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(GMT+08:00) 2007-07-31 09:54:03    
चीन-भारत संबंध का भविष्य दोनों देशों के नौजवानों पर निर्भर है

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चीन व भारत दुनिया में दो सब से बड़े देश हैं। दोनों देशों के नौजवान एक दूसरे को समझने के बड़े इच्छुक हैं। हाल ही में भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल ने चीन की दस दिनों की यात्रा की। वे लोग भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये हैं, जिन में विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी हैं, सरकारी कर्मचारी हैं, पत्रकार हैं और युवा उद्योगपति भी हैं। चीन की उच्च शिक्षा व्यवस्था , चीन में बुनियादी सरकारों का प्रचलन , चीन के तेज आर्थिक विकास में भारतीय युवाओं की भारी रुचि है। चीन-यात्रा के दौरान, भारतीय नौजवानों को चीन के पेइचिंग, खुनमिंग और नानचिन के तीन मशहूर विश्वविद्यालयों का दौरा करने का मौका मिला और चीनी नौजवानों से संपर्क का भी।

उन्होंने एक दूसरे के विश्वविद्यालयों में पढा़ई, जीवन और भविष्य की योजना आदि पर विचारों का आदान-प्रदान किया। चीन के युन्नान विश्वविद्यालय का दौरा करते समय भारत के दैनिक जागरण के पत्रकार श्री अशोटोश ने दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच समानताएं व असमानताएं बतायीं। उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की भारी महत्ता है।

चीन व भारत के युवकों के एक सांस्कृतिक समारोह में चीन व भारत के युवकों ने एक साथ एक लोकप्रिय चीनी प्रेम गीत भी सुनाया, जिस का शीर्षक है चांदनी मेरे मन की बातों का प्रतिबिंबन करती है। यह गीत चीन यात्रा में आई भारतीय लड़की नीहा शुका और एक चीनी लड़के द्वारा संयुक्त रुप से गाया गया है। इधर के वर्षों में चीन व भारत के बीच संबंध के निरंतर प्रगाढ़ होने के साथ-साथ, दोनों देशों के शैक्षिक क्षेत्रों में आदान-प्रदान भी बढ़ रहा है। ज्यादा से ज्यादा भारतीय विद्यार्थी चीनी भाषा सीख रहे हैं। लड़की शुका ने हमें बताया कि क्योंकि स्नातक होने के बाद विद्यार्थियों को अच्छी नौकरी भी मिल सकती है, इसलिए भारत में चीनी भाषा सीखना बहुत लोकप्रिय है। इधर के वर्षों में चीन के अनेक विश्वविद्यालयों ने भी भारत के विश्वविद्यालयों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान करना शुरु किया है। दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान विश्वविद्यालय की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कमेटी के उपाध्यक्ष श्री ली फींग ने परिचय देते समय बताया, हाल ही में युन्नान विश्वविद्यालय और भारत के कुछ विश्वविद्यालयों के बीच आदान-प्रदान का अच्छा सहयोग संबंध बना है। युन्नान विश्वविद्यालयों में अध्यापक व विद्यार्थी अक्सर भारत की यात्रा करते हैं और भारत के विद्वान व विद्यार्थी भी अक्सर हमारे यहां आते हैं। अब हमारे विश्वविद्यालय में भी कुछ भारतीय विद्यार्थी हैं। भारतीय उच्च शिक्षालयों के बीच आदान-प्रदान व सहयोग को मजबूत करना युन्नान विश्वविद्यालय का और एक महत्वपूर्ण भाग है। इस वर्ष मई माह में युन्नान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष वू सुंग ने एक प्रतिनिधि मंडल को लेकर भारत के मुम्बई विश्वविद्यालय आदि उच्च शिक्षालयों की औपचारिक यात्रा की और दोनों पक्षों ने सहयोग मेमोरंडम पर हस्ताक्षर भी किया।वर्तमान भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल की यात्रा अवश्य ही युन्नान विश्वविद्यालय और भारतीय उच्च शिक्षालयों के बीच विस्तृत आदान-प्रदान को आगे बढ़ाएगी। भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल का एक सदस्य पलाश मोनदेल तो बहुत सौभाग्यशाली है, उन्हें युन्नान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष का आमंत्रण प्राप्त हुआ और अगले साल इस विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिला है। उन की खुशी बताना मुश्किल है।

चीन यात्रा में चीन और भारत के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी किया। उन्होंने रंग बिरंगे प्रोग्राम पेश किए। कुछ भारतीय चित्रकारों ने घटनास्थल पर चित्र बना करके चीनी विद्यार्थियों को उपहार के रुप में चित्र दिए।

चीन व भारत के युवा खेल प्रेमियों ने भी बॉस्केटबॉल व बैडमिंटन के मैच में भाग लिया।भारतीय राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के सदस्य सन्कर पी गोपन चीनी मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी लीन देन के प्रेमी हैं।

वर्तमान चीन यात्रा के प्रति भारतीय खिलाड़ी सनचोई बार्मन के लिए सब से अविस्मरणीय है। क्योंकि उन्होंने चीन में अपना 18वां जन्मदिवस मनाया है।

दुनिया में चाहे नौजवान भिन्न-भिन्न देशों में हैं, उन के बीच विचार हमेशा ही एक जैसे होते हैं।चीनी लड़की वांग याओ ने कहा,चीन व भारत के नौजवानों के बीच भाषाओं को छोड़कर मन व विचार सब बराबर हैं। नौजवान देश का भविष्य हैं। दोनों देशों के नौजवानों द्वारा एक दूसरे देश की यात्रा करने से दोनों देशों के नौजवानों की मैत्री अवश्य ही प्रगाढ़ होगी।

चीन यात्रा से दोनों देशों के युवाओं ने बीच में असमानताएं भी पता लगायीं। अनेक भारतीय युवक बहुत मैत्रीपूर्ण हैं और उन्हें चीन को जानने की बड़ी इच्छा है। लेकिन चीन के प्रति उन की कुछ गलतफहमियां भी हैं। चीनी लड़का वू चीन सुंग ने बताया,मुझे लगा कि चीन के प्रति भारतीय युवाओं की अपेक्षाकृत कम जानकारी है। जैसा कि एक भारतीय लड़की ने मुझ से पूछा कि क्या चीन में सभी अपराधियों को मौत की सजा दी जाती है, तो मैंने उन्हें समझाया। इधर के वर्षों में चीन के अखबारों, टी वी व रेडियो में भारत के बारे में रिपोर्टें बढ़ रही हैं, जबकि पांच वर्ष पहले संबंधित रिपोर्टें बहुत कम थीं। मेरा विचार है कि भारत व चीन के बीच युवकों की आपसी यात्रा बहुत अच्छी गतिविधि है। चीनी विद्यार्थियों के साथ संपर्क करते समय भारतीय युवाओं को भी एहसास हुआ कि चीनी युवाओं की अंग्रेजी भारतीय युवाओं की तरह उतनी अच्छी नहीं है। यदि चीन दुनिया के बड़े परिवार में प्रवेश करना चाहता है, तो अंग्रेजी सीखना जरुरी है। आजकल चीनी लोगों ने इसे जान लिया है और ज्यादा से ज्यादा चीनी लोग अंग्रेजी सीखने रहे हैं। चीन के प्राइमरी स्कूलों ,यहां तक किंडरगार्डनों में भी छोटे-छोटे बच्चे अंग्रेजी सीख रहे हैं।

भारतीय युवा व खेल मंत्रालय के निदेशक श्री सिसर कुमार रक्त ने चीन व भारत के युवाओं के बीच संपर्क का बड़ा मूल्यांकन किया और कहा कि हमें दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान-प्रदान की व्यवस्था को निश्चित करना चाहिए।

चीनी राष्ट्रीय युवा संघ के प्रथम महा सचिव श्री हू छ्वन ह्वा के अनुसार, युवा लोग हमेशा ही एक देश व एक जाति की आशा है।चीन व भारत के संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए नौ़जवान महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। मैं आशा करता हूं कि दोनों देशों के युवा लोग एक दूसरे से सीखेंगे , सहयोग को मजबूत करेंगे और विस्तृत रुप से आदान प्रदान भी करेंगे। आशा है कि आप लोग अपनी आंखों से एक सच्चे चीन को देखेंगे, कुछ अच्छे चीनी मित्रों की खोज पाऐंगे और एक अविस्मर्णीय याद वापस लौटेंगे।

जैसे कि चीनी नेता हू छ्वन ह्वा ने कहा कि वर्तमान चीन यात्रा से चीन व भारत के अनेक युवाओं ने अच्छे दोस्त बनाएं हैं। उन्होंने एक दूसरे को अपने पते भी दिए। आशा है कि चीन-भारत मैत्री की भावना दोनों देशों की युवा पीढ़ी में भी कायम रहती रहेगी।