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(GMT+08:00) 2007-06-29 15:12:20    
एक पूरानी चीनी कथा

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युद्धरत राज्य काल में सुन पिन नाम का एक प्रसिद्ध सैन्य विशेषज्ञ था , उस ने अपने सहपाठी फांगच्वांग के साथ एक गुरू से युद्ध कला सीखी । युद्ध कला पर अधिकार करने के बाद दोनों वी राज्य की सेवा में काम करने लगे । लेकिन फांगच्वांग सुनपीन की प्रतिभा से असीम ईर्ष्या रखता था और बारंबार उसे मुसिबतों में डालने की साजिश रची , जिस के कारण सुनपी घुटनों में अपाहिज हो गया ।

बाद में छी राज्य के सेनापति थ्येनची की मदद से सुन पीन वी राज्य से भाग कर छी राज्य में जा बसा । सुन पीन और फांगच्वांग के बीच जो मशहूर युद्ध हुआ , वह चो राज्य को बचाने के लिए वी राज्य पर हमला के नाम से बहुत विख्यात है।

ईसापूर्व चौथी शताब्दी के समय चीन युद्धरत राज्य काल से गुजर रहा था । विभिन्न राज्यों में से वी राज्य ने सब से पहले राजनीतिक और सामरिक सुधार चलाया , जिस के परिणामस्वरूप उस की शक्ति लगातार बढ़ती गई और उस ने आसपास के छोटे छोटे राज्यों का अपनी सीमा में विलय करने का अभियान चलाया ।

उस समय वी राज्य की समान शक्ति रखने वाले राज्यों में उस के पूर्व का छी राज्य और पश्चिम का छिन राज्य था , उस के पड़ोसी चो राज्य और व्ये राज्य छोटा कमजोर राज्य थे ।

ईसापूर्व 368 में छी राज्य के समर्थन में चो राज्य ने वी राज्य के मातहत व्ये राज्य पर हमला बोला , इस मौके से फायदा उठा कर वी राज्य की सेना ने फांगच्वांग के कमान में चो राज्य की राजधानी हानतान को घेर लिया , अपने को बचाने के लिए चो राज्य ने छी राज्य से सहायता मांगी ।

छी राज्य के मंत्री चाओजी ने चो राज्य को बचाने के विरोध में यह तर्क दिया कि इस से छी राज्य की शक्ति घटायी जा सकती है ।

लेकिन दूसरे मंत्री त्वानगानलु का मत था कि यदि वी राज्य ने चो राज्य पर विजय पायी , तो उस की शक्ति और मजबूत होगी और वह छी राज्य के लिए बड़ा खतरा बन जाएगा , इसलिए चो राज्य को बचाने के लिए सेना भेजना चाहिए ।

छी राजा ने त्वान का सुझाव स्वीकार लिया और छी राज्य के सेनापति थ्येनजी के साथ सुनपीन को सैन्य सलाहकार के पद पर नियुक्त कर अस्सी हजार सैनिक ले कर चो राज्य को बचाने भेजा ।

सुन पीन की प्रतिभा अत्यन्त मशहूर थी , उस के बारे में घुड़दौड़ की कहानी अब भी चीन में लोकप्रिय है । जो इस प्रकार हैः

छी राज्य के कुलीन वर्ग में घुड़ दौड़ पर बाजी लगाने की प्रथा खूब चल रही थी । सेनापति थ्येनजी और राजा राजकुमारों के बीच अनेक बार घुड़ दौड़ की स्पर्धा चली और दौड़ की हार जीत पर भारी धन की बाजी लगायी गई , लेकिन थ्येनजी ज्यादा बाजी हार जाता था ।

यह देख कर सुन पीन ने घुड़दौड़ मैच में जा कर मैच की स्थिति का जायज किया और पता चला कि वास्तव में थ्येनजी और राजा के घोड़ों में दौड़ की गति पर खास अन्तर नहीं है, मैच नियम के अनुसार दोनों पक्षों के घोड़े दौड़ की गति के मुताबिक तीन वर्गों में विभाजित होते हैं और समान वर्ग के घोड़े एक ही मैच में दौड़ते है ।

यह जानने के बाद सुन पीन ने थ्येनजी को प्रोत्साहन देते हुए कहाः अगले मैच में आप बड़ी से बड़ी बाजी लगाए , मैं आप को जीत लेने दूंगा ।