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(GMT+08:00) 2007-08-20 16:24:23    
प्रतिस्पर्द्धा में भारत और चीन ,चीन में 10 अंकों के बारे में,ईन राजवंश

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आज के इस कार्यक्रम में पटेल नगर दिल्ली के अमिताभ सज्जन, कोआत बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष सुनील केशरी और उन के साथियों के सवालों का जवाब दिया जा रहा है।

पटेल नगर दिल्ली के अमिताभ सज्जन पूछते हैं कि प्रतिस्पर्द्धा में भारत और चीन में से कौन आगे रहा है?

भैय्या,इस सवाल का जवाब कहीं आप को बुरा न लगे। हालांकि भारत औऱ चीन स्पर्द्धाओं में अपनी-अपनी विशेताएं रखते हैं,पर अधिकत्तर विशषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि चीन की राष्ट्रीय बहुविषयी शक्ति भारत से बड़ी है,सो प्रतिस्पर्द्धा मे चीन भारत से आगे रहा है।

सिंगापुर के आर्थिक विशेषज्ञ डा.तान खी जियाप ने 2006 के शुरू में दावोस में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में कहा कि भारत आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा में चीन से 12 साल पीछे है,पर 1994 तक हालत उलटी थी।उन्हों ने आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा के लिए चार चीजें जरूरी बताईं। इन में आर्थिक संसाधन बेहद जरूरी हैं ,लेकिन उस से ज्यादा असर इस बात का पड़ता है कि सरकार और उन की संस्थाएं कैसे काम करती हैं। तीसरा,बिजनेस के लिए वातावरण कैसा है। सब से अहम चीज यह कि समाज औऱ संस्कृति प्रतिस्पर्द्धा के लिए कितनी अनुकूल है।

डा.तान ने बताया कि जहां तक बिजनेस के लिए अनुकूल वातावरण की बात है,यह भारत-चीन में लगभग समान है। लेकिन सरकार और उस की संस्थाओं के काम करने के तरीके में चीन ने भारत की तुलना में बेहद सुधार किया है,जिस की वजह से सरकार की अडंगेबाजी औऱ देरी काफी कम हो गयी है।आर्थिक मानकों में भी चीन बहुत आगे निकल गया है।

डा.तान ने अपना निष्कर्ष भी बताया है कि प्रतिस्पर्द्धा की ताकत के मामले में सिंगापुर नंबर एक,मलेशिया नंबर दो औऱ चीन नंबर तीन पर है।लेकिन सभी मौजूदा ट्रेंड इस बात का संकेत करते हैं कि चीन जल्दी ही मलेशिया को नंबर दो से हटा देगा।उन्हों ने चीन और भारत के बारे में प्रचलित बहुत सारे भ्रमों की चर्चा भी की। मसलन,भारत की अर्थव्यवस्था चूंकि घरेलू मांग से प्रेरित है,इसलिए वह ज्यादा टिकाऊ है।उन्हों ने कहा कि उन के अनुसंधान से स्पष्ट है कि इस बात में कोई दम नहीं। भारत निर्यात प्रेरित अर्थव्यवस्था के माँडल,इन्फ़्रास्ट्रक्चर औऱ प्रशासन में सुधार करके ही चीन से प्रतिस्पर्द्धा कर सकता है।बिना ऐसा किए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की धारा चीन की ओर ही बहती रहेगी।

भारत के इंस्टीट्यूट आँफ़ साउथ ईस्ट एशियन स्टडीज के निदेशक डा. के.केशवापानी ने भी माना कि चीन के अर्थतंत्र का आकार भारत से तीन गुना बड़ा है। सामाजिक हालत यह है कि भारत में निरक्षर और गरीब लोगों की संख्या चीन से बेतहाशा अधिक है।चीन में जहां 5 प्रतिशत लोग गरीब हैं, वहीं भारत में उन की संख्या 29 प्रतिशत है।यह सच है कि भारत युवा है:चीनियों की औसत आयु 33 साल है,तो भारतियों की 26 साल,लेकिन भारत यदि अपने लोगों को शिक्षित नहीं कर पाता है,तो उस की अधिक युवा आबादी भी केवल बोझ बनकर रह जाएगी।

कोआत बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष सुनील केशरी और उन के साथियों का सवाल है कि चीन में 10 अंकों में किस-किस अंक को शुभ और अशुभ माना जाता है?

मित्रो,चीन में मूल रूप से अंकों में शुभ और अशुभ का कोई फर्क नहीं माना जाता। मज़ाक या अंधविश्वास के लिहाज़ से मात्र कुछ ही लोगों को 6 और 8 दो अंक ज्यादा पसन्द आते हैं। इस का कारण है कि चीनी भाषा में 6 और 8 के उच्चारण क्रमश: "सकुशलता " और "विकास" दो शब्दों के उच्चारणों से काफी मिलते-जुलते हैं। लोग इन दो अंकों से अपनी खुशकिस्मती की आशा करते हैं। हां,कुछ लोग 4 को अशुभ भी मानते हैं।चीनी-भाषा में इस अंक का और "मौत" शब्द का उच्चारण बिल्कुल एक सा है।बेशक ज्यादातर लोग इस सब को अंकों का खेल मानते हैं औऱ इसे कभी गंभीरता से नहीं लेते, इस पर विश्वास करना तो दूर की बात है।

श्री सुनील केशरी और उन के साथियों ने यह भी पूछा है कि चीन के ईन राजवंश के प्रथम सम्राट कौन थे?

दोस्तो,चीन का ईन राजवंश ईसा पूर्व 1600 से ईसा पूर्व 1046 तक चला।चीन में उसे शांग राजवंश भी कहा जाता है।वह चीनी इतिहास में दास प्रथा वाला दूसरा राजवंश था।अपने लगभग 600 वर्षों के जीवन में इस राजवंश ने चीनी आकृतियों वाले शब्दों और तांबे के शोधन की तकनीक के विकास में भारी तरक्की की।

ईन राजवंश या शांग राजवंश के प्रथम सम्राट का नाम थांग था।इतिहास में उन्हें शांग-थांग भी कहकर पुकारा जाता है ।ईन राजवंश से पूर्व श्या राजवंश था।उस के शासन-काल में ईन सिर्फ एक छोटा सा राज्य था। इस राज्य के राजा थांग ने श्या राजवंश को नष्ट कर ईन राजवंश की स्थापना की। थांग ने अपने शासन-काल में राज्य की प्रादेशिक भूमि के क्षेत्रफल में बड़ा इजाफा किया।

ईन राजवंश काल में कृषि के साथ कुटीर-उद्योग का भी तेजी से विकास हुआ।तांबे के शोधन का विकास तत्कालीन समाज की सभ्यता का प्रतीक माना जाता है। ईन राजवंश में व्यापार भी प्रारंभिक तौर पर विकास की राह में चल निकला। इस राजवंश का अंतिम सम्राट बहुत क्रूर था।उस ने अपनी जनता का जहां तक हो सके बर्बर शोषण व उत्पीड़न किया और विदेशों पर आक्रमण किया । देश के अन्दर और बाहर के लोगों के गुस्से व घृणा में फंसने के कारण ईसा पूर्व 1046 में उस की हत्या कर दी गई और इस के साथ ही ईन राजंवश का भी अंत हो गया।