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(GMT+08:00) 2007-08-20 15:05:49    
मनोहर झील व जलकुंड के बीच में रहने वालों का सुखमय जीवन

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ची-नान शहर पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत की राजधानी है । यह जगह प्राचीन काल से ही मशहूर रही है । ची-नान शहर चीन का जाने माने थाइ-शान पर्वत तथा पीली नदी के पास स्थित है । दो हजार वर्ष पुराना यह शहर न सिर्फ अनेक राजवंशों की राजधानी रहा है , बल्कि पुरातत्व-वैज्ञानिक खुदाई से यहां इतिहास-पूर्व प्राचीन सभ्यता के महत्वपूर्ण स्रोत का भी पता चला है । शहर के इतिहास में बहुत से मशहूर व्यक्ति भी यहां पैदा हुए हैं । जैसे युद्ध-राज काल का चिकित्सक प्यैन-छ्वेई, थांग राजवंश का राजनीतिज्ञ फांग श्वैन लींग , सूंग राजवंश के कवि ली छींग चाओ आदि सब का यहीं जन्म हुआ था । चीन के जाने माने कवि ली पाई , तु-फू और सू-शी आदि ने भी या तो यहां का दौरा किया था , या इस शहर में वे कुछ समय के लिए ठहरे थे । इसलिए ऐसा कहा जाता है कि ची-नान शहर जाने माने सूत्रों का स्थल है ।

ची-नान शहर इसीलिए भी प्रसिद्ध है कि यह विशाल झीलों और अनेक फव्वारों के बीच में स्थित है । ची-नान शहर एक ऐसा नगर है , जिस की चार दीवारी के भीतर एक विशाल ता-मिंग झील है । इस का वर्णन इस कविता में यूं हुआ है यानि, जल-कुमुदिनि के फूलों और विलो के पेड़ों से घिरा ची-नान नगर , नगर का आधा ता-मिंग झील ।

ता-मिंग झील इतिहास में ची-नान शहर के आधे जितनी विशाल बड़ी थी। आधुनिक निर्माण से शहर का लगातार विस्तार होने के साथ-साथ झील भी धीरे-धीरे सीमित हो गयी । पर आज भी वह दर्जन हैक्टर भूमि पर फैली है , और झील के तटों व द्वीपों पर जगह-जगह सांस्कृतिक अवशेष हर रोज़ अनगिनित पर्यटकों को आकर्षित करते हैं । प्रति वर्ष यहां का दौरा करने वाले यात्रियों की संख्या बीस लाख तक रहती है , जो आम झीलों से बहुत अधिक है । वर्ष 1958 में जन सरकार ने ता-मिंग झील का पुनःनिर्माण किया । तब पुराने सांस्कृतिक अवशेषों का भी जीर्णोद्धार किया गया , झील में पानी व जल-मार्गों की सफाई की गयी और तटों को भी पत्थरों से सुसज्जित किया गया । इस के अलावा झील के तटीय द्वीपों पर रेस्ट्रां, मनोरंजन बाग और यात्री नाव आदि का भी इंतजाम किया गया है । झील में उत्पादित कमल के फूल की जड़ और मछली आदि से बना भोजन आसपास रहने वालों को बहुत पसंद है । ता-मिंग झील आज पर्यटन और सार्वजनिक संस्कृति स्थल भी बनी हुई है। यहां मनोरंजन के सिवा खरीदगारी, रेस्ट्रां, होटल , प्रदर्शनी और चित्रकला आदि सब कुछ है ।

पर कोई भी तीर्थस्थल वहां रहने वाले सुप्रसिद्ध सूत्रों से अलग नहीं हो सकता है । ता-मिंग झील का नाम भी यहां रहने वाले अनेक ऐतिहासिक सूत्रों से जुड़ता है । सूंग राजवंश की जानी मानी महिला कवियित्री ली छींग चाओ का यहां जन्म हुआ था और झील के पास उस का बचपन बीता था ।

ली छींग चाओ चीन के इतिहास में सब से सफल महिला कवियित्री मानी जाती हैं । उन की अनेक मशहूर कविताएं आज भी चीनी छात्रों की पुस्तकों में शामिल हैं । पर ली छींग चाओ का जीवन उतना सुचारू नहीं रहा । उन के पिता सूंग राजवंश में उच्च स्तरीय अधिकारी थे , बीस वर्ष की उम्र में उन की दूसरे कवि चाओ मिंग छंग के साथ शादी हुई । लेकिन सूंग राजवंश के उत्तर में स्थित दूसरे बलवान देश चिन राजवंश ने सूंग राजवंश पर आक्रमण कर दिया । ली छींग चाओ को अपने परिवार के साथ दक्षिण की ओर भागना पड़ा । युद्ध व विप्लव के काल में ली छींग चाओ के माता-पिता और पति सब मर गये , उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था । भागते हुए रास्ते में कवियित्री ने अपनी आंखों से समाज के निम्नतम स्तर पर रहे आम लोगों का दुखी जीवन देखा , और उन की बहुत सी सुप्रसिद्ध कविताएं में उन की अभिव्यक्ति हुई ।

ली छींग चाओ के सिवा चीन के दूसरे मशहूर कवि जैसे ली पाई और तु-फू आदि ने भी ता-मिंग झील का दौरा किया था और यहां अपने अनुभव की छाप छोड़ी थी ।

थांग राजवंश के महान कवि तू फू ने एक बार ता-मिंग झील के केंद्र स्थित द्वीप के ली-श्या ग्लोरियते में शराब पीते-पीते ता-मिंग झील व ची-नान शहर की प्रशंसा में मशहूर कविता लिखी । ली-श्या ग्लोरियते आज भी झील के केंद्र में इस द्वीप पर खड़ा है । पर वास्तव में वह छींग राजवंश में पुनःनिर्मित हुआ है ।

ची-नान और ता-मिंग झील चीनी राजधानी पेइचिंग से नज़दीक है । इसलिए वह हमेशा राज्य नेताओं के आकर्षण की जगहों में से एक है । छींग राजवंश के महाराजा छिआन-लूंग को भी यहां के मनोहर दृश्यों में गहरी रुचि थी। महाराजा ने दक्षिणी चीन का छह बार दौरा किया था , पर ची-नान शहर उन के दक्षिण की ओर जाने का अनिवार्य पड़ाव था । एक कहानी है कि एक बार जब महाराजा ता-मिंग झील के तट पर आराम कर रहे थे , तब झील में रहने वाले सभी मछलियां , सांप और मेंढक आदि सब तट पर आ गए । उन के शौर से महाराजा को परेशानी हुई । क्रोध में आकर महाराजा ने ता-मिंग झील में मेंढक को न चिल्लाने की आज्ञा दी । इस के बाद झील में रहे सभी मेंढक खामोश हो गए , ये मेंढक दूसरी जगह वाले मेंढको से बिल्कुल अलग हैं ।

छींग राजवंश के महाराजा छिआन-लूंग ने ता-मिंग झील का अनेक बार दौरा किया और अनेक जगहों पर कविताएं भी लिखीं । पर सामंतवादी काल में महाराजाओं ने ता-मिंग झील को सचमुच सब के आराम के लिए नहीं बनाया। मुक्ति के बाद नये चीन के राज नेता जैसे माऔ त्से तुंग , चाओ एन लाई और च्यांग ज़ मिन आदि ने यहां का दौरा किया था , और झील व इस से जुड़े बाग के निर्माण के बारे में अपनी राय पेश कीं थीं। चीनी नेताओं की रायों के अनुसार ता-मिंग झील के पुनःनिर्माण में जनता की सेवा का सिद्धांत अपनाया गया । अब ता-मिंग झील के पश्चिमी तट पर नौ हजार वर्ग मीटर विशाल मनोरंजन पार्क भी निर्मित हुआ है, जिसमें विद्युत गेम ,रोलर कॉस्टर बड़ा गोल झूला जैसी बहुत सी चाजें उपलब्ध हैं । छुट्टियों में या सप्ताहांत में बच्चे अपने मां-बाप के साथ यहां खेलने आते हैं । तामिंग झील का पानी जल-कुमुदिनि उगाने के लिए अच्छा है । इधर के वर्षों में प्रति साल गर्मी के मौसम में यहां बड़े पैमाने पर जल-कुमुदिनि प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है । ता-मिंग झील आज जनता के लिए आराम करने की जगह है । ता-मिंग झील काफी विशाल है , यहां ड्रैगन बोट स्पर्द्धा करने की अच्छी जगह है । सन 1990 के दशक से यहां तीन बार ड्रैगन बोट स्पर्द्धाएं हो चुकी हैं , तब देश विदेश के खिलाड़ियों ने नाव चलाने की स्पर्द्धाओं में सक्रियता से भाग लिया है । इस के अलावा ता-मिंग झील में नागरिक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है ।

पर लोग यह पूछ सकें कि ता-मिंग झील का पानी कहां से आते हैं । यहां ता-मिंग झील के पानी के प्रति एक दिल्चस्पी वाला प्रश्न भी है , यानी किसी भी सूखे मौसम में झील सूखा नहीं है , और कितनी मुसलाधार बरसात में झील का पानी बाढ़ भी नहीं संपन्न हो सकता है । जवाब रंग-भिरंगे होते हैं , पर उन में यह सच है कि ता-मिंग झील के आसपास बहुत से जलकुंड हैं जो झील के जलस्रोत माने जाते हैं ।

ची-नान शहर को हमेशा जलकुंड नगर कहलाता रहा है , क्यों यहां सैकड़ों जलकुंड और प्राकृतिक फव्वारा उपलब्ध हैं । लेकिन ची-नान शहर में क्यों इतने जलकुंड और फव्वारे प्राप्त हैं । वैज्ञानिकों का परिचय है कि शहर के पश्चिम में विशाल क्षेत्रफल वाला छिआन-फो पर्वत है । बरसात से जमीन पर गिरने वाली वर्षा-पानी इस पहाड़ के नीचे के जल मार्गों से बहकर ची-नान शहर की जमीन के ऊपर उभरते हैं , यहीं तरह ची-नान शहर के इधर उधर के जलकुंड जन्म हुए हैं ।

पर आधुनिक निर्माण और मौसम सूखा होने के कारण ची-नान शहर में जलकुंड की संख्या घटित होने लगी है और जलकुंड से उभरा हुआ पानी भी कम होने लगा है । अगर इस का सुधार न करे , तो कुछ साल बाद जलकुंड नगर का यह अद्भुत दृश्य भी खत्म होगा । इसलिए सरकार ने ची-नान शहर के प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए अनेक कदम भी उठाये हैं । जैसे शहर के भीतर हद से ज्यादा आधुनिक इमारतों का निर्माण खत्म किया जाए , प्रदूषण पैदा करने वाले कारोबारों को बन्द किया जाए और बाहर से पानी स्रोत खींचा जाए ।

आज ता-मिंग झील न सिर्फ इतिहास व संस्कृति की झील है , वह पर्यटन की झील और जनता की झील भी है । लोगों को यहां प्राकृतिक दृश्यों का मजा उठाने के सिवा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जीवन बीता सकती है । समाज के विकास और जन जीवन की उन्नति के साथ साथ ता-मिंग झील जनता की सेवा करने में आधुनिक और सांस्कृतिक पर्यटन स्थल बनेगी ।