आजमगड़ उत्तर प्रदेश के कादिर हासिम वाहिद ने हमें पत्र भेज कर कहा कि भारत चीन मैत्री सदियों पुरानी है , सौ नहीं हजार नहीं , दो हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी सांस्कृतिक आवाजाही चली आयी है । क्योंकि चीन भारत दोनों शानदार प्राचीन सभ्यता वाले देश हैं , इसी को आगे बढ़ाने के लिए चाइना रेडियो ने एक और मील का पत्थर गाड़ दिया है , हम श्रोताओं को जानकारी के लिए चीन भारत मैत्री वर्ष सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आरंभ की , ताकि जो श्रोता नहीं जानता , तो वो भी इस हवा का शुभगंध पाए और चीन भारत मैत्री वर्ष ज्ञान प्रतियोगिता की प्रश्न व उत्तर से लेकर जीत सके । और चीन का भ्रमण करने का शुभ अवसर मिले तथा जा कर देखें कि चीन की महान दीवार से लेकर वहां का वो नजारा तक , जो चीन का भ्रमण कार्यक्रम में सुनने को मिलते हैं । कौन होगा वो खुशनसीब श्रोता , आज ही हम उन को अपना बधाई संदेश भेज रहे हैं ।
कादिर हासिम वाहिद और अन्य श्रोता बहन और भाई जी , इस साल सी .आर .आई ज्ञान प्रतियोगिता के लिए हमारे हिन्दी विभाग की ओर से भारत के बिहार के श्रोता श्री----- ने विशेष पुरस्कार जीता है , जो सी .आर .आई के निमंत्रण पर मुफ्त चीन यात्रा पर आएंगे , श्री --- हमारे पुराने और नियमित श्रोता हैं और पिछले सालों से लगातार पत्र लिखते भी रहते है और कविता भी लिख कर भेजते हैं । वे सी .आर .आई हिन्दी परिवार के सक्रिय श्रोता हैं । आप लोगों की ही भांति हम भी इस साल के खुशनसीब श्रोता को हार्दिक बधाई देते हैं और कामना करते हैं कि वे पेइचिंग का भ्रमण करने के बाद एक मधुर अनुभव और यादगारी ले कर वापस लौटें और चीन भारत मैत्री के लिए अपना प्रयास जारी रखते रहें। हमारी यह कामना भी है कि अगले साल भारत से कोई और श्रोता ज्ञान प्रतियोगिता में विशेष पुरस्कार जीतें और चीन का भ्रमण करने का मौका मिलें ।
बालाघाट मध्य प्रदेश के डाक्टर प्रदीप मिश्रा का पत्र उद्धरण । प्रदीप मिश्री जी , आप ने अपने इस पत्र में कहा कि आप सब का स्नेह मुझे कार्यक्रम सुनते समय मिलता रहता है । अच्छे अच्छे कार्यक्रम सुमधुर स्वर लहरियां जब रोजाना जिन्दगी में शामिल होती रहती है , तो कौन भला चाइना रेडियो इंटरनेशनल प्रसारण का नियमित श्रोता नहीं बना रहेगा । कार्यक्रम में भी सुनो , प्रतियोगिता में भी भाग लो , और शत प्रतिशत इनाम भी जीतो । वाह इसे कहते हैं आम के आम और गुठली के भी दाम । और हां , इस में यह तो कहना भूल ही गया कि कार्यक्रम सुनो , और पत्र लिख कर भेजो , तो वह भी निशुल्क चीनी लिफाफे में , यानी इस सुविधा को यों कहा जाए कि हर्रा लगे न फिटकरी , रंग चोखा आये । यानी जेब से एक दाम भी खर्च न हो और ऊंचा काम भी हो जाए ।
प्रशंसा के इस प्रकार के सुन्दर शब्दों के अलावा हमारे नियमित व सक्रिय श्रोता भाई प्रदीप मिश्रा ने एक प्रश्न यह उठाया है कि सी .आर .आई हिन्दी परिवार के कुछ लोगों ने अपनी चीनी नाम के अलावा हिन्दी नाम भी रख लिये हैं । जब कि आप के वास्तविक रूप में चीनी नाम है , तो आप लोग हिन्दी नाम के साथ कैसे अपने आप को पारिवारिक रूप में बांट लेते हैं , जब कि आप का पारिवारिक नाम जन्म ,शैक्षिक योग्यता आदि इतना तक कि अपने रिश्तेदारों तक में अपने जन्म नाम से परिचित रहते हैं. तो फिर ये हिन्दी नाम कैसे .
डाक्टर प्रदीप मिश्रा ने एक दिलचस्प सवाल पूछा है यानी कोई चीनी व्यक्ति अपने वास्तविक नाम के अलावा लोक व्यवहार में हिन्दी नाम का किस तरह सुविधा से इस्तेमाल करते है. बहनो और भाइयो , दरअसल रेडियो , टीवी , फिल्म और कुछ अन्य विशेष व्यवसायों में यह प्रथा चलती है कि इन कामों के लिए उद्घोषक उद्घोषिका या कलाकार उप नाम या छद्म नाम का प्रयोग करना पसंद करते हैं , किन्तु वे अपने पारिवारिक जीवन में , खास कर जन्म , शिक्षा और पंजीकरण के लिए ऐसे नाम का इस्तेमाल नहीं करते हैं और अपने वास्तविक नाम का इस्तेमाल करते हैं । उप नाम या छद्म नाम केवल विशेष मौके पर इस्तेमाल करते हैं । हमारे सी .आर .आई के विभिन्न भाषा विभागों के अनेक उद्धोषकों और उद्घोषिकाओं ने विदेशी श्रोताओं के साथ संपर्क करने की सुविधा के उद्देश्य में विदेशी नाम रखा है , उन के विदेशी नाम महज प्रसारण के वक्त या विदेशी भाषा जानने वालों के बीच इस्तेमाल होते हैं । इस विशेष परिवेक्ष्य को छोड़ कर आम जीवन में वे अपने वास्तविक नाम जरूर इस्तेमाल करते हैं ।
प्रदीप मिश्रा ने अपने पत्र में अपने इस प्रश्न का जवाब सी .आर .आई हिन्दी उद्घोषिका चंद्रिमा व रूपा आदि से मांगा है , पर जवाब देने की सुविधा के लिए मैं ने उन की ओर से हमारे इस कार्यक्रम में जवाब दिया , ताकि आप के साथ अन्य श्रोता मित्रों का भ्रम भी सुलझा जाए ।

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