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(GMT+08:00) 2007-07-19 15:01:56    
हजार वर्ष पुराने मंदिर थान चेह मंदिर की अजीब पत्थर मछली

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प्रिय दोस्तो , चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम ने आप को पेइचिंग शहर के पश्चिमी उपनगर स्थित हजार वर्ष पुराने थान चेह मंदिर के कुछ क्षेत्रों का दौरा कराया है । आज हम आप के साथ इस थान चेह मंदिर की बेमूल्य विरासतों को देखने जा रहे हैं ।

थान चेह मंदिर में भीमकाय कांस्य बर्तन के अलावा और एक धरोहर भी है और वह है विख्यात पत्थर मछली । इस पत्थर मछली की लम्बाई 1.7 मीटर है और वजन 150 किलोग्राम भारी है तथा उस का रंग गहरे हरे का है । हमारी गाइड सुश्री ली लू ने कहा कि स्थानीय वासियों की मान्यता में यह पत्थर मछली रोगों का इलाज करने व संकट को दूर करने में सक्षम है ।

इस पत्थर मछली के पीछे यह किम्वदंती प्रचलित है कि यह पत्थर मछली दक्षिण समुद्र के ड्रेगन महल की एक धरोहर है । ड्रेगन महल के राजा ने उसे स्वर्ग के राजा को भेंट किया था। बाद में स्वर्ग के राजा ने मानव जाति के रोगों व संकटों को दूर करने के लिये यह पत्थर मछली हमारे थान चेह मंदिर को उपहार के रूप में दे दी । वह रोगों का इलाज करने और संकटों को दूर करने में समर्थ है । स्थानीय वासी उस पर बहुत विश्वास करते हैं । इसलिये जब किसी के सिर में दर्द हो , तो वह यहां आकर इस पत्थर मछली के सिर को छूता है , जब पेट में दर्द होता है , तो वह इस पत्थर मछली के पेट को छूता है , ऐसा करने से दर्द दूर हो जाता है ।

पर वास्तव में यह पत्थर मछली वायुमंडल से थान चेह मंदिर में गिरे एक बड़े पत्थर से तराशी हुई है । क्योंकि इस पत्थर में कांस्य , लौहे जैसे धातुतत्व हैं , इसलिये उसे अलग-अलग जगह पीटने से भिन्न-भिन्न मधुर आवाजें निकलती हैं । धीरे-धीरे स्थानीय लोगों ने इस पत्थर मछली को देवता के रूप में मान लिया है ।

थान चेह मंदिर में प्राचीन पेड़ भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं । बेशुमार प्राचीन पेड़ों में चेह पेड़ सब से उल्लेखनीय है । चेह पेड़ दुर्लभ हैं , उन के पत्ते रेशम के कीड़ों को खिलाये जा सकते हैं , जबकि उस की लकड़ी का प्रयोग बढ़िया फर्निचर बनाने में किया जाता है। इस मंदिर के पीछे लुंग थान नामक कुम्भ स्थित है और पर्वत पर चेह पेड़ उगे हुए हैं , इसलिये इस मंदिर का नाम थान चे रखा गया है । थान चेह मदिर में भिन्न-भिन्न किस्म वाले प्राचीन छायादार पेड़ों की भरमार है , जिन में शाह पेड़ नामक पेड़ पर्यटकों को मोह लेते हैं । इस पेड़ की ऊंचाई चालीस मीटर से भी अधिक है , जबकि उस की मोटाई सात आठ व्यक्तियों की बांहों जितनी लम्बी । गर्मियों में इस प्राचीन पेड़ का छायादार क्षेत्रफल कोई 6 सौ वर्गमीटर विशाल होता है , जबकि शरद के आगमन पर पेड़ के सभी पत्ते सुनहरे हो जाते हैं। हवा के झोंकों में ये सुनहरे पत्ते अनगिनत उड़ती तितलियों की तरह बहुत सुंदर दिखायी देते हैं । कहा जाता है कि पुराने जमाने में यदि कोई राजा राजगद्दी पर बैठता था , तो इस पेड़ की जड़ से एक नन्ही शाखा निकलती थी । यदि किसी राजा का देहांत हो जाता था , तो इस पेड़ की कोई न कोई शाखा अपने आप टूट जाती थी । इसलिये स्थानीय लोग इस पेड़ को शाह पेड़ कहकर पुकारते हैं ।

इस रहस्यमय प्राचीन पेड़ को छोड़कर थान चेह मंदिर में और दो बैगनी माग्नोलिया पेड़ भी बहुचर्चित हैं । हालांकि पेइचिंग शहर में माग्नोलिया पेड़ों की भरमार है , पर थान चेह मंदिर में ये दोनों बैगनी माग्नोलिया पेड़ सब से पुराने माने जाते हैं । सुना जाता है इन दोनों पेड़ों की उम्र कोई चार सौ साल है । हर वर्ष वसंत में जब पेड़ों पर सुंदर बैगनी फूल खिलते हैं,तो लाखों करोड़ों देशी विदेशी पर्यटक फूल देखने यहां आते हैं । पेइचिंग वासी सुश्री वांग लिन को ये फूल बहुत पसंद हैं । उन का कहना है कि मैं पेइचिंग के छाओ यांग जिले में रहती हूं । आज दोस्त से सुना कि यहां माग्नोलिया फूल खिले हुए हैं। इसलिये मैं विशेष तौर पर यहां देखने आयी हूं । इन दोनों दुर्लभ प्राचीन पेड़ों पर खिले हुए फूल सचमुच अति सुंदर हैं। देखकर मेरा मन बहुत खुश हो गया है ।

प्रिय श्रोताओ , आज थान चेह मंदिर प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों और मनोहर प्राकृतिक दृश्यों के कारण बड़ी तादाद में देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेता है। इस मंदिर के पास बहुत सी आधुनिक पर्यटन सेवाएं भी उपलब्ध हैं । अब यह मंदिर पेइचिंग के उपनगरों में एक सब से विख्यात पर्यटन स्थल बन चुका है ।