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(GMT+08:00) 2007-07-16 09:15:08    
चीन के गांवों में नल-पानी की सुविधा, पहला चीनी संवाददाता-प्रतिनिधि सम्मेलन

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आज के इस कार्यक्रम में पटेल नगर दिल्ली के अमिताभ सज्जन, कोआथ बिहार के सुनील केशरी,डी.डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी,राकेश गुप्ता,किशोर कुमार केशरी, खुशबू केशरी बवीता केशरी, प्रियंका केशरी और एस.के जिंदादिल के,भागलपुर बिहार के अच्युत कुमार पोद्दार, नाज़नी हास्सान,हमिदा हास्सान के पत्र शामिल हैं।

पटेल-नगर दिल्ली के अमिताभ सज्जन का यह सवाल है कि चीन के गांवो में कितने लोगों को नल-पानी की सुविधा पाप्त है ?

चीनी देशभक्तिपूर्ण स्वास्थ्य आन्दोलन कमेटी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2005 के अंत तक चीन के ग्रामीण इलाकों में नल-पानी प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या करीब58 करोड़ तक जा पहुंची है,जो चीनी गांववासियों की कुल आबादी का 61.32 प्रतिशत बनती है। बाकी गांववासी या तो कुओं के पानी या प्रसंस्कृत बारिश के पानी या फिर अन्य स्रोतों से मिलने वाले पानी का प्रयोग करते हैं।

कोआथ बिहार के सुनील केशरी डी.डी साहिबा संजय केशरी सीताराम केशर, खुशबू केशरी बवीता केशरी, प्रियंका केशरी, एस के जिंदादिल जानना चाहते हैँ कि चीन में पहले संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कब किया गया ?

भैय्या,चीन में संवाददाता सम्मेलन हर रोज आयोजित होता है,क्योंकि किसी भी कानूनी संस्था को यह सम्मेलन बुलाने का अधिकार है ,जब चाहे बुला सकती है।हमारे विचार में आप यहां यह जानना चाहते हैं कि चीन में पहली राष्ट्रीय संवाददाता प्रतिनिधि सभा का कब आयोजन हुआ?ठीक हैं ना?

चीन में पहली राष्ट्रीय संवाददाता प्रतिनिधि सभा का आयोजन 1957 में राजधानी पेइचिंग में किया गया,जिस का आयोजक अखिल चीन संवाददाता संघ था।यह संघ चार साल में एक बार यह सभा बुलाता है,जिस में बीते 4 सालों में राष्ट्रीय प्रेस-कार्य का सिंहावलोकन औऱ समीक्षा की जाती है और भावी 4 सालों के कार्य का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है तथा अखिल चीन संवाददाता संघ के नेतागण का चुनाव किया जाता है।

इस समय चीन में रेग्युलर प्रेस-कार्ड धारक संवाददाताओं की सख्या 1 लाख 50 हजार है और प्रेस-व्यवसाय में कार्यरत लोगों की संख्या 7 लाख से अधिक।रेग्युलर प्रेस-कार्ड धारकों में से 20 से 30 साल तक की आयु वालों की संख्या सर्वाधिक है।उस के बाद 30 से 40 साल तक,फिर 40 से 50 साल तक की आयु वालों की संख्या आती है।उन सब को उच्च शिक्षा प्राप्त हुई है।

जनता के साथ युग से कदम मिलाकर चलना और घटनाओं की वास्तविकता,जीवन के मूल रूप तथा समाज की मुख्य विचारधाराओं से जुड़ी उम्दा रिपोर्टें लिखना व्यापक चीनी संवाददाताओं की मेहनत का उद्देश्य है।

भागलपुर बिहार के अच्युत कुमार पोद्दार पूछते हैं कि तिब्बत को क्यों दुनिया की छत कहा जाता है? वहां की भौगिलिक स्थिति कैसी है? बिहार के नाज़नी हास्सान,हमिदा हास्सान और उन के साथी भी तिब्बत के पठारीय क्षेत्र के बारे में जानना चाहते हैं।

दोस्तो,तिब्बत हिमालय,थांगला और खुनलुन पर्वतश्रृखलाओं से घिरा हुआ है और इन पर्वतमालाओं की ऊंचाई समुद्र की सतह से 6000 से 7000 मीटर तक है।तिब्बत की औसत ऊंचाई 4000 मीटर से ज्यादा है।सो तिब्बत को दुनिया की छत कहा जाता है।तिब्बत का कुल क्षेत्रफल 12 लाख वर्गकिलोमीटर है,जो चीन की कुल भूमि का 8वां भाग है।

धरातल की दृष्टि से तिब्बत को मोटे तौर पर चार भागों में बांटा जा सकता है।उत्तरी भाग एक विशाल पठार है,जिस की औसत ऊंचाई 4500 मीटर है।समूचे तिब्बत प्रदेश का दो-तिहाई भाग इसी क्षेत्र में है।यहां अत्यंत मनोरम ऊंची-नीची घाटियां फैली हुई हैं,जहां पशुओं के लिए बेहतरीन चारागाह हैं।

यालूत्सांगपू नदी के बेसिन में स्थित दक्षिणी तिब्बत में घाटियों की औसत ऊंचाई 4000 मीटर से कम है।तिब्बत की अधिकांश कृषि-भूमि यहां के अनेक उपजाऊ मैदानों में मौजूद है।

हिमालय पर्वतश्रृंखला दक्षिणी तिब्बत की घाटियों के दक्षिणी ओर समुद्र की सतह से6000 से ज्यादा ऊंचाई पर खडी है।इस पर्वतश्रृंखला का सर्वोच्च शिखर या जोलमोलोंगमा शिखर दुनिया का सब से ऊंचा पर्वत-शिखर है।

पूर्वी तिब्बत में उत्तर से दक्षिण तक गगनचुम्बी पर्वतमालाएं फैली हुई हैं और द्रुतगामिनी सरिताएं घाटियों के बीच से कलकल कर के बहती हैं।पहाड़ की चोटियों से इन घाटियों की गहराई कहीं-कहीं 2500 मीटर है।निरंतर बर्फ से ढके पर्वत-शिखर,पहाड़ी ढलानों पर फैले घने जंगल और पहाड़ों की तलहटी पर बारहों महीने उत्पादन करने वाले कृषि-फार्म इस प्रदेश में एक अनूठा दृश्य उपस्थित करते हैं।