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आज के इस कार्यक्रम में कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी,खुशबू केशरी बवीता केशरी,प्रियंका केशरी,एस के जिंदादिल ,बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त और बोका बिहार के कुमोद नारायण सिंह के पत्र शामिल हैं।
कोआथ बिहार के सुनील केशरी,डी डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी,खुशबू केशरी बवीता केशरी,प्रियंका केशरी,एस के जिंदादिल का सवाल है कि चीन का राष्ट्रीय ध्वज किस प्रकार का होता है?
चीन लोक गणराज्य का राष्ट्रीय ध्वज आयताकार होता है और उस का रंग लाल होता है.लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है.बाईं ओर ऊपर स्वर्णिम रंग के 5 पंचकोणीय सितारे अंकित होते हैं.उन में से 1 बड़ा सितारा बाईं तरफ होता है और बाकी 4 सितारे उस की दाईँ तरफ़ अर्द्ध चंद्राकार के रूप में फैले हुए होते हैं।
लाल रंग क्रांति का प्रतीक है और स्वर्णिम रंग उज्ज्वलता का.बड़ा सितारा और 4 छोटे सितारे क्रमश:चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीन की विभिन्न जातियों की जनता के द्योतक हैं.उन के बीच का संबंध यह संकेत देता है कि चीन में विभिन्न जातियों की जनता कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में एकजुट होकर आगे बढ रही है।
बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त पूछते हैं कि सेब की खेती चीन में कहां हैं औऱ यह सब से अधिक होती कहां है?
सेब चीन का सब से प्रमुख फल है.चीन में सेब की खेतीबारी का क्षेत्रफल और उत्पादन विश्व में होने वाली सेब की कुल खेती का क्रमश:40 फीसदी और 33 फीसदी बनता है,जो सर्वाधिक है.इधर के वर्षों में चीन में सेब से बना रस बड़ी तेजी से लोकप्रिय हो गया है.इस से चीन विश्व में सेब-रस का सब से बड़ा निर्यातक देश बन गया है.विश्व भर में बिकने वाले सेब-रस का एक चौथाई चीन से आता है।
चीन में इस समय सेब की खेतीबारी का क्षेत्रफल लगभग 28 लाख 40 हजार हेक्टर है।
सेब की खेती मुख्य रूप से 3 क्षेत्रों में केद्रित हैं।
एक,पोहाई खाड़ी क्षेत्र है.इस क्षेत्र में शामिल ल्याओनिंग,शानतुंग और हपे 3 प्रातों में सेब की खेतीबारी बहुत पहले ही शुरू हो गई थी और यहां सेब की पैदावार भी सब से अधिक होती है.सेब की खेतीबारी का क्षेत्रफल और सेब की पैदावार क्रमश:देश का 43 प्रतिशत और 54 प्रतिशत बनता हैं।
दूसरा,पीली नदी के किनारे स्थित क्षेत्र है.इस क्षेत्र में शुमार हनान प्रांत के पूर्वी भाग,शानतुंग प्रांत के दक्षिण पश्चिमी भाग,च्यांगसु प्रांत के उत्तरी भाग और आनह्वेई प्रांत के उत्तरी भाग में सेब की खेतीबारी का क्षेत्रफल और सेब की पैदावार क्रमश:पूरे देश का 15 प्रतिशत और 16 प्रतिशत बनता हैं।
तीसरा,उत्तर पश्चिमी और पीली मिट्टी पठारीय क्षेत्र है.इस क्षेत्र के सिनच्यांग,शानशी,शनशी, निंगश्याऔर छिंगहाई प्रांतों में सेब की खेतीबारी का क्षेत्रफल और सेब की पैदावार पूरे देश का 30 प्रतिशत और 26 प्रतिशत बनता हैं।
कुछ समय पहले चीनी कृषि मंत्रालय ने एक नयी योजना घोषित की,जिस के तहत आने वाले कुछ वर्षो में चीन अपने पोहाई खाड़ी क्षेत्र और उत्तर पश्चिमी एवं पीली मिट्टी पठारीय क्षेत्र में सर्वोच्च गुणवत्ता वाले सेब की खेतीबारी पर जोर देगा.इस से इन क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले सेब की वार्षिक पैदावार 50 प्रतिशत बढ़ जाएगी और उस का वार्षिक निर्यात इस समय के 3 लाख टन से बढकर 9 लाख टन हो जाएगा।
बोका बिहार के कुमोद नारायण सिंह का सवाल है कि सुंग राजवंश के राजा थाई-ज़ोंग द्वारा जारी की गयी मुद्रा का नाम क्या है?
भैय्या,ईसा 991 में चीन के सुन राजवंश के राजा थाई-जोंग द्वारा जारी की गयी मुद्रा का नाम च्याओ-ज़ी है.वह दुनिया में सब से पहले जारी कागजी मुद्रा थी.सुन राजवंशकाल से पहले चीन में लोहे और तांबे से बनी मुद्रा प्रचलित थी.कल्पना कीजिए कि तत्काल में सौदा करते समय लोगों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
जैसा आप जानते हैं कि 13वीं सदी में इटली के वेनिस शहर में व्यापार बहुत विकसित था और काग़जी मुद्रा का प्रयोग भी काफी उन्नतिशील स्तर पर माना गया था.पर मशहूर इतालवी पर्यटक मार्कोपोलो जब चीन पहुंचा तो उसे यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि उस वक्त चीन भर में कागजी मुद्रा का प्रयोग किया जा रहा था। मार्कोपोलो ने अपनी पुस्तक में इस बात का जिक्र किया।
ध्यान रहे कि ईसा पूर्व 119 में चीन के हान राजवंश के दौरान आभिजात्य वर्ग और राजवंश के सदस्यों की खास आवश्यकता की पूर्ति के लिए हिरन की खाल से बनी मुद्रा जारी की गयी.यह आदिम कागजी मुद्रा था।

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