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(GMT+08:00) 2007-07-18 10:48:06    
थान चेह मंदिर ने चीनी बौद्ध धार्मिक जगत में अपनी अलग पहचान बना रखी है

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दोस्तो , चीन का भ्रमण कार्यक्रम अब आरम्भ होता है । आज के इस कार्यक्रम में हम आप को पेइचिंग शहर के पश्चिमी उपनगर स्थित हजार वर्ष पुराने थान चेह मंदिर के दौरे पर ले चलते हैं। जैसा कि आप जानते है कि पेइचिंग शहर के आसपास बहुत से पुराने मंदिर हैं। थान चेह मंदिर उन में से एक है । पेइचिंग के दौरे पर आने-वाले देशी-विदेशी पर्यटक आम तौर पर इसी प्रसिद्ध मंदिर का दौरा करने जाते हैं ।

थान चेह मंदिर पेइचिंग शहर के प्रसिद्ध पश्चिमी पर्वत के सहारे खड़ा पुराना मंदिर है और वह आसपास नौ ऊंची -ऊंची चोटियों से घिरा हुआ है । कोई एक हजार सात सौ वर्ष पुराने मंदिर का निर्माण ईस्वी 307 में हुआ था।इस का मतलब है कि इस मंदिर का इतिहास प्राचीन शहर पेइचिंग से भी पुराना है । थान चेह मंदिर की प्रबंधन कमेटी के सहायक प्रधान श्री हाउ शिन च्येन मे इस मंदिर का परिचय देते हुए कहा कि उस समय उत्तरी राज्य के शासक का नाम वांग चुन था। ईस्वी 307 में शासक वांग चुन की पत्नी ह्वा फांग का देहांत हुआ ।वांग चुन ने अपनी पत्नी को पश्चिमी चीन के पा पाओ शान क्षेत्र में दफना दिया । उसी वर्ष वांग चुन ने अपनी पत्नी और राज्य के अमन चैन के लिये पेइचिंग शहर के पश्चिमी उपनगर में चा फू मंदिर का निर्माण किया ।बाद में इस चा फू मंदिर का नाम थान चेह मंदिर में बदल गया ।

थान चेह मंदिर की स्थापना के बाद बहुत से राजा पूजा करने के लिये यहां आते थे । कुछ राजा राजगद्दी पर बैठने के तुरंत बाद धूपबत्ती जलाने और भगवान की पूजा करने के लिये विशेष तौर पर इस मंदिर में आते थे । क्योंकि पुराने जमाने के हरेक राजवंश के राजाओं के मन में थान चेह मंदिर का विशेष स्थान था। इसलिये थान चेह मंदिर ने चीनी बौद्ध धार्मिक जगत में अपनी अलग पहचान बना रखी है और यह मंदिर पेइचिंग के अनगिनत मंदिरों में प्रथम स्थान पर माना जाता रहा है ।

थान चेह मंदिर की सब से बड़ी विशेषता बड़े पैमाने वाला निर्माण समूह है । समूचे मंदिर का कुल क्षेत्रफल करीब 2.5 हैक्टर है । मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर जाने के लिये एक लम्बा चौड़ा रास्ता है । रास्ते के दाएं व बाएं दोनों तरफ आलीशान भवन आमने-सामने खड़े हुए नजर आते हैं , जिस में चीन की प्राचीन वास्तु शैली के सौंदर्य को पूर्ण रूप से देखा जा सकता है ।

थान चेह मंदिर में खाना बनाने का एक कांस्य बर्तन बहुत चर्चित है और वह थान चेह मंदिर की एक धरोहर भी जानी जाती है । इस भीमकाय बर्तन का व्यास चार मीटर है और उस की गहराई दो मीटर है। एक बर्तन चावल बनाने में दसेक घंटे लग जाते हैं । बर्तन साफ करने के लिये मंदिर के भिक्षुओं को सीढी का प्रयोग करना पड़ता है । बर्तन के चूल्हे पर थान चेह मंदिर का अक्षर अंकित हुआ है । पर थान चेह मंदिर का अक्षर चूल्हे पर क्यों लिखा गया है । थान चेह मंदिर की प्रबंधन कमेटी के सहायक प्रधान श्री हाउ शिन च्येन ने इस सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि कहा जाता है कि पहले इस मंदिर के आचार्य को डर था कि कहीं इस मंदिर में आग न लग जाए। क्योंकि इस मंदिर के सभी भवन लकड़ी से तैयार हुए हैं । एक दिन उन्हों ने यह सपना देखा कि जब थान चेह मंदिर आग में लगाई जाए , तो मंदिर में आग कतई नहीं लगेगी । जागने के बाद इस सपने को याद करते-करते अचानक उन के मन में यह विचार आया कि यदि थान चेह मंदिर का अक्षर चूल्हे पर अंकित किया जाये , तो वह रोज रोज आग से ही जलाया जायेगा । इस तरह थान चेह मंदिर आग लगने की नौबत से बच सकेगा । अतः उन्हों ने थान चेह मंदिर के शब्द चूल्हे पर खुदवा दिए ।