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(GMT+08:00) 2007-08-10 08:13:38    
सागर का सपना

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वह इतवार का दिन था , लीली अभी मीठी नींद से जग कर पलंग से उठी ही नहीं थी कि मां से समुद्र पर तैरने जाने के लिए मचलने लगी ।

दरअसल ,वह अभी अभी एक सपने से बाहर निकली थी , जिस में उस ने खुद को समुद्र में मस्ती से तैरते देखा था ।

पर अचानक तैरते तैरते उसे कुछ दूर एक विशाल शार्क मछली दिखाई दी और डर के मारे उस की सपना टूट गया । उस ने अपनी मां को अपना सपना सुनाया और पूछाः मम्मी , क्या सचमुच समुद्री घाट में शार्क मछली रहती है.

मां ने जवाब दियाः समुद्र में लोगों के लिए जहां तैरने की जगह बनायी गई है , उसे चारों ओर से शार्क से दूर रखने के लिए एक बाड़ा बनाया गया है । इसलिए शार्क उस जगह घुस नहीं सकती ।

लेकिन शार्क चीजों को सूंघने में बड़ी तेज है । मां ने कहा , और मानव की रक्त की जरा सी गंध पाते ही उस की ओर लपकने लगती है ।

अगर तैरते आदमी को कोई घाव हो जाए और उस से रक्त निकलने लगे ,तो बहुत संभव है कि शार्क उस की ओर खिंची चली आए , इसलिए समुद्र में उतरने से पहले जरूर यह सावधानी रहे कि हाथ पांव पर कोई खरोंच या जरक न हो । मां ने हिदायत दी ।

लीली बोलीः पर मेरे हाथ पांव में तो कही कोई खरोंचा नहीं है ,फिर भी शार्क मेरा पीछा क्यों कर रही थी ।

तुम बड़ी भोली हो , बिटिया , वह तो सपना था , कोई सच थोड़े ही था । मां ने मुस्कराई ।

पर सुबह मां बहुत व्यस्त थी , इलसिए दोपहरबाद ही लीली उन के साथ समुद्री तट पर पहुंच पाई ।

समुद्र-तट पहुंच कर मां -बेटी ने तैराकी की पोशाक पहनी ,तो सुनहरी रेत पर दौड़ती हुई लीली समुद्र में कूदने को इतनी उतावली हो उठी कि मां को उसे टोकना पड़ा ।

बिटिया , तुम्हारे चेहरे से पसीना चू रहा है , ऐसे में पानी में कूदना बहुत खतरनाक है ।

क्यों , क्या शार्क अपनी तेज आंखों से पसीना भी देख सकती है , लीली को शक हुआ ।

फिर बेसिर -पैर की बात । अब तक शार्क का डर नहीं गया । यहां कहां इतनी शार्क मछली आ गई । मां ने मीठी डपट देते हुए लीली के माथे से बहता पसीना पोछ डाला ।

शार्क नहीं , तो और बात क्या है , फिर आप मुझे समुद्र में नहीं जाने देती । लीली ने पूछा ।

मां ने समझायाः थोड़ा सोचो , आज कितनी गर्मी है , पर समुद्र का पानी बहुत ठंडा है , पसीना बहते शरीर के साथ अगर समुद्र के पानी में कूद पड़े , तो शरीर एकाएक ठंड लग सकता है ।

ठंड लगने पर हम बीमार पड़ सकते है न , मम्मी । लीली ने कहा ।

बिलकुल ठीक है , मां बोली , तैरने से पहले थोड़ा व्यायाम करन चाहिए , वरना शरीर की मांस -पेशी को एकाएक झरना लग सकता है , ऐंठन आ सकती है और तैरते समय पिंडल में ऐंठन आना बहुत खतरनाक है ।

तो कब तैरना ठीक है . लीली फिर बैचेन हो उठी ।

मां ने मुस्कराते हुए कहाः आओ , बेटी , मेरे साथ बदन को थोड़ा हरकत में लाओ ।

लीली ने मां की नकल उतारना शुरू कर दी , इस के बाद छिछले पानी में पैर , पेट और सिर की मालिश की और इस सब के बाद वह मां के साथ समुद्र में उतर पड़ी । इतवार की वह दोपहर अब उसे सपने की तरह सुहानी लग रही थी ।