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(GMT+08:00) 2007-07-16 15:19:19    
दो गरीबों की निस्वार्थ भावना : समाज के लिए मिसाल

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दक्षिण चीन के कुआंगतुंग प्रांत के फ़ोशान नामक एक छोटे जगह में एक ब्रिज के गिर जाने से चार गाड़ियाँ नीचे बहती हुइ नदी में गिर गयीं जिस वजह से पांच लोगों की मृत्यु हो गयी। इस दुर्घटना में दो लोग लापता भी हो गये। लेकिन इस दुर्घटना के पांच दिनों के बाद निस्वार्थता की एक कहानी लोगों में सामने आयी।

वांग वनथिएन और षिए फ़ंगयुन, मूल रुप से चीन के हनान प्रांत के किसान थे , जो बाद में कर्मचारी बन कुआंगचोउ प्रांत आए।

 दुर्घटना के वक्त वे भी षिचियांग नदी के ऊपर चिउचियांग ब्रिज के पास से गुजर रहे थे जब एक रेत से लदी गाड़ी में ब्रिज की एक भाग से टकरा गयी और इस वजह से ब्रिज दो टुकड़ों में बट कर गिर गया।

लेकिन वांग वनथिएन और षिए फ़ंगयुन, औरों की तरह वहां से भागने के बजाय दुर्घटना के शइकार हुए लोगों का मदद करने का फैसला किया।

 दोनों की आयु पचास वर्ष से अधिक है लेकिन दोनों ने यह फैसला किया की वे ब्रिज के तरफ आ रहे अन्य गाड़ियों के ड्राइवरों को दुर्घटना का संकेत देंगे ताकि दूसरे लोग इस दुर्घटना के शिकार न हो।

दोनों ने इस कार्य के बारे में किसी से कोई जिक्र नहीं की । लेकिन जब उनके निस्वार्थपूर्ण भाव और मानवता से परिपूर्ण भावना के बारे में एक स्थानीय संवाददाता को वांग वनथिएन की पुत्री से पता चला तो स्थानीय सरकार ने दोनों को दस हजार युआन की रकम इनाम के दौर में भेंट की तो दोनों ने यह रकम स्थानिय प्राइमेरी स्कूल को दान में दे दिया।

वांग वनथिएन और षिए फ़ंगयुन ने कहा की उन्होंने परोपकारी काम पैसों के लिए नहीं बल्कि लोगों को मौत से बचाने के लिए किया।

साथ ही में उन्होंने कहा की उनके जगह और कोई भी व्यक्ति होता तो वो भी शायद वही करता जो उन दोनों ने किया।

शायद वे ठीक कह रहे है। कोई भी आम व्यक्ति दूसरे किसी व्यक्त को मौत के मुँह में देखता है तो उसमें तुरंत दूसरे को बचाने की भावना पैदा होती है। लेकिन शायद संसार में कुछ ही लोग हो जो अपने जीवन को दाव में लगा कर दूसरों को बचाते हैं।

इससे भी महान् उनकी परोपकारी भावना और असामान्य तब हो गयी जब दोनों ने अपने इनाम को दान में दे दिया।

अगर हम देखे की वांग वनथिएन और षिए फ़ंगयुन, दोनों ही समाज के काफी गरीब वर्ग से हैं तो उनकी महानता की उल्लेख करना सचमुच मुशकिल है।

दोनों ही कूड़ा इकट्ठा करने का काम करते हैं।

हर रोज वे सुबह चार बजे उठते हैं और शाम के दस बजे के बाद घर लौटते हैं। आज के समाज में ऐसे दया और परोपकारी भावना दुर्लभ है। वांग वनथिएन और षिए फ़ंगयुन की निस्वार्थ भावना पूरे मानवता के सामने एक बेमिसाल उदाहरण है।