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(GMT+08:00) 2007-08-24 17:27:29    
विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी पर आरोहित सिन्चांग वासी

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विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी यानी हिमालय की जुमलांगमा चोटी पर आरोहित होने का सपना तकरीबन सभी पर्वत रोहण प्रेमी देख रहे हैं । वर्ष 2007 के मई माह की 16 तारीख को सिन्चांग की फिच्यु पर्वत आरोहण टीम के दो सदस्य श्री यांग छुन फङ और आन शाओह्वा ने उसी दिन के सुबह छै बज कर दस मिनट पर समुद्र सतह से 8844.43 मीटर ऊंची जुमलांगमा चोटी पर चढ़ने में सफलता प्राप्त की , इस तरह सिन्चांग के पर्वत रोहन प्रेमियों में विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी -- जुमलांगमा पर्वत चोटी पर आरोहित होने का सपना साकार हो गया ।

6 जून 2007 की रात , सिन्चांग उइगुर स्वायत्त प्रदेश के पर्वत आरोही संघ , सिन्चांग चोगरी सर्वेक्षण कंपनी , सिन्चांग के प्रेस जगत तथा सिन्चांग बियर ग्रुप के प्रतिनिधियों का एक मिलन समारोह आयोजित हुआ , जिस में जुमलांगमा चोटी पर सिन्चांग के पर्वत आरोहियों के प्रथम आरोहन की सफलता की खुशियां मनायी जा रही थी ।

जुमलांगमा चोटी पर आरोहित होने में सफल सिन्चांग पर्वत आरोही 39 वर्षीय यांग छुनफङ और 44 वर्षीय आन शाओ ह्वा के लिए सफल पर्वत आरोहन की खुशियां मनाने से ज्यादा भाव विभोर कर देने वाली बात 15 से 16 मई तक के वे असाधारण 24 घंटे थे । 15 मई को आसमान साफ था और धूप निकली । सुरज की किरणों में विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी जुमलांगमा बादलों में आच्छादित बर्फीले पहाड़ों में और ज्यादा शानदार और गगनचुंबी नजर आयी । जुमलांगमा चोटी पर चढ़ने वाले खिलाड़ियों के मुख्य कैंप में सिन्चांग फिच्यु जुमलांगमा आरोहण टीम के नेता श्री यांग छुनफङ के अलावा टीम के सदस्य श्री आन शाओ ह्वा , रिन चीश्यांग , चांग चिंगछ्वान और वि वी बड़े हौसले के साथ तैयार हो चुके थे , उन का अंतिम लक्ष्य सिर के ऊपर खड़ी ऊंची जुमलांगमा चोटी पर कदम रखना था । टीम के पांच सदस्यों में से केवल श्री यांग छुनफङ और आन शाओ ह्वा सिन्चांग से आए पर्वत आरोहण प्रेमी हैं ।

जुमलांगमा पर्वत पर सीधी खड़ी चट्टानों और पर्वत-रीढ़ के बीच बेशुमार घाटियां और खाइयां मोटी मोटी हिम नदों से आच्छादित हैं । समुद्र सतह से 8600 मीटर ऊंचाई पर सघन जमा हुए हिमों के सामने ऊपर चढ़ने के लिए लोगों की नजर अवरूद्ध हुई और सीधी खड़ी चट्टानों पर पर्वत आरोहण के लिए बनाए गए विशेष बूटों के कांटे भी मजबूती से पत्थर को नहीं पकड़ सकती । इस ऊंचाई पर हर कदम पर जीवन और मरण का टक्कर होता है ।

टीम नेता होने के नाते श्री यांग छुनफङ ऊपर चढ़ने का रास्ता ढूंढने के लिए आगे आगे रेंग रहे थे , खतरनाक जगह पर उन्हों ने जरूर मुड़ कर अपने साथियों को सावधान करवाया । हर कदम पर संघर्ष की नाजुक स्थिति थी , हर कदम के लिए अद्भुत शारीरिक शक्ति की जरूरत थी । आखिरकार जब वे जुमलांगमा चोटी पर चढ़ कर खड़े हो गए , तो उनके शरीर पर अन्दरूनी पहनाव पसीनों से बुरी तरह तर तर हो गए । उस वक्त की याद करते हुए श्री यांग छुनफङ ने कहाः

जुमलांगमा चोटी पर चढ़ कर खड़े होने के वक्त मैं उतना उत्तेजित नहीं हुआ, जितना चोटी पर से नीचे आने के समय हुआ था । क्योंकि चोटी पर से नीचे आने का खतरा और ज्यादा बड़ा था । पर्वत पर आरोहित होने के दौरान मेरी शारीरिक शक्ति लगभग खत्म हो गयी थी , नीचे आने के रास्ते में एक बहुत विशाल नुकली टूटी चट्टान पड़ी थी , पांव से मजबूत पकड़ा नहीं जा पाने के कारण मैं टूटी हुई नुकली चट्टान पर से फिसल जा रहा था , मैं ने सारे शरीर की ताकत निकाल कर रस्सी को पकड़ा , इस से मेरी जान बच गयी । मैं ने तुरंत अपने पीछे नीचे लौट रहे साथियों को संकेत दे कर सावधान करवाया , इस से वे इस टूटी नुकली चट्टान की जगह से बच गए ।

चोटी पर से नीचे आने के दौरान 44 वर्षीय सदस्य श्री आन शाओ ह्वा समेत तीन सदस्यों की हालत ने एक बार लोगों को अचंभित कर दिया था । श्री आन शाओ ह्वा ने उस समय की हालत की याद करते हुए कहाः

असल में टीम सदस्य रिन ची श्यांग का आक्सिजन सिलेंडर खराब हुआ था । समुद्र सतह से 7790 मीटर ऊंचाई पर ताने गए तंबू से अभी सौ मीटर दूर था कि वे आगे बढ़ने में बहुत कठिन नजर आये , पूरी शक्ति के साथ वे अंत में तंबू के पास आ पहुंचे , लेकिन वे बोल नहीं पाए । उन के आक्सिजन सिलेंडर में आयी गड़बड़ी से आक्सिजन निकल कर खत्म हो गया , किन्तु उन के मुंह पर मास्क नहीं हटाया गया । मैं ने समझा कि उन के लिए बड़ा खतर पैदा हुआ , मैं ने तुरंत अपना आक्सिजन को उन्हें पीने को पहुंचा दिया , लेकिन आक्सिजन नहीं होने के कारण मेरी हालत भी खराब हो गयी थी । टीम सदस्य चांग चिंगछ्वान ने भयभित हो कर पूछा, मिस्टर आन , आप की क्या हुई । फिर उन्हों ने फटाफट अपना आक्सिजन निकाल कर मुझे सौंपा । दिन का समय आ गया , श्री रिन चीश्यांग अचेतन से जाग उठे । जब हम तीनों में आक्सिजन की बात छिड़ी , तो श्री रिन चीश्यांग भावविभोर हो कर रो पड़े , मैं ने भी अपने रोदन पर काबू नहीं पाया और श्री चांग चिंगछ्वान भी इस में शामिल हुए । हम तीनों पुरूषों ने रोने की ऊंची आवाज दे कर दिल का भड़ाश निकाला ।

दोस्तो , सिन्चांग की पर्वतारोहण टीम ने विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी पर चढने में सफलता पायी है , लेकिन इस के दौरान उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा , उन मुसिबतों को दूर करने में उन्हों ने असाधारण साहस और दृढ मनोभाव का परिचय किया और दोस्ती की असीम भावना भी प्रकट की । अगले दिन में इसी कहानी का शेष भाग प्रस्तुत होगा , कृपया आप इसे आगे पढ़ेंगे।