दोस्तो, घास मैदान का प्रेमी संगीत दल और उन के गीत चीन में बहुत प्रसिद्घ है। कृपया सुनिए यह गीत, जिस का शीर्षक है—घास मैदान में मेहमानों का स्वागत।
गीत 1 घास मैदान में मेहमानों का स्वागत
घास मैदान में मेहमानों का स्वागत शीर्षक इस गीत में मेहमानों के आवभगत में दर्शायी गयी प्रेम भावना की अभिव्यक्ति हुई है। घास मैदान के प्रेमी संगीत दल की मधुर आवाज में, संगीत दल द्वारा इस्तेमाल अश्व के सिर नुमा पारंपरिक साज की धुन में, घास मैदान के अपार व्यापक फैलाव को बड़ी खूबसूरती के साथ अभिव्यक्त किया गया है और मेहमानों का आवभगत बड़े भावनापूर्ण ढंग से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
गीत के बोल हैं—ओ दोस्तो, तुम जगह-जगह से, लंबा रास्ता तय करके यहां पहुंचे हो, क्या तुम्हारा सफर सकुशल रहा है। आज हमारे साथ यहां मिलकर गीत गाओ, हमारी मैत्री सदा बनी रहे, हमारे प्रेम जैसा घास मैदान आप का अपना घर है।
घास मैदान के प्रेमी संगीत दल की स्थापना 9 जुलाई सन 1999 को हुई थी। इस के कुछ सदस्य मूलत:पेइचिंग वासी हैं लेकिन पिछली सदी के पांचवे और छठे दशक से भीतरी मंगोलिया के घास मैदानों में काम कर रहे हैं और कुछ सदस्य मूलत:भीतरी मंगोलिया वासी हैं, लेकिन पिछली सदी के पांचवे-छठे दशक से पेइचिंग में काम कर रहे हैं। इस संगीत दल की अध्यक्षा सुश्री मा श्याओ ली ने भावविभोर हो कर कहा कि सबसे कठिन समय में हम भीतरी मंगोलिया आए, घास मैदान के लोगों ने हमें मां जैसा प्यार दिया. उन्होंने हमें अपने बच्चों की तरह माना और हमारा ध्यान रखा। हमारा युवा जीवन घास मैदानों में बीता। पेइचिंग वापिस लौटने के बाद भी हमारा मन घास मैदानों से ही जुड़ा रहा, घास मैदानों के साथ के अपने लगाव और प्रेम को अभिव्यक्ति करने के लिए हम ने इस संगीत-दल की स्थापना की। हमारे संगीत दल में पेइचिंग और भीतरी मंगोलिया के सदस्यों का संगम हुआ है। हम अक्सर घास मैदान के लिए संगीत गाते हैं और घास मैदानों की सुरक्षा के लिए काम करते हैं। हम जो भी गीत गाते हैं वह घास मैदानों के प्रति हमारे दिल की सच्ची अभिव्यक्ति है। इधर के सालों में हम हर वर्ष वहां जाते हैं और घास मैदानों के साथ हमने अपने संपर्क को बनाए रखा है, उसे सूखने नहीं दिया है।
गीत 2 घास मैदान का प्रेमी
दोस्तो, अब सुनिए घास मैदान के प्रेमी संगीत दल द्वारा गाया गया एक गीत, जिसका शीर्षक है—घास मैदान का प्रेमी। यह गीत इस संगीत दल द्वारा रचा गया अपना गीत है। इस गीत में इन लोगों की घास मैदान के प्रति प्रेम की भावना और घास मैदान के प्रति कृतज्ञता के उदगार अभिव्यक्त हुए हैं।
गीत के बोल हैं—ओ घास मैदान तू मेरा घर है, घोड़े की पीठ मेरे जीवन की पालकी है। तुम्हारा दूध पी-पी कर मैं बड़ा हुआ हूं, तुम्हारे मधुर गीत,और लोरियां सुन-सुन कर मैं सोया हूं। घास मैदान में रात को जलता हुआ अलाव, सूर्य की रोशनी की तरह मुझे गर्माहट प्रदान करता है। भेड़ों की सफेद-सफेद ऊन सर्दी को मेरे करीब नहीं आने देती। मैं जहां कहीं भी जाऊं, जहां कहीं भी रहूं, अश्व के सिर नुमा पारंपरिक साज का संगीत मुझे हमेशा घास मैदानों से जोड़े रखता है। मैं चाहे तुम से कितना ही दूर चला जाऊं, तुम्हारे दूध से बनी चाय की सुगंध हमेशा मेरे नथुनों में भरी रहती है।
गीत 3 चार ऋतुएं
दोस्तो, मंगोल जाति का यह गीत भी बहुत मधुर है, जिसका शीर्षक है—चार ऋतुएं। यह गीत चारों ऋतुओं की तरह विभिन्न विशेषताओं से युक्त है और इस का संगीत समुद्र की लहरों की तरह और पहाड़ों की ऊंचाई और घाटियों की गहराई की तरह आरोह-अवरोह से भरा है। इस गीत का विषय है—मंगोल जाति के लोग पानी और घास की तलाश में अपने रेवड़ों के साथ जगह-जगह घूमते रहते हैं और जहां घास-पानी मिल जाता है, टिक जाते हैं, उन का जीवन यायावरी का जीवन है।
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