चीन व भारत एशिया के दो बड़े विकासमान देश हैं। दोनों की पुरानी व रंग बिरंगी संस्कृति है। दोनों देशों के बीच गहरी मैत्री भी है। पुराना रेशमी मार्ग पुराने समय में दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान का प्रतिबिंव है। थांग राजवंश में चीनी महा भिक्षु श्वेन चांग की पश्चिमी तीर्थ यात्रा ने दोनों पुरानी संस्कृतियों के बीच आदान-प्रदान का पुल स्थापित किया था। हाल ही में सौ भारतीय युवाओं के एक प्रतिनिधि मंडल ने चीन की दस दिनों की यात्रा की है। यात्रा के दौरान, उन्हें चीन की सब से ज्यादा अल्पसंख्यक जातियों वाले प्रांत युन्नान का दौरा करने का मौका मिला और वहां उन्होंने चीन की विविधतापूर्ण संस्कृतियों को देखा।
चीन में कुल 56 जातियां हैं, जबकि केवल युन्नान प्रांत में ही 26 अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं। युन्नान यात्रा के दौरान, भारतीय युवा युन्नान अल्पसंख्यक जातियों के पार्क गए और वहां चीन की विविधतापूर्ण जातियों के रंगीन रीति रिवाजों व विशेषताओं ने उन पर गहरी छाप छोड़ी । अल्पसंख्यक जातियों की रंगीन वेशभूषा को देखकर भारतीय लड़की पूजा ने बड़ी खुशी हुई। उन्होंने ज्यादा चीनी परम्परागत चीजें खरीदीं।
कुछ भारतीय युवकों ने चीनी अल्पसंख्यक जातियों की परम्परागत वेशभूषा में चीनी लोगों के साथ नृत्य किया और फोटो भी खिंचवाए।युन्नान की अल्पसंख्यक जातियों के पार्क में भारतीय युवाओं ने परम्परागत खाना भी चखा जो सब लोगों को बहुत स्वादिष्ट लगा। अधिकांश चीनी लोग मांस खाते हैं, जबकि अनेक भारतीय लोग शाकाहारी हैं। क्या वे भी चीनी खाना पसंद करते हैं, जब हम ने उन से पूछा, तो भारतीय लड़की पूजा ने हमें बताया कि चीन आने से पहले उन की यह चिंता थी, लेकिन, अब कोई समस्या नहीं हैं। यहां उन्हें अपने घर जैसा लगा है।कुछ भारतीय लोगों ने चीन व भारत के बीच खाने में समानताएं भी पता लगायीं।
युन्नान के इस पार्क में भारतीय लोगों ने चीन की अल्पसंख्यक जातियों की चावल से बनी शराब भी पी।
सिक्किम से आये ताशी भूटिया ने शराब पीने के बाद हमें बताया कि उन की जन्मभूमि की शराब के बराबर है।
पार्क में भारतीय युवा चीनी संगीत में अल्पसंख्यक जातियों के चीनी लोगों के साथ नाच रहे थे।यहां उन्होंने आश्चर्य से देखा कि चीन व भारत की संस्कृति के बीच ज्यादा समानताएं हैं। भारतीय बॉलीवुड से आये लड़के सिद्धार्थ तातूशान ने कहा कि आजकल चीन की संस्कृति, विशेषकर फिल्म जगत में चीन की कुंग फू वाली फिल्मों का भारतीय लोग खूब स्वागत कर रहे हैं। यदि आप भारत जाएं, तो देखेंगे कि भारत में छोटे-छोटे बच्चे भी चीनी कुंग फू सीख रहे हैं।
इतना ही नहीं, चीनी भाषा सीखना भी भारतीय युवाओं में बहुत लोकप्रिय बन गया है। वर्तमान भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल में भी कुछ चीनी जानने वाले सदस्य हैं। राकेश कुमार उन में से एक हैं। उन्होंने हमें बताया कि बचपन से ही उन की चीन के प्रति बड़ी रुचि रही है। उन्होंने चीन के बारे में अनेक पुस्तकें पढ़ी हैं। अब वे चीनी भाषा सीख रहे हैं। बाद में वे संबंधित एक नौकरी भी ढू़ढ़ेंगे और भारत व चीन की मैत्री के लिए अपना योगदान प्रदान करेंगे।
युन्नान की अल्पसंख्यक जातियों के पार्क से रवाना होने से पहले, भारतीय लोगों ने अपने परिवारजनों व मित्रों के लिए अनेक उपहार खरीदे। मैंने देखा कि उन्होंने ज्यादादर चीन की परम्परागत वेशभूषाएं, बैग, मूर्तियां और टोपियां आदि खरीदीं हैं। कुछ लोगों ने चॉपस्टिक भी खरीदे।
युन्नान के इस पार्क का दौरा करने के बाद लगभग सभी भारतीय लोगों ने हमें बताया कि उन्हें चीन की संस्कृति बहुत पसंद है। चीन उन की कल्पना से भी अच्छा है।भारतीय लड़की प्रियशा जैन, जिस का चीनी नाम छन बेई श्या ने चीनी में हमें बताया कि चीन व भारत दो पुराने इतिहास वाले देश हैं। चीन आने के बाद उन्होंने देखा कि चीन व भारत की संस्कृति के बीच इतनी समानताएं हैं। यहां उन्हें अपने घर जैसा लगता है। चीन आकर मुझे बहुत खुशी हुई है, मैं चीन से बहुत प्रेम करती हूं।
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