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(GMT+08:00) 2007-07-16 16:11:50    
"चीनी भाषा के सेतु" से चीन और विदेशों के बीच संबंध घनिष्ठ

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चीनी भाषा के प्रचार-प्रसार संबंधी चीनी राजकीय नेतृत्वकारी कार्यालय के निमंत्रण पर अमरीका औऱ कोरिया गणराज्य के मीडिल व प्राइमरी स्कूलों के 1000 कुलपतियों और शैक्षणिक अधिकारियों ने गत 26 जून से पहली जुलाई तक चीन की यात्रा की,ताकि चीनी भाषा की शिक्षा के लिए चीनी स्कूलों और अमरीका व कोरिया गणराज्य के स्कूलों के बीच आदान-प्रदान का मंच स्थापित किया जाए।

चालू साल चीन और कोरिया गणराज्य के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 15वीं वर्षगांठ है और चीन-कोरिया गणराज्य आदान-प्रदान वर्ष भी है। कोरिया गणराज्य के 200 मीडिल व प्राइमरी स्कूलों के कुलपतियों ने इस गतिविधि में भाग लिया। यह चीन और कोरिया गणराज्य की सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तित एक अहम गतिविधि है।

आंकड़ों के अनुसार कोरिया गणराज्य के कोई 200 विश्वविद्यालयों में चीनी पाठ्यक्रम हैं।कोरिया गणराज्य के चीन में पढने वाले छात्र बहुत ज्यादा हैं। कोरिया गणराज्य के शिक्षा व मानव संसाधन मंत्रालय से आए प्रतिनिधि श्री सिन इन-छुल ने कहा कि चीन औऱ कोरिया गणराज्य के नागरिकों के बीच आवाजाही होती रहती है,दोनों देशों की जनता एक दूसरे की फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों का उपभोग करती है।चीनी भाषा का सेतु नामक यह गतिविधि दोनों देशों की जनता को आपसी समझ व सहयोग बढाने में प्रेरणा देगी।चीन स्थित कोरिया गणराज्य के शिक्षा कांउसलर श्री एयुन ही-शिन ने कहाः

"सौ बार सुनना एक बार देखने से कमतर है। मैं ने किताबों,फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों से चीन के बारे में जो जानकारियां और सूचनाएं प्राप्त की हैं,उन में क्या सही है और क्या गलत,यह मुझे पता नहीं है। इस गतिविधि में भाग लेने से लोग चीन के बारे में अपनी पुरानी व गलत समझ को दुरूस्त कर सकते हैं। आशा है कि इस गतिविधि में भाग लेने वाले लोग स्वदेश लौटकर चीन में अपनी आंखों देखी चीन की वास्तविकता बताएंगे।"

ज्ञान-अर्थतंत्र के विकास और आर्थिक भूमंडलीकरण के चलते चीन और विदेशों के बीच सहयोग व आदान-प्रदान बढ रहा है।चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ पर आयोजित शिखर सम्मेलन में कहा कि विभिन्न सभ्यताओं वाले सामंजस्यपूर्ण संसार का निर्माण विभिन्न देशों की जनता की समान अभिलाषा है।विभिन्न संस्कृतियों में आदान-प्रदान विस्तृत करने और एक दूसरे की खूबियां सीखने व कमियों को दूर करने से ही मानव-जाति में सामंजस्य बढ़ सकता है औऱ संसार रंग-बिरंगा व विविधतापू्र्ण हो सकता है।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान की पूर्वशर्त है भाषाओं का आदान-प्रदान।भाषाएं सिखाना विभिन्न देशों के शिक्षकों का अनिवार्य कर्तव्य है।

चीन सरकार ने विदेशी भाषाओं के शिक्षा-कार्य को बड़ा महत्व दिया है।चीन में प्राइमरी स्कूलों के तीसरे वर्ष से विश्वविद्यालय तक सभी विद्यार्थियों को अंग्रेजी सीखने की अनिवार्यता है। इस समय चीन में अग्रेजी सीखने वाले विद्यार्थियों की संख्या 20 करोड़ पार कर गई है।चीन के 1000 कालेजों में कोरियाई भाषा की शिक्षा दी जाती है।कोरियाई संस्कृति चीनी नोजवानों में बहुत लोकप्रिय है।

चीन का पुराना इतिहास और शानदार संस्कृति चीन के प्रति विभिन्न देशों के लोगों की दिलचस्पी में इजाफा होने के साथ-साथ अधिकाधिक ध्यानाकर्षक बन रही है। आंकड़ों से पता चला है कि इस समय दुनिया में चीन को छोड़ बाकी देशों में चीनी भाषा सीखने वालों की संख्या 3 करोड़ से अधिक हो गई है और 100 से ज्यादा देशों के कोई 2500 विश्वविद्यालयों में चीनी भाषा सिखाई जाती है।वर्ष 2004 में कोरिया गणराज्य की राजधानी सोल में कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट स्थापित हुआ,जो दुनिया में अपनी तरह का प्रथम चीनी भाषा व संस्कृति के प्रचार-प्रसार वाला विशेष केंद्र है।अब तक 50 से अधिक देशों में कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट कायम हो चुके है।

चीनी सहायक विदेश मंत्री श्री खुंगछ्वान ने कहा कि चीनी भाषा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार न केवल विदेशियों को चीन के बारे में जानकारी देने और चीनी लोगों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने की उन की जरूरतों को पूरा कर सकता है,बल्कि चीन को भी विविध संस्कृतियों वाली दुनिया में योगदान देने का प्रभावशाली उपाय दे सकता है।

श्री खुंगछ्वान ने अमरीका औऱ कोरिया गणराज्य के मीडिल व प्राइमरी स्कूलों से आए कुलपतियों से कहा कि हमें हार्दिक आशा है कि आप ने चीन में जो देखा है,सुना है और आप के देशों के प्रति चीनी जनता की जो मैत्री-भावना है उसे आप स्वदेश लौटकर अपने मित्रों को बताएंगे।

अमरीका के जोर्जिया स्टेट के शिक्षा ब्यूरो की प्रभारी सुश्री कैट्रिन कोक्स ने कहा कि जब उन्हें चीन की यात्रा करने की सूचना मिली,तो वह फूली न समाईं।चीन जाकर चीनी संस्कृति की जानकारी लेना उन का वर्षों पुराना सपना रहा है।उन का विचार है कि चीन और अमरीका के बीच मूल्यों के प्रति समानताएं मतभेदों से कहीं ज्यादा हैं।उन्हों ने आशा जताई कि जोर्जिया और अमरीका की अन्य स्टेट "चीनी भाषा के सेतु "के जरिए चीन-अमरीका मैत्री को बढाएंगी।