राकेशः हमारे श्रोताओं को मुकेश के बारे में काफी जानकारी होगी, फिर भी जिन श्रोताओं को उन के जीवन के बारे में अधिक नहीं मालूम, उन्हें अपने इस पसंदीदा, बेहतरीन गायक और इंसान के बारे में जानने की जरूरत इच्छा होगी।
ललिताः मुझे भी। मैं उन के जीवन के बारे में अधिक नहीं जानती, लेकिन मुझे मुकेश के गीत बहुत अच्छे लगते हैं। और चीन में अधिकांश लोग जिस हिंदी गीत को अच्छी तरह जानते हैं, वह मुकेश का गाया हुआ गीत ही है।
राकेशः मुकेश जिन का पूरा नाम मुकेश कुमार माथुर था, उन का जन्म दिल्ली में एक मध्यम श्रेणी परिवार में 22 जुलाई सन् 1923 को हुआ था। बचपन से ही उन्हें गाने और अभिनय करने का शौक था। लेकिन उन की खोज करने वाले और दुनिया के सामने उन की आवाज का जादू लाने वाले मशहूर अभिनेता और मुकेश के रिश्तेदार मोतीलाल को जाता है। उन्होंने उसे अपनी बहन की बारात में गाते हुए सुना और उन्हें लगा कि इस लड़के में कुछ बात है। सो वह उसे अपने साथ मुंबई ले आए। यह बात है सन् 1940 की और मुंबई में उस समय के जाने माने गायक पंडित जगनाथ प्रसाद के हवाले कर दिया, ताकि वे मुकेश को संगीत की कुछ बारीकियां सीखा सकें।
ललिताः क्या मुकेश ने संगीत की शिक्षा भी हासिल की थी?
राकेशः श्री ओ. पी. नैय्यर की तरह मुकेश भी उन प्रतिभाशाली कलाकरों में से एक थे जिन्हें संगीत की विधिवत शिक्षा की कोई जरूरत नहीं थी। मुकेश तो दस क्लास से आगे पढ़े ही नहीं थे, फिर भी किसी भी तरह का गाना गाने में उन्हें कभी किसी तरह की कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई। बहुत लोग शायद नहीं जानते होंगे कि मुकेश का मन और इच्छा गायक बनने की उतनी नहीं थी जितनी अभिनय करने की और उन की पहली फिल्म थी बतौर अभिनेता 1941 में बनी निर्दोष। लेकिन फिल्म फ्लाप हो गई। फिर उन्होंने 1945 में पहली नज़र फिल्म में जो गीत गाए और जिन्हें मोती लाल पर फिल्माया गया था वे सफल हुए। इस फिल्म का गीत "दिल जलता है तो जलने दे" बिलकुल के एल सहगल के अंदाज में गाया गया गीत है क्योंकि सहगल मुकेश के पहले आदर्श थे।
ललिताः यदि मुकेश बतौर अभिनेता सफल हो जाते, तो दुनिया उन के इन गीतों से महरुम ही रह जाती।
ललिताः इस गीत को हमारे इन श्रोताओं ने सुनना चाहा था जिला बस्ती यू. पी. से कृष्ण कुमार जायसवाल, स्नेह लता जायसवाल, सौम्य जायसवाल। मालवा रेडियो श्रोता संघ प्रमिलागंज आलोट, जिला रतलाम से बलवंत कुमार वर्मा, राजुबाई, माया वर्मा, शौभा वर्मा, राहुल ज्योति तथा शांतिलाल पोरवाल।
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