वर्ष 2007 उत्तरी चीन के भीतरी मंगोलिया की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है, और भीतरी मंगोलिया की विशेषता वाली उलेनमूछी की 50वीं वर्षगांठ भी। कुछ समय पहले, हमारी संवाददाताओं ने उलेनमूछी के कलाकारों के साथ उत्तरी मंगोलिया के बड़े घास मैदान पर एक अविस्मरणीय दिन बिताया।
उसी दिन, रिटायर हो गयीं सुश्री मूलैन भीतरी मंगोलिया की राजधानी हुहाहोट से रवाना होकर विशेष रुप से उत्तरी उलैनछाबू शहर की सीजीवांग जिला जा रही थीं। रास्ते में उन्होंने हमारी संवाददाताओं को उलैन्मूछी की अनेक कहानियां सुनायीं।
उस वक्त हम गाड़ी चलाते, घोड़ी पर सवार होकर चरवाहों के घरों में अभिनय करते थे।कभी-कभी एक महीने तक। बहुत कठिन था, लेकिन, कोई परेशान नहीं हुआ। हमारा यह इरादा था कि चरवाहे जहां हमें चाहें ले जाएं। हम सब से सुदूर व कठिन जगह जाकर नृत्य गान करते थे।
उलैन्मूछी मंगोलियाई भाषा का शब्द है, जिस का अर्थ है लाल सांस्कृतिक मंडल, जो खास तौर पर घास मैदान की बुनियादी सांस्कृतिक गतिविधियों से मेल खाने वाला अभिनय है। उलैन्मूछी की स्थापना के पिछले 50 के वर्षों में, कलाकारों ने हांगकांग व मकाओ समेत चीन के विभिन्न स्थलों और एशिया, अफ्रीका, युरोप, अमरीका व आशियान के 50 से ज्यादा देशों व क्षेत्रों में अभिनय किया है। भीतरी मंगोलिया में उलैन्मूछी के मंडलों में 2000 से ज्यादा अभिनेता हैं। हर वर्ष वे लोग विभिन्न स्थलों में 5000 से ज्यादा अभिनय करते हैं।
पिछले बीस वर्षों से भीतरी इलाके के घास मैदान पर लोग जब उलैन्मूछी की चर्चा करते हैं, तो अवश्य ही उलैन्मूछी के कलाकारों की चर्चा होती है। उलैन्मूछी के कलाकारों ने खुशी व सभ्यता के बीज भीतरी मंगोलिया में जगह-जगह डाले हैं।
सच्वांग जिला के घास मैदान पर चरवाहा सुइलातू के घर के सामने का घास मैदान इस जिला के उलैन्मूछी का अभिनय स्थल है। सुइलातू की मा, 63 वर्षीय सुश्री मंगनछीछीग बचपन से ही मूलैन आदि पुराने कलाकारों के गीत सुनना पसंद करती हैं।उन्होंने कहा,
पहले उलैन्मूछी का मेरे घर के द्वार पर कभी अभिनय नहीं किया जाता था। खास तौर पर इस बार मशहूर गायिका भी मेरे घर में आयी हैं, हमारा बहुत सौभाग्य है। मूलैन बहुत सरल आदमी हैं। हमें उन का गाना पसंद है।
शाम को उलैन्मूछी के 20 से ज्यादा कलाकार चरवाहा सुइलातू के घर पहुंचे और साथ लाए गए जैनेरेटरों को चालू कर बिजली का इंतजाम किया और मंच बनाया,
सुश्री मूलैन ने कहा कि आज उलैन्मूछी की स्थिति बहुत अच्छी है, मंडल में गाड़ियां भी हैं।युवा कलाकार नानदींगदालेई और स्छीनबाटर ने कहा,
अब उलैन्मूछी का हर एक कलाकार गाना गा सकता है और नाच भी सकता है। इतना ही नहीं, वे लोग इलेक्ट्रोनिक पियानो भी बजा सकते हैं।
उलैन्मूछी हम सब लोगों का काम है। सुश्री मूलैन के साथ अभिनय करना हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। अध्यापिका मूलैन अक्सर हमें निर्देशन देती हैं।
इस वर्ष अभी-अभी विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उलैन्मूछी मंडल में भाग लेने वाली टाना अपने प्रथम अभिनय से बहुत खुश है।
यह पहली बार है कि मैंने चरवाहों के बीच अभिनय किया है। मै बहुत खुश हूं। मैं आशा करती हूं कि मैं अक्सर चरवाहों के लिए अभिनय कर सकूंगी। चरवाहे बहुत कठिन काम करते हैं, उन के लिए गीत गाना मेरे लिए बहुत खुशी की बात होगी। मैं आशा करती हूं कि मैं शीघ्र ही पुराने उलैन्मूछी कलाकारों का कर्त्तव्य निभाकर चरवाहों को आनंद दूंगी।
चरवाहा सुइलातू की पत्नी काओवा भी अच्छी तरह नृत्य कर सकतची हैं,गा सकती है। उस दिन, सुश्री काओवा ने भी उलैन्मूछी के मंच पर आकर एक मंगोलियाई लोकगीत गाया।
उस रात अभिनय करते-करते 11 बज गए। बिदाई लेने का वक्त आ गया। जब सुश्री मूलैन ने सुना कि सुइलातू की माता जी मंगछीछीग अक्सर अपने लिए उचित कपड़े नहीं खरीद पाती हैं, तो तुरंत अपने शरीर से कपड़े उतार कर वृद्धा को दे दिए।
पिछले 50 वर्षों में उलैन्मूछी मंडलों में कलाकार निरंतर बदलते रहे हैं, लेकिन, उलैन्मूछी का लक्ष्य कभी नहीं बदला कि उलैन्मूछी के कलाकारों को हमेशा ही चरवाहों की सेवा करनी चाहिए। उलैन्मूछी के कलाकार नानदीदालेई ने अभिनय की समाप्ति के बाद हमारे संवाददाताओं से कहा,
आज का अभिनय बहुत विशेष है और बहुत सफल भी। आम तौर पर हमारा अभिनय रात के एक दो बजे तक चलता है। चरवाहे वर्ष में केवल एक बार इस तरह का अभिनय देख सकते हैं।
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