पहले भाग में आप ने जो कुछ पढ़ा था , अब इस के आगे पढ़िएगा ।

चोटी पर से नीचे आने के दौरान 44 वर्षीय सदस्य श्री आन शाओ ह्वा समेत तीन सदस्यों की हालत ने एक बार लोगों को अचंभित कर दिया था । श्री आन शाओ ह्वा ने उस समय की हालत की याद करते हुए कहाः

असल में टीम सदस्य रिन ची श्यांग का आक्सिजन सिलेंडर खराब हुआ था । समुद्र सतह से 7790 मीटर ऊंचाई पर ताने गए तंबू से अभी सौ मीटर दूर था कि वे आगे बढ़ने में बहुत कठिन नजर आये , पूरी शक्ति के साथ वे अंत में तंबू के पास आ पहुंचे , लेकिन वे बोल नहीं पाए । उन के आक्सिजन सिलेंडर में आयी गड़बड़ी से आक्सिजन निकल कर खत्म हो गया , किन्तु उन के मुंह पर मास्क नहीं हटाया गया । मैं ने समझा कि उन के लिए बड़ा खतर पैदा हुआ , मैं ने तुरंत अपना आक्सिजन को उन्हें पीने को पहुंचा दिया , लेकिन आक्सिजन नहीं होने के कारण मेरी हालत भी खराब हो गयी थी । टीम सदस्य चांग चिंगछ्वान ने भयभित हो कर पूछा, मिस्टर आन , आप की क्या हुई । फिर उन्हों ने फटाफट अपना आक्सिजन निकाल कर मुझे सौंपा । दिन का समय आ गया , श्री रिन चीश्यांग अचेतन से जाग उठे । जब हम तीनों में आक्सिजन की बात छिड़ी , तो श्री रिन चीश्यांग भावविभोर हो कर रो पड़े , मैं ने भी अपने रोदन पर काबू नहीं पाया और श्री चांग चिंगछ्वान भी इस में शामिल हुए । हम तीनों पुरूषों ने रोने की ऊंची आवाज दे कर दिल का भड़ाश निकाला ।

इस विशेष घड़ी में विश्व की सब से ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ने में प्राप्त खुशी की भावना और नाजुक घड़ी में कायम हुई साथियों की दोस्ती एक में गुत्थ हुई । वे सभी मर्दाना आदमी है , पर्वत चोटी पर चढ़ने में पसीना खून निकले थे , पर वे नहीं रोए , लेकिन जब साथियों में एक दूसरे की जान बचाने की बात आयी , तो इस से कायम अटूट दोस्ती के कारण वे अपने उत्तेजना और आवेग पर नियंत्रण नहीं कर पाए । उन की दोस्ती और परस्पर सहायता से उन्हों ने सभी खतरों पर विजय प्राप्त की है । यह जीवन भर की समृति है । जुमलांगमा चोटी पर आरोहित होने के समय वे अपनी झेली हुई लाखों मुश्किलों को भूल गए। सिन्चांग फिच्यु पर्वत आरोहन टीम के निर्देशक श्री छी हाईफङ ने कहाः

उन्हों ने अपनी शक्ति और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर पर्वत चोटी पर विजय पायी , इस में पर्वत चोटी पर आरोहित होने के प्रेम ने भी बड़ी मदद दी है । उन्हों ने जुमलांगमा चोटी पर चढ़ने का सिन्चांग के सभी खिलाड़ियों का सपना साकार कर दिया । उन की सफलता से सिन्चांग के सर्वेक्षण कार्य के इतिहास में नया अध्याय जुड़ा है । हमारा अगला लक्ष्य सिन्चांग के चोगरी पर्वत चोटी पर आरोहित होना है । चीन में अब तक केवल तिब्बती पर्वत रोही टीम चोगरी पर्वत चोटी पर चढ़ने में कामयाब हुई है । क्योंकि चोगरी चोटी पर आरोहित होना विश्व पर्वत आरोहण के सब से कठिन कामों में से है । तिब्बती टीम इस पहाड़ के दक्षिण पहलु से चोटी पर पहुंची थी , जबकि इस के उतरी पहलु में अब तक कोई चीनी लोग ऊपर नहीं गये । सिन्चांग की पर्वत आरोहण टीम उतरी भाग में ऊपर चढ़ने की कोशिश करेगी , यदि हम कामयाब हुए , तो हम पहली चीनी लोग बनेंगे , जो उतरी पहलु से चोगरी पर्वत चोटी पर चढ़ गए हैं।

दोस्तो , सिन्चांग में विश्व के अनेक ऊंची ऊंची पर्वत चोटियां खड़ी हुई हैं , जिन में कुछों पर चीनी और विदेशी पर्वतारोहियों ने चढ़ने में सफलता प्राप्त की है , कुछ पर अभी तक कोई नहीं चढ़े है । जुमलांगमा चोटी पर सफलता के साथ चढ़ने के बाद सिन्चांग की पर्वतारोहन टीम ने जो चोगरी पर चढने का संकल्प किया है , वह बहुत ही सराहनीय साहसिक काम है , हमें विश्वास है कि वे इस अछूत पर्वत चोटी पर भी चढने में कामयाब हो । हम विदेशी दोस्तों का जोशीला स्वागत करते हैं कि वे भी सिन्चांग में आ कर ऊंची ऊंची पर्वत चोटियों में आरोहित करने की कोशिश करें , क्योंकि यह एक साहसिक और जोखिम से भरा काम है और बहादुर लोगों को बहुत आकर्षित भी करता है । जोखिम का काम करने में जरूर अलग का मजा आयेगा । बेशक , इस के लिए अच्छी तैयारी करना चाहिए और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।